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अफ़ग़ानिस्तान: 'तालेबान द्वारा महिला अधिकारों के उल्लंघन के ख़िलाफ़ सुरक्षा परिषद की एकता अनिवार्य'

अफ़ग़ानिस्तान के नूरिस्तान प्रान्त के एक हाई स्कूल में, कुछ छात्राएँ अपनी कक्षा में बैठे हुए. तालेबान के शासन में लड़कियों की शिक्षा पर अनेक तरह की पाबन्दियाँ लगी हैं.
© UNICEF/Sayed Bidel
अफ़ग़ानिस्तान के नूरिस्तान प्रान्त के एक हाई स्कूल में, कुछ छात्राएँ अपनी कक्षा में बैठे हुए. तालेबान के शासन में लड़कियों की शिक्षा पर अनेक तरह की पाबन्दियाँ लगी हैं.

अफ़ग़ानिस्तान: 'तालेबान द्वारा महिला अधिकारों के उल्लंघन के ख़िलाफ़ सुरक्षा परिषद की एकता अनिवार्य'

मानवाधिकार

अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि रोज़ा ओटुनबायेवा ने शुक्रवार को कहा है कि देश में महिलाओं और लड़कियों के बुनियादी अधिकारों को लुप्त करने वाली तालेबान की नीतियों का विरोध करने के लिए सुरक्षा परिषद को एकजुट होना होगा.

यूएन प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक के अनुसार, रोज़ा ओटुनबायेवा ने शुक्रवार को सुरक्षा परिषद की एक गोपनीय बैठक को सम्बोधित करते हुए राजदूतों के सामने दोहराया कि तालेबान द्वारा महिलाओं को विश्वविद्यालय की शिक्षा हासिल करने से रोकने,  लड़कियों के लिए हाई स्कूल की शिक्षा प्राप्ति पर रोक और, महिलाओं को कोई मानवीय सहायता कार्य करने पर भी पाबन्दी लगाने के निर्णय, बुनियादी अधिकारों के गम्भीर उल्लंघन हैं.

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प्रवक्ता ने न्यूयॉर्क स्थित मुख्यालय में पत्रकारों को नियमित प्रैस ब्रीफ़िंग में बताया कि तालेबान ने अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर नियंत्रण स्थापित करने के बाद, देश में उनके कट्टरपंथी शासन में महिलाओं की भूमिका के बारे में दिए गए आश्वासनों को भी पलट दिया है.

सहायता आपूर्ति में बाधा

प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने कहा, “विशेष प्रतिनिधि ने इस तरह के निर्णयों के नकारात्मक प्रभाव को भी रेखांकित किया जिनमें सर्वाधिक तत्काल प्रभाव तो, बेहद ज़रूरतमन्द अफ़ग़ान लोगों तक मानवीय सहायता की आपूर्ति में बाधा के रूप में है.”

प्रवक्ता के अनुसार, रोज़ा ओटुनबायेवा ने इस तरह के निर्णयों के सन्दर्भ में, सुरक्षा परिषद की एकजुटता की ज़रूरत पर ज़ोर दिया.

ग़ौरतलब है कि तालेबान शासन ने महिलाओं पर मानवीय सहायता सामग्री उपलब्ध कराने वाले ग़ैर-सरकारी संगठनों के लिए काम करने पर हाल ही में प्रतिबन्ध लगा दिया था, जिसके बाद बहुत से ग़ैर-सरकारी संगठनों ने जीवनरक्षक मानवीय सहायता की आपूर्ति इस आधार पर स्थगित कर दी है उनके लिए स्थानीय महीलाओं की भागेदारी के बिना, सहायता अभियान चलाना सम्भव नहीं है.

सहायता वितरण प्रभावित

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता कार्यों के समन्वय कार्यालय (OCHA) के अफ़ग़ानिस्तान कार्यालय ने शुक्रवार को एक ट्वीट सन्देश में कहा है कि मानवीय सहायता साझीदार, परिवारों को सर्दियों का सामना करने वाली सामग्री की आपूर्ति कर रहे हैं, मगर महिला सहायताकर्मियों पर पाबन्दियाँ लगाए जाने के कारण, सहायता सामग्री का वितरण, व्यापक रूप से प्रभावित हुआ है.

यूएन प्रवक्ता ने ध्यान दिलाया कि संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशिका कैथरीन रसैल ने भी सुरक्षा परिषद में ताज़ा जानकारी पेश की, जिसमें मुख्य ज़ोर अफ़ग़ानिस्तान में लड़कियों की स्थिति के बारे में रहा.

इस बैठक से पहले, सुरक्षा परिषद के जो सदस्य देश महिलाएँ, शान्ति व सुरक्षा (WPS) एजेंडा के समर्थक व हस्ताक्षरकर्ता हैं, उन्होंने “अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों की ख़तरनाक स्थिति के बारे में गहन चिन्ता व्यक्त करने के लिए”, एक वक्तव्य जारी किया.

उपाय तत्काल पलटे जाएँ

11 देशों ने तालेबान से, महिलाओं व लड़कियों के विरुद्ध सभी दमनात्मक उपायों को तत्काल पलट देने, सुरक्षा परिषद को दिए गए संकल्पों का पालन करने, महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों का सम्मान करने, और अफ़ग़ानिस्तान के समाज के हर क्षेत्र में, उनकी पूर्ण, समान व सार्थक भागीदारी और समावेश सम्भव बनाने का आग्रह किया है, जिनमें राजनैतिक और आर्थिक क्षेत्रों से लेकर शिक्षा व सार्वजनिक क्षेत्र तक शामिल हैं.

यह वक्तव्य, जनवरी महीने के लिए सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष जापान के राजदूत किमिहीरो इशिकाने ने, परिषद के चैम्बर के बाहर जारी किया, जिसमें रेखांकित किया गया है कि मानवीय सहायता अभियानों के लिए महिलाओं की भूमिका, केन्द्रीय और अहम हैं, और वो ऐसी आबादी तक पहुँचने की विशिष्ट महारत रखती हैं, जहाँ पुरुष सहयोगी नहीं पहुँच सकते हैं.