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अफ़ग़ानिस्तान: महिला यूएन स्टाफ़ के काम पर पाबन्दी वाले आदेश की कड़ी निन्दा

स्कूली पढ़ाई रुक जाने के बाद एक अफ़ग़ान लड़की अपने पिता की मदद से घर पर पढ़ाई करते हुए.
© UNICEF/Munir Tanwee/Daf recor
स्कूली पढ़ाई रुक जाने के बाद एक अफ़ग़ान लड़की अपने पिता की मदद से घर पर पढ़ाई करते हुए.

अफ़ग़ानिस्तान: महिला यूएन स्टाफ़ के काम पर पाबन्दी वाले आदेश की कड़ी निन्दा

महिलाएँ

संयुक्त राष्ट्र के शीर्षतम अधिकारियों ने अफ़ग़ानिस्तान में यूएन मिशन और एजेंसियों के लिए, महिलाओं के काम करने पर पाबन्दी लगाने वाले तालेबान आदेश की कड़ी निन्दा की है.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश और उप महासचिव आमिना जे मोहम्मद की तरफ़ से बुधवार को जारी किए गए वक्तव्यों में, अफ़ग़ानिस्तान में सत्ता पर क़ाबिज़ तालेबान के इस नवीनतम आदेश को, महिलाओं के दमन में, उनके बुनियादी मानवाधिकारों का हनन क़रार दिया गया है.

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यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक द्वारा जारी वक्तव्य में कहा गया है, “ये आदेश अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के तहत, अफ़ग़ानिस्तान की ज़िम्मेदारियों का भी उल्लंघन करता है और भेदभाव विरोधी सिद्धान्त का भी हनन करता है, जोकि यूएन चार्टर को परिभाषित करने वाली मुख्य भाषा का हिस्सा है.”

अधिकार हनन मामलों में बढ़ोत्तरी

तालेबान नेताओं ने देश में निर्वाचित सरकार को अगस्त 2021 में सत्ता से बेदख़ल कर देने के बाद से, सार्वजनिक जीवन में महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों का बहुत तेज़ी से सफ़ाया किया है.

इनमें लड़कियों की सैकंडरी और उच्च शिक्षा पर पाबन्दी, ग़ैर-सरकारी संगठनों के लिए काम करने पर पाबन्दी, और उनके आवागमन के अधिकारों पर लगी पाबन्दियाँ शामिल हैं.

इनके अलावा महिलाओं को अपने किसी परिवार के पुरुष सदस्य की मौजूदगी के बिना, काम करने, शिक्षा प्राप्त करने और यात्रा करने पर भी पाबन्दी लगी हुई है.

जीवन-रक्षक अभियानों के लिए ज़रूरी

यूएन प्रमुख ने कहा है कि महिला सदस्य संयुक्त राष्ट्र के तमाम अभियानों के लिए “बहुत अनिवार्य” हैं, जिन्हें देश में यूएन सहायता मिशन (UNAMA) चलाता है, और उनमें जीवन रक्षक सहायता की आपूर्ति शामिल है.

वक्तव्य में कहा गया है, “इस आदेश को लागू करने से अफ़ग़ान लोगों का नुक़सान होगा, जिनमें से लाखों लोगों को इस सहायता की आवश्यकता है.”

“महासचिव ने तालेबान से तत्काल इस आदेश को वापिस लेने का आहवान किया है और साथ ही उन तमाम क़दमों को भी पलट देने की पुकार लगाई है जो महिलाओं व लड़कियों को काम करने, शिक्षा हासिल करने और आवागमन की स्वतंत्रता से रोकते हैं.”

यूएन उप महासचिव आमिना जे मोहम्मद ने यूएन मुख्यालय में बुधवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए याद दिलाया कि वो वर्ष 2023 के आरम्भ में अफ़ग़ान यात्रा के दौरान, ऐसी अनेक महिलाओं से मुलाक़ात कर चुकी हैं जो अब प्रतिबन्धों का सामना कर रही हैं और जिनकी आजाविकाएँ ख़त्म हो गई हैं.

महिला स्टाफ़ के समर्थन के लिए तमाम उपाय

उन्होंने कहा, “हम दोहराते हुए कहते हैं कि अफ़ग़ान महिलाएँ और पुरुष दोनों ही, हमारे कामकाज के सभी पहलुओं के लिए बहुत अहम हैं.”

उन्होंने साथ ही बताया कि संयुक्त राष्ट्र, इस कठिन दौर में, अफ़ग़ानिस्तान में तमाम राष्ट्रीय महिला स्टाफ़ को समर्थन देने के लिए सभी सम्भव उपाय कर रहा है.

आमिना जे मोहम्मद ने कहा कि यूएन राष्ट्रीय स्टाफ़ को उनका वेतन मिलता रहेगा, मगर महिलाओं व पुरुषों सहित सभी राष्ट्रीय स्टाफ़ को, अगला स्पष्टीकरण मिलने तक, कार्यालय नहीं आने के लिए कहा गया है.

उन्होंने बताया कि उन्होंने बुधवार सुबह, अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्री के साथ एक बैठक में शिरकत की है और अपना इरादा ज़ाहिर किया कि संयुक्त राष्ट्र नेतृत्व, इस नवीनतम मानवाधिकार हनन का कोई हल निकालने के लिए, तालेबान के प्रतिनिधियों और पड़ोसी देशों के साथ सम्पर्क जारी रखेगा.

यूएन मानवीय सहायता एजेंसी - OCHA की एक महिला स्टाफ़, नंगाहार प्रदेश में एक विस्थापित महिला के साथ बातचीत करते हुए.
© UNOCHA/Charlotte Cans

सर्वाधिक निर्बल, सर्वाधिक प्रभावित

यूएन महासभा अध्यक्ष कसाबा कोरोसी ने भी तालेबान प्रशासन के इस नवीनतम आदेश की कड़ी निन्दा की है और इसे महिलाओं व लड़कियों के मानवाधिकारों का खुला हनन क़रार दिया है.

उन्होंने कहा, “इस निर्णय के परिणामों से, अफ़ग़ान लोगों को नुक़सान पहुँचेगा, विशेष रूप से आबादी का सर्वाधिक निर्बल हिस्सा, सबसे ज़्यादा प्रभावित होगा.”

उन्होंने ध्यान दिलाया कि अफ़ग़ानिस्तान को टिकाऊ विकास के रास्ते पर आगे बढ़ने की ज़रूरत है, और उसके लिए देश को अपनी पूर्ण सम्भावनाओं और क्षमताओं का पूर्ण लाभ उठाना होगा.

अत्यन्त निन्दनीय क़दम

यूएन मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क ने अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों के इस ताज़ा हनन को, एक अति निन्दनीय क़दम क़रार दिया है.

उन्होंने कहा, “यह तालेबान द्वारा अफ़ग़ानिस्तान के तमाम लोगों पर एक व्यवस्थागत और अथक हमला है.”

उन्होंने साथ ही कहा कि ऐसा लगता है कि तालेबान, देश की आधी आबादी को अक्षम बनाने, उसे प्रताड़ित करने और डराने-धमकाने के लिए काम कर रहा है.

मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने देश के नेतृत्व से, महिलाओं के अधिकारों को सीमित करने के लिए लागू की गईं प्रतिबन्धक नीतियों पर, देश के भविष्य की ख़ातिर, फिर से विचार करने का भी आहवान किया है.