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अफ़ग़ानिस्तान में गम्भीर मानवीय संकट बरक़रार

आठ बच्चों की इस माँ को, अफ़ग़ानिस्तान के बदख्शां प्रांत में अपने बच्चों का पेट भरने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है.
© UNICEF/Mark Naftalin
आठ बच्चों की इस माँ को, अफ़ग़ानिस्तान के बदख्शां प्रांत में अपने बच्चों का पेट भरने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है.

अफ़ग़ानिस्तान में गम्भीर मानवीय संकट बरक़रार

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन और आर्थिक मन्दी से, अफ़ग़ानिस्तान में संकट और गहरा होता जा रहा है. उन्होंने कहा कि लड़कियों को स्कूली कक्षाओं में वापस लाने की दिशा में भी कोई "उत्साहजनक प्रगति" नहीं हुई है.

संयुक्त राष्ट्र के उप विशेष प्रतिनिधि और अफ़ग़ानिस्तान के मानवीय समन्वयक, रमीज़ अलकबरोव ने मंगलवार को न्यूयॉर्क में पत्रकारों को देश की ताज़ा गतिविधियों पर जानकारी दी, जहाँ अब 2 करोड़ 80 लाख लोग जीवित रहने के लिए मानवीय सहायता पर निर्भर हैं.

अपार मानवीय ज़रूरतें

रमीज़ अलकबरोव ने राजधानी काबुल से वीडियोलिंक के ज़रिए वार्ता के दौरान बताया, "अफ़ग़ानिस्तान, तुर्कीये और सीरिया में हाल ही में आए विनाशकारी भूकम्पों के बावजूद, 2023 में दुनिया का सबसे बड़ा मानवीय संकट बना हुआ है."

संयुक्त राष्ट्र और उसके सहयोगी संगठन इस साल, अफ़ग़ान आबादी की सहायता के लिए, 4.6 अरब डॉलर की मांग कर रहे हैं.

रमीज़ अलकबरोव ने बताया कि पिछले 18 महीनों में, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 35 प्रतिशत तक की गिरावट आई है, दैनिक भोजन की लागत में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, और बेरोज़गारी में 40 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.

इसके अतिरिक्त, लोगों की आय का लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा, अब केवल भोजन पर ख़र्च हो रहा है.

लड़कियों का समर्थन

इस बीच, संयुक्त राष्ट्र ने लड़कियों को माध्यमिक विद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने व महिलाओं के स्थानीय एवं अन्तरराष्ट्रीय सहायता एजेंसियों के साथ काम करने पर प्रतिबन्ध लगाने के आदेश के बाद से, तालेबान अधिकारियों के साथ संवाद जारी रखा है.

रमीज़ अलकबरोव ने कहा, "मुझे यह कहते हुए खेद हो रहा है कि लड़कियों की शिक्षा के सम्बन्ध में हमने अभी तक कोई समाचार या कोई उत्साहजनक प्रगति नहीं दिखाई दी है. इसके लिए संयुक्त राष्ट्र की कोशिशें जारी रहेगी."

उन्होंने मानवीय सहायता कार्यों के सम्बन्ध में बताया कि संयुक्त राष्ट्र के राहत प्रमुख, मार्टिन ग्रिफ़िथ्स की जनवरी में हुई यात्रा के बाद तालेबान ने, अपवाद के तौर पर, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्रों में, महिलाओं की भागेदारी की मंज़ूरी दे दी है.

उन्होंने कहा, "स्वास्थ्य क्षेत्र में महिलाओं की भागेदारी पर दी गई छूट में, न केवल चिकित्सा सुविधाएँ शामिल हैं, बल्कि मनोवैज्ञानिक समर्थन, समुदाय-आधारित स्वास्थ्य गतिविधियाँ और पोषण भी शामिल है. और यह कार्यालयों, अस्पतालों, स्वास्थ्य केन्द्रों या मोबाइल टीमों में काम करने वाली सभी महिलाओं पर लागू होता है."

शिक्षा में अन्तर

महिला शिक्षकों के लिए भी स्थिति समान है, जिसके अन्तर्गत ग़ैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के ज़रिए प्रदान की जाने वाली समुदाय-आधारित शिक्षा भी आती है. हालाँकि इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया गया है, लेकिन "कई जगह स्थानीय समाधान" भी अपनाए जा रहे हैं, जो विभिन्न प्रान्तों में अलग-अलग हो सकते हैं.

उन्होंने कहा, "यह स्थानीय समाधान, हमेशा ज़मीनी स्थिति के अनुसार होते हैं - जैसेकि महरम (पुरुष अभिभावक) की उपलब्धता, महिलाओं के लिए पृथक परिवहन की उपलब्धता, और चादर या हिजाब का उपयोग."

हस्तक्षेप और आश्वासन

सहायता वितरण में तालेबान के हस्तक्षेप के बारे में रमीज़ अलकबरोव से प्रश्न पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि पिछले चार महीनों में कम से कम दो प्रान्तों में हुए कुछ "गम्भीर मामलों" के बाद वितरण बन्द कर दिया गया था. मुद्दों का हल होने पर ही वितरण फिर शुरू किया गया.

उन्होंने कहा, "पहुँच और कार्यक्रमों के अस्थाई स्थगन का कारण बन रहीं अधिकांश घटनाएँ, राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय एनजीओ के लिए काम करने वाली अफ़ग़ान महिलाओं के ख़िलाफ़ निर्देशों व उनसे जुड़े मामलों से सम्बन्धित हैं."

उन्होंने कहा, "इनका सुरक्षा के मुद्दों से कोई लेना-देना नहीं है, और हमें पूरे देश में पूर्ण रूप से भौतिक पहुँच हासिल हैं."

इस प्रश्न के उत्तर में कि संयुक्त राष्ट्र कैसे सुनिश्चित करता है कि धनराशि तालेबान को न पहुँचे, रमीज़ अलकबरोव ने भुगतान सत्यापन प्रणाली और तीसरे पक्ष की निगरानी जैसे कुछ जोखिम प्रबन्धन एवं न्यूनीकरण तंत्र रेखांकित किए.

पूर्ण मानवाधिकार 

लाभार्थी इसके अतिरिक्त, संयुक्त राष्ट्र के साथ हॉटलाइन और अन्य माध्यमों से भी संवाद कर सकते हैं, जिसमें "शिकायत करना, जोखिम की चेतावनी देना, या मुख़बिर बनना भी शामिल है."

वरिष्ठ सहायता अधिकारी से शिक्षा और मानवीय प्रतिबन्धों पर तालेबान नेतृत्व के भीतर कथित विभाजन के बारे में भी पूछा गया, लेकिन उन्होंने इस बारे में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

इसकी बजाय, उन्होंने सत्ता पर क़ाबिज़ अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया कि अफ़ग़ान लड़कियों और महिलाओं को, समाज का पूर्ण सदस्य होने का अधिकार हो, जिसमें कामकाज, शिक्षा एवं स्वास्थ्य देखभाल व अन्य सेवाओं तक पहुँच शामिल है.