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लिंग आधारित हिंसा पर आयोजित एक बैठक में भाग लेती रोहिंज्या शरणार्थी, हसीना बेगम और समुदायिक स्वयंसेवक. हसीना बेगम, कुतुपालोंग शरणार्थी शिविर में, महिलाओं के बीच जागरूकता बढ़ाने और हिंसा को रोकने के लिये काम करती हैं.

बांग्लादेश: रोहिंज्या शिविरों में लिंग आधारित हिंसा से मुक़ाबला

© UNHCR/Saikat Mojumder
लिंग आधारित हिंसा पर आयोजित एक बैठक में भाग लेती रोहिंज्या शरणार्थी, हसीना बेगम और समुदायिक स्वयंसेवक. हसीना बेगम, कुतुपालोंग शरणार्थी शिविर में, महिलाओं के बीच जागरूकता बढ़ाने और हिंसा को रोकने के लिये काम करती हैं.

बांग्लादेश: रोहिंज्या शिविरों में लिंग आधारित हिंसा से मुक़ाबला

प्रवासी और शरणार्थी

बांगलादेश के भीड़-भरे रोहिंज्या शरणार्थी शिविरों में यूएन शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) समर्थित कार्यक्रम के ज़रिये, युवा रोहिंज्या पुरुष और महिलाएँ, अपने साथियों के व्यवहार में बदलाव लाकर, लिंग आधारित हिंसा की रोकथाम के प्रयास कर रहे हैं, जिनके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं.

बांग्लादेश में, दुनिया के सबसे बड़े शरणार्थी शिविर, कुटुपलोंग में कुछ रोहिंज्या शरणार्थियों के लिये रात का अन्धकार, भय लेकर आता है. अक्सर यही वो समय होता है, जब पुरुष अपने दिन भर के तनाव का शिकार महिला को बनाकर, हिंसा पर उतर आता है. पतली तिरपाल और बाँस की दीवारों से बने इन आश्रय स्थलों के कारण पड़ोसियों को भी मालूम हो जाता है कि अन्दर क्या चल रहा है.

वर्ष 2017 में, म्याँमार में हिंसा से बचकर भागे सैकड़ों-हज़ारों रोहिंज्या लोगों के आगमन से हुए जनसंख्या विस्फोट के बाद से ही, यहाँ लिंग आधारित हिंसा एक गम्भीर समस्या बनी हुई है.

लगभग 6 लाख 50 हज़ार शरणार्थी अब केवल 13 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में गुज़र-बसर करने को मजबूर हैं. आय अर्जित करने के कम अवसर, सीमित शिक्षा, एकान्त की कमी और प्रेरणा स्रोत न होने के कारण पुरुष अक्सर महिलाओं पर अपनी कुंठा निकालते हैं.

इस हिंसा के साथ अनेक अन्य हानिकारक प्रथाएँ भी आम हो गई हैं, मसलन मानव तस्करी, बाल विवाह और अन्य देशों की ख़तरनाक तरीक़े से यात्राएँ. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर, इन सभी मुद्दों का सामना करने की कोशिश कर रही है.

इस सबके बीच एक पहल उम्मीद की किरण जगाती है. यूएनएचसीआर और भागीदारों द्वारा प्रशिक्षित और प्रेरित, युवा शरणार्थी पुरुषों व महिलाओं के समूह इन हानिकारक व्यवहारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये एकजुट हुए हैं.

SASA, गर्ल्स शाइन और मेल रोल मॉडल, जैसे विभिन्न कार्यक्रमों से जुड़े युवा स्वयंसेवक, इससे मक़सद व सन्तुष्टि के साथ-साथ, मामूली धनराशि भी अर्जित करते हैं. और इसके सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं.

रोहिंज्या शरणार्थी और सामुदायिक स्वयंसेवक, मोहम्मद जबेर, बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार स्थित शरणार्थी शिविर में रहे पुरूषों को लिंग आधारित हिंसा के बारे में जागरूक करने के लिये प्रयासरत हैं.
© UNHCR/Saikat Mojumder
रोहिंज्या शरणार्थी और सामुदायिक स्वयंसेवक, मोहम्मद जबेर, बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार स्थित शरणार्थी शिविर में रहे पुरूषों को लिंग आधारित हिंसा के बारे में जागरूक करने के लिये प्रयासरत हैं.

ये स्वयंसेवक, मस्जिदों, चाय की दुकानों, सामुदायिक केन्द्रों और घर-घर जाकर अपने समुदायों के साथ जानकारी साझा करते हैं. वो कभी-कभी कुछ मामलों को, धार्मिक या शिविर के नेताओं की मध्यस्थता के लिये भी भेजते हैं.

स्वयंसेवकों ने, बाल विवाह में कमी लाने हेतु, शिविर अधिकारियों के साथ सम्पर्क करने के लिये एक समिति बनाने की भी पैरोकारी की है.

हाल ही में एक जागरूकता सत्र में, SASA के एक पुरुष सदस्य, 22 वर्षीय मोहम्मद जबेर ने बताया कि उन्होंने कैसे सकारात्मक उद्देश्यों के लिये अपनी "शक्ति" का उपयोग करना सीखा.

जबेर ने कहा, "जब मैं यहाँ आया, तो मैं कुछ भी कामकाज नहीं करता था, बस घूमता रहता था."

SASA के ज़रिये उन्होंने बल के दुरुपयोग और घरेलू हिंसा के बारे में जाना. “मैं अपने छोटे भाई-बहनों को पीटता था. मुझे अहसास हुआ कि यह ग़लत था और अब मैं अपनी अन्दरूनी ताक़त समुदाय की मदद के लिये इस्तेमाल करता हूँ.

रोहिंग्या शरणार्थी और सामुदायिक स्वयंसेवक, ब्यूटी अथर, बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार स्थित शरणार्थी शिविर में, रोहिंज्या महिलाओं के बीच लिंग आधारित हिंसा के बारे में जागरूकता फैलाने का काम करती है.
© UNHCR/Saikat Mojumder
रोहिंग्या शरणार्थी और सामुदायिक स्वयंसेवक, ब्यूटी अथर, बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार स्थित शरणार्थी शिविर में, रोहिंज्या महिलाओं के बीच लिंग आधारित हिंसा के बारे में जागरूकता फैलाने का काम करती है.

सासा की एक महिला सदस्य, 25 वर्षीया ब्यूटी अथर ने अपने पति में आए बदलावों का ज़िक्र किया.

उन्होंने बताया, “इससे पहले, मेरे पति कोई काम नहीं करते थे. वो जुआ खेलते थे और हिंसक प्रवृत्ति के थे. SASA में शामिल होने के बाद मैं उन्हें शिक्षित करने में सक्षम हुई."

"अब वह बदल गए हैं. अगर मैं बीमार हूँ, तो वह मेरे लिये खाना बनाते हैं, या अगर बच्चे बीमार हैं, तो उन्हें क्लीनिक ले जाते हैं. इससे पहले लोग, इस हिंसा के, अपने परिवारों पर पड़ने वाले प्रभाव को कभी नहीं समझ पाए थे. लेकिन हमारे कार्यक्रम के कारण लोग बेहतर समझ रहे हैं और बदल रहे हैं.”

पुरुष स्वयंसेवक, अपने नैटवर्क के माध्यम से या ख़ुद एकत्र की हुई जानकारी के ज़रिये, हिंसा करने वालों की पहचान करते हैं, और निजी तौर पर उनसे सम्पर्क करके, उनका विश्वास अर्जित करते है. कभी चाय पीते या सुपारी खाते हुए, उन्हें यह समझाने की कोशिश करते हैं कि उनका व्यवहार कितना हानिकारक है.

'मेल रोल मॉडल' के एक सदस्य, मोहम्मद ने बताया, "हमारा काम, पुरुषों का विश्वास जीतकर, उन्हें जागरूक बनाना है. शुरुआती दिनों में, बहु-विवाह का चलन था, और इसलिये कम उम्र में शादी और साथी द्वारा अन्तरंग हिंसा भी आम थी. हम इसके नतीजे समझाने की कोशिश कर रहे हैं. इसका मतलब यह भी है कि हम समुदाय के लिये कुछ रचनात्मक करने में सक्षम है.”

अनेक पुरुषों ने बताया कि कैसे, कार्यक्रम में शामिल होने के बाद से, उन्होंने घर में मदद करना, सब्ज़ियाँ काटना या पानी भरना भी शुरू कर दिया था.

एक व्यक्ति ने बताया कि इससे उसे समझ आया कि उसकी पत्नी एक शिक्षक-स्वयंसेवक बन सकती है, जो पहले कभी उसके विचार में भी नहीं आया था. उन्होंने कहा, 'हमें अभी लम्बा रास्ता तय करना है. हमें और मदद चाहिये, और अधिक प्रशिक्षकों के लिये प्रशिक्षण."

यूएनएचसीआर ने पिछले पाँच वर्षों में कॉक्सेस बाज़ार में 17 शिविरों में लिंग आधारित हिंसा से बचे लोगों के लिए 47 सेवा बिन्दु स्थापित किए हैं, जो मामले के प्रबन्धन, मनोसामाजिक समर्थन और दीगर देखभाल के लिए भेजने की पेशकश करते हैं.

लिंग आधारित हिंसा की रोकथाम और जवाबी कार्रवाई पर एक हज़ार से अधिक सामुदायिक स्वयंसेवक काम कर रहे हैं. महिलाओं और लड़कियों के सुरक्षित स्थान एक गोपनीय आश्रय प्रदान करते हैं, जबकि सामुदायिक सहभागिता केन्द्र पुरुषों को तनाव कम करने और मुद्दों के बारे में जानने की अनुमति देते हैं.

लगभग 27 हज़ार रोहिंज्या लोगों की मेज़बानी करने वाले भासन चार द्वीप में इस तरह की गतिविधियाँ जारी हैं.

लिंग आधारित हिंसा की रोकथाम और जवाबी कार्रवाई पर 1,000 से अधिक सामुदायिक स्वयंसेवक काम कर रहे हैं.
© UNHCR/Saikat Mojumder
लिंग आधारित हिंसा की रोकथाम और जवाबी कार्रवाई पर 1,000 से अधिक सामुदायिक स्वयंसेवक काम कर रहे हैं.

यूएनएचसीआर, इन कार्यक्रमों के अधिक समर्थन के लिये, समय-समय पर अपील करता रहा है. बांग्लादेश में UNHCR , धनराशि की कमी का सामना कर रहा है - जहाँ अपनी 2022 के लिये, साढ़े 28 करोड़ अमेरिकी डॉलर की धनराशि की ज़रूरतों का केवल 42 प्रतिशत हिस्सा प्राप्त हुआ है, जिससे इन कार्यक्रमों को आगे बढ़ाना मुश्किल हो सकता है.

SASA की एक सदस्य ब्यूटी अथर कहती हैं कि कार्यक्रम से व्यवहार परिवर्तन में बहुत प्रगति हुई है. वो आग्रह करती हैं कि इसे "समुदाय के भविष्य की भलाई की ख़ातिर "जारी रखा जाए.

मोहम्मद जबेर ने अपना रवैया बदल लिया है और वो भविष्य को लेकर उत्साहित है, "जब मेरी शादी होगी, तो मैं अपने परिवार के साथ अच्छे सम्बन्ध रखना चाहूंगा, और कभी भी अपनी पत्नी पर बल-प्रयोग नहीं करुंगा. मैं उनके साथ सकारात्मक तरीक़े से पेश आऊंगा.”

वो कहते हैं, "महिलाओं का सम्मान करना और उनके साथ अच्छा व्यवहार करना महत्वपूर्ण है."

यह लेख पहले यहाँ प्रकाशित हुआ.