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ग़ाज़ा में अस्पतालों पर हमले रोकने के लिए, तत्काल अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाई की पुकार

फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा के अल शिफ़ा अस्पताल में एक नवजात शिशु.
© UNFPA/Bisan Ouda
फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा के अल शिफ़ा अस्पताल में एक नवजात शिशु.

ग़ाज़ा में अस्पतालों पर हमले रोकने के लिए, तत्काल अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाई की पुकार

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र की तीन एजेंसियों UNFPA, UNICEF और WHO के क्षेत्रीय निदेशकों ने, फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा के अस्पतालों पर हो रहे हमलों को रोके जाने के लिए, तत्काल अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाई की पुकार लगाई है.

यूएन जनसंख्या कोष (UNFPA) की अरब देशों के लिए क्षेत्रीय निदेशक लैला बेकर, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ़्रीका के लिए यूनीसेफ़ की क्षेत्रीय निदेशक ऐडेल ख़ोदर और पूर्वी भूममध्य सागरीय क्षेत्र के लिए WHO के क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर अहमद अल मन्धारी ने रविवार को जारी एक संयुक्त वक्तव्य में कहा है, “हम अल शिफ़ा अस्पताल, अल-रनतीसी नासेर बाल अस्पताल और अल-कुद्स अस्पताल के आसपास व इन अस्पतालों पर हो रहे हमलों की नवीनतम ख़बरों पर भयभीत हैं. इन हमलों में बच्चों सहित बहुत से लोगों की मौतें हो रही हैं.”

वक्तव्य में कहा गया है कि ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े में विभिन्न अस्पतालों के आसपास जारी युद्धक गतिविधियों ने, स्वास्थ्य कर्मचारियों, घायलों और अन्य मरीज़ों तक सुरक्षित पहुँच को बाधित कर रखा है.

इन यूएन क्षेत्रीय निदेशकों ने कहा है कि अल शिफ़ा अस्पताल में, समय से पूर्व पैदा होने वाले और जीवनरक्षक सहायता पर निर्भर नवजात शिशुओं की मौतें, बिजली, ऑक्सीज़न और पानी ठप हो जाने के कारण हो रही हैं, जबकि अन्य बहुत से बच्चों पर ख़तरा है.

अन्य अनेक अस्पतालों के स्वास्थ्य कर्मचारियों ने भी वहाँ ईंधन, पानी और बुनियादी चिकित्सा सामान ख़त्म हो जाने की ख़बरें दी हैं, जिससे तमाम मरीज़ों का जीवन तत्काल जोखिम में पड़ गया है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पिछले 36 घंटों के दौरान, ग़ाज़ा में स्वास्थ्य सुविधाओँ पर कम से कम 137 हमले दर्ज किए हैं, जिनके कारण 521 लोगों की मौतें हुई हैं और 686 लोग घायल हुए हैं. इनमें मारे गए 16 स्वास्थ्यकर्मियों और घायल हुए 38 स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या भी शामिल है, जो ड्यूटी करते हुए हमलों की चपेट में आए.

इन क्षेत्रीय निदेशकों के संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है, “चिकित्सा सेवाओं और आम आबादी पर हमले, अस्वीकार्य हैं और वो अन्तरराष्ट्रीय मानवीय व मानवाधिकार क़ानून और सन्धियों का उल्लंघन करते हैं. ऐसे हमलों को क्षमा नहीं किया जा सकता.”

“चिकित्सा सहायता हासिल करने के आधिकार से, कभी भी इनकार नहीं किया जा सकता, विशेष रूप में संकटों के समय में.”

सीमित चिकित्सा सेवाएँ

यूएन एजेंसियों का कहना है कि ग़ाज़ा में, आधे से अधिक अस्पताल बन्द हो गए हैं. जिन अस्पतालों में कुछ सुविधाएँ अगर जारी भी हैं तो उन्हें भी भारी दबाव का सामना करना पड़ रहा है और वहाँ आपदा सेवाएँ, जीवनरक्षक और सघन चिकित्सा देखभाल, सीमित स्तर ही उपलब्ध कराई जा रही हैं.

उनका कहना है कि पानी, भोजन और ईंधन की भारी क़िल्लत ने, हज़ारों विस्थापित लोगों के रहन-सहन को ख़तरे में डाल दिया है, जिनमें महिलाएँ और बच्चे भी हैं. इन लोगों ने अस्पताल परिसरों और आसपास के स्थानों में शरण ली हुई है.

यूएन एजेंसियों ने कहा है कि दुनिया ऐसे में मूकदर्शक नहीं बनी रह सकती है, जब सुरक्षा के मज़बूत ठिकाने माने जाने वाले अस्पतालों को, मौत, तबाही और बेबसी के ठिकानों में तब्दील किया जा रहा है.

“एक तत्काल मानवीय युद्धविराम लागू किए जाने, जीवन का और अधिक नुक़सान रोकने और ग़ाज़ा में शेष बची स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं को संरक्षित करने क लिए, तत्काल एक निर्णायक अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाई की दरकार है.”

यूएन एजेंसियों का कहना है कि इन जीवनरक्षक सेवाओं को ईंधन, चिकित्सा सामग्री और जल की आपूर्ति के लिए, निर्बाध और टिकाऊ पहुँच मुहैया कराए जाने की आवश्यकता है.

“हिंसा को तत्काल रोका जाना होगा.”