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अफ़ग़ानिस्तान: महिला यूएन कर्मचारियों पर पाबन्दी ‘अस्वीकार्य, लाखों ज़िन्दगियों के लिए जोखिम’

अफ़ग़ानिस्तान में एक महिला परामर्शदाता, माँ और बच्चे को पोषण ज़रूरतों सम्बन्धी जानकारी दे रही है.
© UNICEF/Christine Nesbitt
अफ़ग़ानिस्तान में एक महिला परामर्शदाता, माँ और बच्चे को पोषण ज़रूरतों सम्बन्धी जानकारी दे रही है.

अफ़ग़ानिस्तान: महिला यूएन कर्मचारियों पर पाबन्दी ‘अस्वीकार्य, लाखों ज़िन्दगियों के लिए जोखिम’

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने मंगलवार को ज़ोर देकर कहा है कि महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों पर जब भी हमला होगा, उनका संगठन कभी चुप नहीं रहेगा. यूएन प्रमुख ने क़तर की राजधानी दोहा में अफ़ग़ानिस्तान मुद्दे पर आयोजित एक बैठक की मेज़बानी करने के बाद, पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि तालेबान द्वारा अफ़ग़ान महिलाओं को जीवनरक्षक मानवीय सहायता कार्य से रोके जाने से, लाखों ज़िन्दगियों के लिए जोखिम उत्पन्न हुआ है.  

दोहा में हुई बैठक में चीन, फ़्राँस, जर्मनी, भारत, ईरान, नॉर्वे, जापान, पाकिस्तान, क़तर, रूसी महासंघ, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन, अमेरिका समेत अन्य देशों के दूतों ने हिस्सा लिया.

उन्होंने कहा कि तालेबान के साथ सम्पर्क व बातचीत के लिए एक रणनीति की आवश्यकता पर सहमति हुई है, ताकि देश में सर्वाधिक निर्बल जन तक मदद पहुँचाई जा सके.

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यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने यह स्पष्ट किया कि दोहा में आयोजित बैठक, तालेबान प्रशासन को मान्यता देने के बारे में नहीं, बल्कि एक साझा, अन्तरराष्ट्रीय दृष्टिकोण विकसित करने पर केन्द्रित है.

इसके ज़रिए, आतंकवाद, मानवाधिकारों पर हो रहे प्रहार और मादक पदार्थों की बढ़ती तस्करी जैसे आपस में गुँथे हुए मुद्दों पर एक अन्तरराष्ट्रीय, संयुक्त रणनीति तैयार करने की दिशा में बढ़ा जाएगा.

उन्होंने सचेत किया कि अपने उद्देश्यों को हासिल करने के लिए, एक दूसरे से सम्पर्क नहीं तोड़ा जा सकता है.

“अनेक पक्षों की ओर से सम्पर्क व बातचीत को ज़्यादा कारगर बनाने व अतीत में लिए गए सबक़ पर आधारित होने की बात कही गई है.”

“संयुक्त राष्ट्र अपनी संयोजन क्षमता का उपयोग करना जारी रखेगा, ताकि भविष्योन्मुख दृष्टिकोण को आगे बढ़ाया जाए, जिसमें अफ़ग़ान लोगों को सर्वोपरि रखा गया हो, इस ढंग से कि वो मौजूदा क्षेत्रीय मंचों और पहलों का पूरक हो.”

यूएन प्रमुख ने कहा कि पिछले महीने तालेबान प्रशासन द्वारा अफ़ग़ान महिलाओं पर यूएन के लिए कामकाज करने पर लगाई पाबन्दी अस्वीकार्य है और यह ज़िन्दगियों को जोखिम में डालती है. इससे पहले, तालेबान ने राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय ग़ैर-सरकारी संगठनों में भी महिलाओं को काम करने से रोकने के आदेश जारी किए थे.

“हम महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों पर अभूतपूर्व, व्यवस्थागत हमलों की स्थिति में कभी भी चुप नहीं बैठेंगे. जब लाखों महिलाओं व लड़कियों की आवाज़ को दबाया जा रहा हो, और नज़रों से ओझल किया जा रहा हो, हम हमेशा अपनी बात रखेंगे.”

साझा हित

क़तर की राजधानी दोहा में आयोजित बैठक में अफ़ग़ानिस्तान में यूएन की विशेष दूत रोज़ा ओटुनबायेवा ने भी हिस्सा लिया.

महासचिव ने कहा कि एक दूसरे की चिन्ताओं व सीमितताओं को समझना अहम है, मगर यह ध्यान रखना होगा कि सबसे पहले, अफ़ग़ानिस्तान के लोगों के हित हैं, और उसके लिए साथ मिलकर काम करना सभी के हित में है.

बैठक के दौरान सम्पर्क व बातचीत के लिए एक ऐसी रणनीति की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है, जोकि अफ़ग़ानिस्तान में स्थिरता पर लक्षित हो, मगर साथ ही, जिसमें बड़ी चिन्ताओं का भी ध्यान रखा जाए.

विभिन्न देशों ने मानवाधिकारों, आतंकवाद, और मादक पदार्थों की तस्करी के मुद्दे पर अलग-अलग प्राथमिकताएँ दर्शाई हैं, मगर मोटे तौर पर यह स्वीकार किया गया कि ये सभी चुनौतियाँ आपस में जुड़ी हुई हैं और कि उन्हें समग्र रूप से देखे जाने की ज़रूरत है.

विशाल मानवीय संकट

यूएन प्रमुख ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में स्थिति की गम्भीरता को बयान कर पाना कठिन है. “आज, यह विश्व में सबसे बड़ा मानवीय संकट है.”

देश की 97 प्रतिशत आबादी निर्धनता में जीवन गुज़ार रही है, और दो करोड़ 80 लाख लोगों को किसी ना किसी रूप में मानवीय सहायता की आवश्यकता है.

संयुक्त राष्ट्र ने अफ़ग़ानिस्तान में मानवीय राहत प्रयासों के लिए, चार अरब 60 करोड़ डॉलर की धनराशि की अपील की है, लेकिन फ़िलहाल, 29 करोड़ डॉलर का ही प्रबन्ध हो पाया है.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि देश में मानवीय सहायता प्रयासों में जुटे अधिकांश यूएन कर्मचारी, अफ़ग़ान नागरिक हैं, और महिलाओं के काम करने पर पाबन्दी लगाए जाने से देश का विकास प्रभावित होगा.

महासचिव गुटेरेश ने भरोसा दिलाया कि संयुक्त राष्ट्र, अफ़ग़ानिस्तान के लोगों को समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है और देश में जीवनरक्षक मानवीय सहायता पहुँचाने के प्रयास जारी रखे जाएंगे.

यूएन प्रमुख ने तालेबान नेताओं के साथ सम्भावित मुलाक़ात के मुद्दे पर कहा कि यह सही क्षण नहीं है, मगर वह निश्चित रूप से इस सम्भावना से इनकार नहीं करेंगे.