दुनिया की अधिकतम महिलाएँ हैं, विशाल लैंगिक खाई वाले देशों में
लैंगिक समानता और अन्तरराष्ट्रीय विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र की प्रमुख एजेंसियों द्वारा मंगलवार को प्रकाशित नवीनतम रिपोर्ट में बताया गया है कि विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिला सशक्तिकरण का स्तर निम्न है और वहाँ विशाल लैंगिक अन्तराल व्याप्त है.
संयुक्त राष्ट्र महिला संस्था (UN Women) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की रिपोर्ट दर्शाती है कि अध्ययन किए गए 114 देशों में से, किसी ने भी पूर्ण लैंगिक समानता हासिल नहीं की है.
इसके अलावा, विश्व स्तर पर एक प्रतिशत से भी कम ऐसी महिलाएँ और लड़कियाँ हैं, जो महिला सशक्तिकरण के उच्च स्तर वाले देशों में रहती हैं, जहाँ स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसे क्षेत्रों में न्यूनतम लैंगिक अन्तर है.
वहीं वैश्विक महिला आबादी का 90 प्रतिशत से अधिक, यानि 3.1 अरब महिलाएँ और लड़कियाँ, उन देशों में रहती हैं, जहाँ महिला सशक्तिकरण का अभाव और विशाल लैंगिक अन्तर मौजूद है.
असमानताओं का आकलन
इस रिपोर्ट में दो नए सूचकांक पेश किए गए हैं जिनका उद्देश्य, विश्व स्तर पर महिलाओं द्वारा अनुभव की जाने वाली जटिल चुनौतियाँ उजागर करना और विशिष्ट हस्तक्षेपों व नीतियों में संशोधन के लिए एक रणनीति प्रस्तुत करना है.
महिला सशक्तिकरण सूचकांक (WEI), पाँच आयामों के अन्तर्गत, विकल्प चुनने और अवसरों का लाभ उठाने की महिलाओं की शक्ति व स्वतंत्रता को मापता है: स्वास्थ्य, शिक्षा, समावेशन, निर्णय लेने और महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा.
वैश्विक लैंगिक समानता सूचकांक (GGPI), मानव विकास के महत्वपूर्ण पहलुओं के तहत, लैंगिक असमानताओं का मूल्यांकन करता है, जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, समावेशन और निर्णय लेने जैसे आयाम शामिल हैं.
महिला सशक्तिकरण सूचकांक (WEI ) के आकलन के अनुसार, वैश्विक स्तर पर, महिलाएँ सशक्तिकरण के मामले में अपनी अधिकतम क्षमता का औसतन 60 प्रतिशत ही हासिल कर पाती हैं. GGPI के तहत, प्रमुख मानव विकास आयामों में, पुरुषों की तुलना में महिलाओं को औसतन 28 प्रतिशत कम उपलब्धि हासिल होती है.
पूर्ण क्षमता प्राप्ति
रिपोर्ट में कहा गया है कि सशक्तिकरण की यह कमी और असमानताएँ, ना केवल महिलाओं के कल्याण एवं प्रगति के लिए हानिकारक हैं, बल्कि समग्र मानव विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती हैं.
संयुक्त राष्ट्र महिला संगठन (UN Women) की कार्यकारी निदेशक, सीमा बाहौस ने टिकाऊ विकास लक्ष्यों (SDGs) के तहत, लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की दृढ़ प्रतिबद्धता को याद किया.
लेकिन, उन्होंने कहा कि नए सूचकांक दर्शाते हैं कि अभी भी महिलाओं की पूरी क्षमता का लाभ नहीं उठाया गया है और पर्याप्त लैंगिक अन्तराल क़ायम हैं, जिससे लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में प्रगति बाधित एवं धीमी हो रही है.
UN Women की कार्यकारी निदेशक ने कहा, “इसलिए, लैंगिक समानता के वादे को पूरा करने, महिलाओं और लड़कियों के मानवाधिकारों की रक्षा करने व उनकी मौलिक स्वतंत्रता की पूर्ण प्राप्ति सुनिश्चित करने के लिए, निरन्तर प्रयास करते रहने की आवश्यकता है.”
‘वास्तविक लोगों के लिए वास्तविक बदलाव’
रिपोर्ट में प्रस्तुत सूचकांक, स्वास्थ्य, शिक्षा, कार्य-जीवन सन्तुलन, परिवारों के लिए समर्थन और महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा को सम्बोधित करने जैसे प्रमुख क्षेत्रों में व्यापक नीतिगत कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं.
इन नीतियों को लागू करके, अधिक न्यायसंगत और समावेशी दुनिया बनाने की दिशा में प्रयासों को गति दी जा सकती है.
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के प्रशासक, अख़िम श्टाइनर ने कहा, “बड़ी संख्या में महिलाएँ और लड़कियाँ, ऐसे देशों में रह रही हैं, जहाँ वे अपनी पूरी क्षमता का केवल एक अंश ही हासिल कर पाती हैं. ऐसे में, इस नई अन्तर्दृष्टि का उद्देश्य, अन्ततः वास्तविक व्यक्तियों के लिए, ठोस एवं सार्थक परिवर्तन लाने में मदद करना है.”