वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

तालेबान

अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल का एक दृश्य.
© Unsplash/Mohammad Husaini

अफ़ग़ानिस्तान: महिला मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को तत्काल रिहा किए जाने की मांग

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने अफ़ग़ानिस्तान में उन दो महिला मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को जल्द से जल्द रिहा किए जाने की मांग है कि जिन्हें तालेबान प्रशासन ने लगभग एक महीने पहले हिरासत में लिया था.

अफ़ग़ानिस्तान के हेरान्त प्रान्त में एक ऐतिहासिक मस्जिद के पास से गुज़रती दो महिलाएँ.
UNAMA

अफ़ग़ानिस्तान: बन्दियों पर अत्याचार रोकने, मानवाधिकारों का सम्मान करने का आग्रह

अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (UNAMA) ने बुधवार को कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में सत्तारूढ़ प्रशासन, कैदियों से जुर्म क़ुबूल करवाने के लिए यातना को एक औज़ार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं.

मानवाधिकार परिषद के 54वें सत्र को सम्बोधित करते हुए, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क.
UN Photo/ Jean Marc Ferré

अफ़ग़ानिस्तान में मानवाधिकार ‘ढहने के कगार पर’

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने मंगलवार को चेतावनी दी कि अफ़ग़ानिस्तान में, गम्भीर मानवीय संकट की पृष्ठभूमि में, तालेबान द्वारा महिलाओं व लड़कियों के “ख़ौफ़नाक” व “क्रूर” दमन से देश का भविष्य ख़तरे में है.

अफ़ग़ानिस्तान के जलालाबाद शहर के गवर्नर कम्पाउंड में सत्तारूढ़ प्रशासन के झंडे.
UN News / Ezzat El-Ferri

अफ़ग़ानिस्तान: पूर्व अधिकारियों के मानवाधिकारों का हनन, दंडमुक्ति की भावना प्रबल

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) का कहना है कि अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान द्वारा आम माफ़ी का आश्वासन दिए जाने के बावजूद, सैकड़ों की संख्या में पूर्व सरकारी अधिकारियों और सशस्त्र बलों के सदस्यों को कथित रूप से जान से मार दिया गया है.

अफ़ग़ानिस्तान में, कुछ महिलाएँ, एक जच्चा-बच्चा अस्पताल के बाहर अपनी बारी का इन्तज़ार करते हुए, जो देश में अपनी तरह का पहला अस्पताल है.
© UNICEF/Shehzad Noorani

महिलाधिकारों पर भारी चोट के बीच, अफ़ग़ानिस्तान पर, दबाव बनाए रखने की अपील

लैंगिक समानता के लिए सक्रिय संयुक्त राष्ट्र एजेंसी – UN Women की मुखिया ने मंगलवार को अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से, अफ़ग़ानिस्तान पर बदलाव के लिए दबाव जारी रखने का आग्रह किया है. यूएन महिला संस्था ने, देश में सत्तारूढ़ तालेबान पर, पूरे देश में, महिलाओं और लड़कियों पर बहुत दमनकारी, व्यवस्थित और अतुलनाय हमले करने का आरोप लगाया है.

सूडान में, यूएन जनसंख्या कोष द्वारा समर्थित एक अस्पताल में दाइयाँ. यह तस्वीर मौजूदा संकट से पहले की है.
© UNFPA

अफ़ग़ानिस्तान: जच्चा-बच्चा का स्वास्थ्य सुनिश्चित करती दाइयाँ

हुसुन, अपनी एक नन्हीं सी बच्ची को जन्म देने के एक सप्ताह बाद, उस पारिवारिक स्वास्थ्य गृह में वापिस पहुँचीं, जहाँ उनकी बच्ची का जन्म हुआ था. वो अपने साथ उस दाई के लिए खाने-पीने की कुछ चीज़ें भी लेकर आईं, जिन्होंने उनके प्रसव में उनकी मदद की थी. 

अफ़ग़ानिस्तान के बल्ख़ प्रान्त में, मज़ार-ए-शरीफ़ के एक स्कूल में तालीम हासिल करती कुछ लड़कियाँ.
© UNICEF/Mark Naftalin

एक नए अभियान से, तालीम के लिए अफ़ग़ान लड़कियों की पुकार बुलन्द

दीर्घकालिक संकटों व आपदाओं के दौरान भी बच्चों की शिक्षा जारी रखने के लिए कार्यरत संयुक्त राष्ट्र के एक कोष – Education Can Not Wait (ECW) ने, तालीम की ख़ातिर अफ़ग़ान लड़कियों की आवाज़ बुलन्द करने के लिए, मंगलवार को एक अभियान शुरू किया है. 

अफ़ग़ानिस्तान के बदख़शाँ प्रान्त के एक गाँव में, एक परिवार, संयुक्त राष्ट्र से मिली सहायता की बदौलत भोजन ग्रहण करते हुए.
© WFP/Sadeq Naseri

अफ़ग़ानिस्तान में, सत्ता के दो वर्ष बाद भी ‘परिवर्तित’ तालेबान की अवधारणा की निन्दा

अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान के सत्ता नियंत्रण के दो वर्ष पूरे होने पर, संयुक्त राष्ट्र के 30 से अधिक मानवाधिकार विशेषज्ञों ने, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से, अब अफ़ग़ानिस्तान के लोगों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में एक पुनर्जीवित दृढ़ संकल्प और मज़बूत एकजुटता प्रदर्शित करने का आहवान किया है. 

अफ़ग़ानिस्तान के जलालाबाद शहर के गवर्नर कम्पाउंड में सत्तारूढ़ प्रशासन के झंडे.
UN News / Ezzat El-Ferri

अफ़ग़ानिस्तान और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के बीच की खाई पाटने के प्रयास, ‘अलगाव कोई विकल्प नहीं’

अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर अगस्त 2021 में तालेबान की वापसी के बाद, देश बाकी दुनिया से अलग-थलग हो गया था. तालेबान प्रशासन ने मानवाधिकारों, विशेष रूप से महिलाओं व लड़कियों पर पाबन्दियाँ लगाई है, जिससे अफ़ग़ानिस्तान, दुनिया से और दूर होता गया है. 

अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल का एक दृश्य.
© Unsplash/Mohammad Husaini

अफ़ग़ानिस्तान: आम नागरिक चुका रहे हैं आईईडी विस्फोटों की बड़ी क़ीमत, नई रिपोर्ट

अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (UNAMA) की एक नई रिपोर्ट दर्शाती है कि अगस्त 2021 में तालेबान के सत्ता के आने के बाद, हिंसा में हताहत होने वाले आम नागरिकों की संख्या में मोटे तौर पर कमी आई है. मगर, आईईडी विस्फोट की घटनाएँ अब भी एक बड़ी चिन्ता हैं. देश में उपासना स्थलों, शिक्षण केन्द्रों और अल्पसंख्यक हज़ारा समुदाय के विरुद्ध हमलों में उछाल दर्ज किया गया है.