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इसराइल-फ़लस्तीनी संकट: हमलों की जाँच की पुकार

ग़ाज़ा पट्टी के एक दक्षिणी इलाक़े में, एक महिला, इसराइली बमबारी में तबाह हुए अपने घर को देखते हुए.
© UNICEF/Eyad El Baba
ग़ाज़ा पट्टी के एक दक्षिणी इलाक़े में, एक महिला, इसराइली बमबारी में तबाह हुए अपने घर को देखते हुए.

इसराइल-फ़लस्तीनी संकट: हमलों की जाँच की पुकार

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क ने शुक्रवार को जॉर्डन की राजधानी अम्मान में कहा है कि ग़ाज़ा में इसराइल द्वारा भारी-भरकम बमबारी ने, लाखों इमारतों को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया है, जिसमें सघन आबादी वाले इलाक़ों में, भीषण तबाही करने वाले विस्फोटक हथियारों का प्रयोग किया गया है. उन्होंने इन हमलों की जाँच की पुकार लगाई है.

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय आपदा राहत समन्वय एजेंसी – OCHA ने शुक्रवार को कहा है कि ग़ाज़ा के उत्तरी क्षेत्र में फँसे लाखों लोगों के लिए, बिल्कुल भी सहायता उपलब्ध नहीं है.

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वोल्कर टर्क ने कहा, “इसराइल को इस तरह के तरीक़ों और युद्ध के साधनों का इस्तेमाल तुरन्त रोकना होगा, और हमलों की जाँच की जानी होगी.”

कोई भी स्थान सुरक्षित नहीं

यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने दोहराते हुए कहा कि आम लोगों को, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत सुरक्षा उपलब्ध कराई जानी चाहिए, चाहे वो कहीं भी हों, इस समय ग़ाज़ा में कोई भी स्थान सुरक्षित नहीं है, और इसराइली सेनाओं द्वारा सुरक्षित घोषित किए गए क्षेत्रों पर भी वास्तविक सुरक्षा गारंटियों पर सवाल उठते हैं.

ग़ाज़ा में 100 से अधिक यूएन कर्मियों की मौत

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी – UNRWA के फ़िलिपे लज़ारिनी ने शुक्रवार को एक ट्वीट सन्देश में बताया है कि ग़ाज़ा में, केवल एक महीने के दौरान, एजेंसी 100 से अधिक कर्मचारियों की मौत हो गई है.

उन्होंने लिखा है, “अभिभावस, अध्यापक, नर्सें और डॉक्टर व समर्थन स्टाफ़. UNRWA शोक में है, फ़लस्तीनी जन शोक में हैं और इसराइली जन शोक में हैं. इस त्रासदी को रोकने के लिए, तत्काल मानवीय युद्धविराम लागू किए जाने की आवश्यकता है.”

युद्ध के क़ानूनों का सम्मान करें

वोल्कर टर्क ने ग़ाज़ा सिटी में, अस्पतालों पर और अस्पतालों के आसपास के स्थानों पर, विशेष रूप में सघन हमलों के सन्दर्भ में ज़ोर देकर कहा कि अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के तहत, चिकित्सा कर्मियों को विशेष संरक्षण प्राप्त है, और ये ज़रूरी है कि उनकी हर समय सुरक्षा की जाए और सम्मान किया जाए.

उन्होंने कहा, “फ़लस्तीनी सशस्त्र गुटों द्वारा, आम लोगों को अपनी ढाल के तौर पर इस्तेमाल करने की कोई कोशिश भी, युद्ध के नियमों के विरुद्ध है. मगर फ़लस्तीनी सशस्त्र गुटों के इस तरह के आचरण के कारण, इसराइल आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपनी ज़िम्मेदारी से नहीं बच सकता...”

यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने ये भी कहा कि ग़ाज़ा में यूएन स्टाफ़ के साथ जो कुछ हो रहा है, उसे देखना भी अत्यन्त दुखद है – UNRWA के सहयोगियों की ज़िन्दगियाँ ख़त्म हो रही हैं, जोकि अभूतपूर्व घटनाक्रम है.

उन्होंने UNRWA द्वारा संचालित स्कूलों में पनाह लिए हुए लगभग 600 लोगों के हताहत होने को भी अस्वीकार्य बताया, “यूएन परिसरों को अखंड व सुरक्षित रखने का एक सिद्धान्त भी मौजूद है.”

पश्चिमी तट: हिंसा का चक्र रोकें

वोल्कर टर्क ने, इसराइल के क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी इलाक़े – पश्चिमी तट का ज़िक्र करते हुआ कहा कि इसराइली अधिकारियों को वहाँ मौजूद फ़लस्तीनी लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी क्योंकि उन्हें इसराइली बलों और यहूदी निवासियों के हाथों, दैनिक हिंसा, दुर्व्यवहार, गिरफ़्तारियों, बेदख़ली, उत्पीड़न और असम्मान का सामना करना पड़ रहा है.

पश्चिमी तटमें, 7 अक्टूबर से पहले ही लगभग 200 फ़लस्तीनियों की मौत हो चुकी थी और 7 अक्टूबर के बाद से भी 176 फ़लस्तीनी मारे जा चुकगे हैं. फ़लस्तीनी क्षेत्रों में यहूदी निवासियों की हिंसा ने लोगों की ज़िन्दगियाँ और आजीविकाएँ तबाह की हैं और लगातार दंडमुक्ति के माहौल में, वहाँ विस्थापन बढ़ रहा है.

मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क मध्य पूर्व की यात्रा के लिए, अभी तक इसराइल और फ़लस्तीनी क्षेत्र में दाख़िल होने के लिए की अनुमति नहीं प्राप्त हुई है. उन्होंने कहा कि उन्होंने दोनों तरफ़ के मानवाधिकार पैरोकारों के साथ, फ़ोन पर बातचीत की है.

उन्होंने बताया कि फ़लस्तीनी मानवाधिकार पैरोकारों ने, अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून का सम्मान सुनिश्चित करने, और इस पागलपन भरी स्थिति में आम लोगों की तकलीफ़ों पर विराम लगाने में अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने में, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की नाकामी को रेखांकित किया.

यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से, अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभाने के लिए खड़े होने का ज़ोरदार आग्रह किया, और दुनिया भर में हर एक परिस्थिति में, सार्वभौमिक मानक लागू किए जाने पर ज़ोर दिया.

उन्होंने कहा, “प्रभावशाली देशों को, युद्धरत पक्षों को, युद्धविराम के लिए राज़ी करने पर और अधिक मेहनत करनी होगी, और ये बिना किसी देरी को हो.”