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भारत – महिला आरक्षण विधेयक पारित होने पर संयुक्त राष्ट्र की बधाई

दुनिया भर में लैंगिक समानता हासिल करने के लिए महिला नेतृत्व एक प्रमुख प्रोत्साहक कारक है.
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दुनिया भर में लैंगिक समानता हासिल करने के लिए महिला नेतृत्व एक प्रमुख प्रोत्साहक कारक है.

भारत – महिला आरक्षण विधेयक पारित होने पर संयुक्त राष्ट्र की बधाई

महिलाएँ

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने, भारत में महिला आरक्षण विधेयक पारित होने का स्वागत किया है. इस विधेयक के तहतराष्ट्रीय संसद और प्रान्तीय विधायिकाओं मेंमहिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित किए जाने का प्रावधान है. 

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) द्वारा गुरूवार को जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित यह ऐतिहासिक विधेयक, संसद में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को संवैधानिक रूप से मज़बूत करेगा, और भारत में महिलाओं की भागेदारी के अधिकार व लैंगिक समानता को बनाए रखने में एक परिवर्तनकारी क़दम साबित होगा.

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मानवाधिकार उच्चायुक्त ने भारत द्वारा पेश किए गए इस उत्कृष्ट उदाहरण की सराहना करते हुए, दुनिया भर के सांसदों से, ऐसे ही विधाई उपाय अपनाने का आहवान किया - जिनमें आवश्यकतानुसार लैंगिक कोटा भी शामिल हो - ताकि उनके राजनैतिक निर्णयों में महिलाओं की आवाज़ पूर्ण समानता के साथ शामिल किया जाना सुनिश्चित हो सके.

मानवाधिकार प्रमुख ने कहा कि विधेयक को कम से कम 50 प्रतिशत प्रदेशों के अनुसमर्थन की आवश्यकता है, और “हम उनके त्वरित समर्थन का आहवान करते हैं.” 

मानवाधिकार उच्चायुक्त ने सरकार से 'अनुसूचित जाति' और 'अनुसूचित जनजाति' के लिए मौजूदा आरक्षण समेत, यह नई व्यवस्था जल्द से जल्द लागू करने का आहवान किया.

मानवाधिकार प्रमुख ने कहा, “हम सार्वजनिक जीवन में सभी पृष्ठभूमि की महिलाओं की भागेदारी के लिए एक सक्षम वातावरण को बढ़ावा देने के महत्व पर बल देते आए हैं. इसका समग्र रूप से समाज पर गहरा, सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.”

उन्होंने कहा कि यह सतत विकास लक्ष्यों के कार्यान्वयन के साथ-साथ, महिलाओं के ख़िलाफ़ सभी प्रकार के भेदभाव के उन्मूलन पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के तहत, भारत द्वारा अपने दायित्व निभाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण क़दम है.

लैंगिक समानता के लिए ऐतिहासिक क्षण

वहीं भारत स्थित संयुक्त राष्ट्र महिला संस्था, यूएनवीमेन ने भी महिला आरक्षण विधेयक के पारित होने पर बधाई देते हुए, इसे ख़ासतौर पर महिलाओं के राजनैतिक नेतृत्व के सन्दर्भ में, लैंगिक समानता के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बताया.

भारत में यूएनवीमेन की की प्रतिनिधि, सूसन फ़र्ग्यूसन ने इसे "साहसिक" और "परिवर्तनकारी" क़दम बताते हुए, महिलाओं के निरन्तर सशक्तिकरण के लिए राजनैतिक प्रतिनिधित्व के महत्व को रेखांकित किया.

उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि सभी राजनीतिक दल, विधेयक को समय पर लागू करने के लिए एक साथ आएंगे, ख़ासतौर पर यह देखते हुए कि नीतियों और राजनीति में लैंगिक कोटा, लैंगिक समानता व महिला अधिकारों को आगे बढ़ाने के लिए कितना अहम है."

"महिला आरक्षण विधेयक, महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को मज़बूत करते हुए, पूरे विश्व के लिए एक आदर्श स्थापित करता है.”

उन्होंने कहा, “यह उन लैंगिक पैरोकारों व संगठनों के लिए बहुत प्रसन्नता का क्षण है, जो लैंगिक समानता, महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण एवं नेतृत्व में उनकी भूमिका बढ़ाने के लिए काम करते हैं."

महिला आरक्षण विधेयक के तहत, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव है.

नेतृत्व पदों पर भागेदारी

भारत में पहले से ही ग्रामीण स्तर पर पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें और पंचायती राज संस्थाओं के सभी स्तरों पर और शहरी स्थानीय निकायों में क्रमशः अध्यक्ष के कार्यालयों में एक तिहाई सीटें आरक्षित हैं.

नेतृत्व पदों पर महिलाओं की भागेदारी पर किए अध्ययनों से पता चला है कि नीतियों, कार्यक्रमों और वित्तपोषण पर आरक्षण का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है जिससे महिलाएँ व उनके परिवार, समुदाय और अन्ततः उनके राष्ट्र बेहतर होते हैं. 

सूसन फ़र्ग्यूसन ने कहा, "वर्तमान में, वैश्विक स्तर पर महिलाएँ केवल 26.7 प्रतिशत संसदीय सीटों और 35.5 प्रतिशत स्थानीय सरकारी पदों पर आसीन हैं." 

उन्होंने बताया, “महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने वाला यह कोटा भारत को दुनिया भर के उन 64 देशों में से एक बना देगा, जिन्होंने अपनी राष्ट्रीय संसदों में महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित की हैं." 

"आमतौर पर, संसद में महिलाओं के 30 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व से, महिला सशक्तिकरण के लिए सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं. हालाँकि, हमें उम्मीद है कि इस तरह का आरक्षण लागू करने से अन्ततः दुनिया भर की संसदों में महिलाओं का 50 प्रतिशत प्रतिनिधित्व हासिल हो सकेगा.”

इसके अलावा, यूएनवीमेन ने, अनुसूचित जाति और जनजाति की महिला नेताओं के लिए सीटों के आरक्षण के प्रस्तावित विधेयक को भी "महत्वपूर्ण क़दम" क़रार दिया.

सूसन फ़र्ग्यूसन ने कहा, "संयुक्त राष्ट्र, लैंगिक समानता को आगे बढ़ाने और टिकाऊ विकास लक्ष्य प्राप्त करने और सभी के लिए एक अधिक न्यायपूर्ण व न्यायसंगत दुनिया बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानने के लिए, सदस्य देशों के साथ सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है." 

उन्होंने कहा, "भारत का साहसिक कदम दुनिया को स्पष्ट सन्देश देता है कि लैंगिक समानता का मार्ग न केवल आवश्यक है, बल्कि सम्भव भी है."