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ख़तरनाक समुद्री यात्राएँ करने के लिये मजबूर रोहिंज्या शरणार्थियों की रक्षा की पुकार

बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार के तट पर रोहिंज्या शरणार्थियों को सुरक्षित उतारा जा रहा है. (फ़ाइल)
© UNICEF/Patrick Brown
बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार के तट पर रोहिंज्या शरणार्थियों को सुरक्षित उतारा जा रहा है. (फ़ाइल)

ख़तरनाक समुद्री यात्राएँ करने के लिये मजबूर रोहिंज्या शरणार्थियों की रक्षा की पुकार

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) वोल्कर टर्क ने सुरक्षा व शरण की तलाश में, समुद्र में जोखिम भरी यात्राएँ के लिये मजबूर होने वाले हज़ारों हताश रोहिंज्या लोगों की रक्षा के लिए, एक समन्वित क्षेत्रीय दृष्टिकोण अपनाए जाने का आहवान किया है. साथ ही, उन्होंने वर्ष 2023 के लिये अपने सन्देश में सर्वजन के लिये गरिमामय जीवन सुनिश्चित करने की पुकार लगाई है. 

उन्होंने शुक्रवार को जारी अपने एक वक्तव्य में क्षोभ प्रकट किया कि वर्ष 2022 में दो हज़ार 400 से अधिक रोहिंज्या लोगों को, बांग्लादेश और म्याँमार छोड़ने के लिये मजबूर होना पड़ा.

“मैं समुद्री मार्ग से यात्रा कर रहे 200 लोगों की मौत की ख़बरों से बेहद निराश हूँ.”

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समाचारों के अनुसार, रोहिंज्या लोगों से भरी नावों पर, क्षमता से अधिक लोग सवार रहते हैं, जोकि असुरक्षित हैं, और फिर उन्हें बिना किसी मदद के कई दिनों तक समुद्र में फँसे रहना पड़ता हैं.

म्याँमार के राख़ीन प्रान्त में अगस्त 2017 में भड़की हिंसा की वजह से एक गम्भीर मानवीय संकट पैदा हो गया, जिसके बाद लाखों रोहिंज्या लोगों ने शरण के लिये अन्य देशों का रुख़ किया.

सुरक्षित शरण व बेहतर अवसरों की तलाश में उन्हें अक्सर ख़तरों भरे समुद्री मार्ग से यात्रा करने के लिये मजबूर होना पड़ता है.

वोल्कर टर्क के अनुसार, “समुद्र में जिस तरह ये संकट गहराता जा रहा है, मैं क्षेत्र में स्थित सभी देशों से ये आग्रह करता हूँ कि सक्रियतापूर्ण खोज एवं बचाव प्रयास सुनिश्चित करने, रोहिंज्या शरणार्थियों को सुरक्षित ढंग से उनके क्षेत्रों में उतारे जाने, और उनके प्रभावी संरक्षण के लिये समन्वय तंत्र को स्थापित किया जाए.”

मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा कि वर्ष 2017 से लगभग 10 लाख रोहिंज्या शरणार्थियों की मेज़बानी कर रहे बांग्लादेश की सहायता के लिये क्षेत्र में स्थित व अन्य देशों को आगे आना होगा.

उन्होनें कहा कि एक ऐसे समाधान की आवश्यकता है जिसकी मदद से पूर्ण सम्मान व गरिमा के साथ, मानवाधिकारों का उल्लंघन किये बिना व म्याँमार के नागरिक अधिकार सुनिश्चित करते हुए, रोहिंज्या लोगों की स्वेच्छापूर्ण घर वापसी हो सके.

2023 के लिये सन्देश

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने नव-वर्ष 2023 के लिये अपने सन्देश में आशा जताई कि हम सभी व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से दयालुता, सहानुभूति और एकता के साथ अपना जीवन जी सकेंगे.

उन्होंने ध्यान दिलाया कि यदि मानवाधिकारों की रक्षा छोटे स्थलों में नहीं की जा सकती, तो उनका कहीं और होने का अर्थ नहीं है.

मानवाधिकार उच्चायुक्त ने घरों और सार्वजनिक जीवन में महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों की रक्षा किये जाने की पैरवी की, और कहा कि उन्हें पूर्ण समानता और भेदभाव से मुक्ति मिलनी चाहिये.

वोल्कर टर्क के अनुसार अतीत में की गई ग़लतियों को, बच्चों को बताना, समझाना होगा, ताकि एक ऐसी बेहतर दुनिया का निर्माण किया जा सके, जहाँ विविधता का उत्सव हो, और यह इत्मीनान हो कि एक दूसरे से अलग होने के बजाय, हम साथ मिलकर अधिक शक्तिशाली हैं.

सम्मान भाव से असहमति

वोल्कर टर्क ने ऑनलाइन माध्यमों पर अभिव्यक्ति के एक ऐसे भविष्य की उम्मीद ज़ाहिर की है, जोकि नफ़रत व भेदभाव से दूर होगा, और जहाँ अन्य मतों व विचारों के साथ सम्मानजनक ढंग से असहमति व्यक्त की जा सकेगी.

“मुझे आशा है कि हमारी साझा मानवता हमारी दिग्दर्शक होगी.”

साथ ही, उन्होंने प्रकृति के साथ भी दयालुता व सौम्यतापूर्ण बर्ताव किये जाने की अपील की है, और कहा कि यह सुनिश्चित करना होगा कि पर्यावरण की रखवाली, हम सभी के मानवाधिकारों पर आधारित हो.

वोल्कर टर्क के अनुसार, अगले वर्ष मानवाधिकारों के सार्वभौमिक घोषणापत्र की 75वीं वर्षगाँठ है, और इस क्रम में, हम सभी को एक गरिमामय विश्व को साकार करने के प्रयास जारी रखने होंगे, जहाँ सभी के अधिकारों का सम्मान हो.