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म्याँमार: सामूहिक रोहिंज्या पलायन के पाँच साल; UNHCR ने की - समाधान की अपील

बांग्लादेश ने, म्याँमार में हिंसा और उत्पीड़न के पाँच अलग-अलग दौर के बाद वहाँ से भागे रोहिंज्या शरणार्थियों को अपने यहाँ शरण मुहैया कराई है.
© UNICEF/Siegfried Modola
बांग्लादेश ने, म्याँमार में हिंसा और उत्पीड़न के पाँच अलग-अलग दौर के बाद वहाँ से भागे रोहिंज्या शरणार्थियों को अपने यहाँ शरण मुहैया कराई है.

म्याँमार: सामूहिक रोहिंज्या पलायन के पाँच साल; UNHCR ने की - समाधान की अपील

प्रवासी और शरणार्थी

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी - UNHCR ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से अधिक समर्थन की अपील करते हुए कहा कि इस सप्ताह उस घटना को पाँच साल पूरे हो जाएंगे, जब म्याँमार में सैन्य उत्पीड़न से बचने के लिये, 7 लाख से अधिक रोहिंज्या लोग, पड़ोसी देश बांग्लादेश भाग आए थे.

यूएनएचसीआर की प्रवक्ता, शाबिया मण्टू ने मंगलवार को जिनीवा में एक प्रैस वार्ता में पत्रकारों से कहा, "म्याँमार से इस नवीनतम पलायन के बाद, अब इसे आधिकारिक तौर पर एक दीर्घकालिक स्थिति मान लिया गया है."

राहत पहुँचाने के लिये मुस्तैद

बांग्लादेश सरकार, स्थानीय समुदाय और सहायता एजेंसियाँ, इस मानवीय संकट की शुरुआत से ही, वर्तमान में दुनिया के सबसे बड़े शरणार्थी शिविर में रूप में जाने-जाने वाले, कॉक्सेस बाज़ार में पहुँचने वाले शरणार्थियों की सहायता करने में मुस्तैदी से जुटे हैं.
  
वहाँ रह रहे बहुत से रोहिंज्या शरणार्थी, यूएन शरणार्थी एजेंसी को बताते रहते हैं कि वे वापस अपने घर म्याँमार लौटना चाहते हैं,लेकिन इसके लिये सुरक्षित, सम्मानजनक व स्थाई वापसी और आवाजाही की स्वतंत्रता, दस्तावेज़ों तक पहुँच एवं नागरिकता सुनिश्चित करना ज़रूरी होगा.

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साथ ही वे समस्त सेवाओं और आय-सृजन के माध्यमों तक पहुँच हासिल करने के महत्व को भी रेखांकित करते हैं.

सहायता पर निर्भर

लगभग दस लाख विस्थापित रोहिंज्या शरणार्थी, बांग्लादेश में अत्यधिक भीड़-भरे शिविर में रहने को मजबूर हैं, और जीवित रहने के लिये पूरी तरह मानवीय सहायता पर निर्भर हैं.

अनेक मानवीय मूल्यांकन सर्वेक्षणों में यह स्पष्ट हुआ है कि उचित पोषण, आश्रय सामग्री, स्वच्छता सुविधाएँ और आजीविका के अवसर जैसी उनकी सामान्य आवश्यकताएँ भी पूरी नहीं हो पाती हैं.

प्रवक्ता शाबिया मण्टू ने उनका हवाला देते हुए कहा, "उन्हें धन की कमी के कारण, अपने दैनिक जीवन में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है." 

"इनमें से कुछ लोगों ने बेहतर भविष्य के लिये ख़तरनाक नावों से यात्रा की हैं.”

यूएनएचसीआर के प्रवक्ता ने यह भी बताया कि विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों और विकलांग लोगों से सम्बन्धित हिंसक घटनाएँ भी कम ही रिपोर्ट होती हैं.

उन्होंने कहा कि बच्चों और महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा, विशेष रूप से लिंग आधारित हिंसा, "पूर्वाग्रहों से ग्रसित" है, जिससे पीड़ितों की आवाज़ दब जाती है, और वे अक्सर क़ानूनी, चिकित्सा, मनो-सामाजिक या अन्य प्रकार की सहायता तक पहुँचने में असमर्थ होती हैं.

शिक्षा ज़रूरतें

UNHCR की प्रवक्ता ने कहा कि शिक्षा, कौशल विकास और आजीविका के अवसरों के लिये समर्थन "तेज़" किया जाना चाहिये.

उन्होंने याद दिलाया कि इससे न केवल शरणार्थियों को आख़िरकार घर वापसी के लिये तैयार किया जा सकेगा, बल्कि बांग्लादेश में वो सुरक्षित महसूस करेंगे और यहाँ रहते हुए उत्पादक भूमिका निभा सकेंगे. 

जबकि बांग्लादेश में लगभग 10 हज़ार रोहिंज्या बच्चे पहले से ही, म्याँमार भाषा में पढ़ाए जाने वाले म्याँमार पाठ्यक्रम में दाखिला लिये हुए हैं,  लेकिन पाठ्यक्रम तक निरन्तर एवं विस्तारित पहुँच के लिये सहयोग की आवश्यकता है.

यूएनएचसीआर की प्रवक्ता ने कहा, "यह अधिक औपचारिक शिक्षा की दिशा में एक मील का पत्थर है और बड़े बच्चों के लिये अन्तर को पाटने में मदद करता है, जिनके पास पहले सीखने के अवसर नहीं थे."

कौशल विकास

UNHCR यह सुनिश्चित करने के लिये अधिक निवेश की अपील कर रहा है कि शरणार्थी कौशल विकास से लाभ पा सकें, जिसमें व्यावसायिक प्रशिक्षण समेत, किशोर व वयस्क शरणार्थियों की क्षमता निर्माण के अन्य रूप शामिल हैं.

शरणार्थियों को अपने समुदायों का समर्थन करने और बांग्लादेश में सम्मान के साथ रहने की अनुमति देने के अलावा, इससे उन्हें पिछले साल तख़्तापलट के बाद क्रूर सैन्य शासन के अधीन म्याँमार में, स्वेच्छा से एवं सुरक्षित रूप से वापस लौटने पर, जीवन पुनर्बहाल करने में भी मदद मिलेगी. 

पूर्वी बांग्लादेश के टेकनाफ़ में नयापारा शरणार्थी शिविर में, बारिश के बाद खेलते रोहिंज्या बच्चे.
© UNHCR/Amos Halder
पूर्वी बांग्लादेश के टेकनाफ़ में नयापारा शरणार्थी शिविर में, बारिश के बाद खेलते रोहिंज्या बच्चे.

समर्थन महत्वपूर्ण

हालाँकि रोहिंज्या शरणार्थियों के लिये जीवन रक्षक सुरक्षा व सहायता सेवाएँ प्रदान करने में अन्तरराष्ट्रीय सहयोग महत्वपूर्ण है और रहा है, लेकिन ज़रूरतों के मुताबिक़ अभी भी धन की उपलब्धता बहुत कम है.

यूएनएचसीआर के अनुसार, 2022 की सहायता योजना में रोहिंज्या शरणार्थियों और 5 लाख से अधिक सबसे अधिक प्रभावित मेजबान समुदायों सहित 14 लाख लोगों के लिये, 88 करोड़ 10 लाख से अधिक की मांग की गई है. मगर इसमें से केवल 49 प्रतिशत वित्त पोषित है, जिसमें  42 करोड़ 62 लाख डॉलर की धनराशि प्राप्त हुई है.

प्रवक्ता शाबिया मण्टू ने  स्वैच्छिक, सुरक्षित, सम्मानजनक और स्थाई वापसी के लिये परिस्थितियाँ बनाने हेतु राजनीतिक सम्वाद एवं राजनयिक प्रयास "दोगुना" करने पर ज़ोर देते हुए कहा, "अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को यह सुनिश्चित करने के लिये और अधिक प्रयास करने होंगे कि रोहिंज्या लोगों को विस्थापन में ही जीवन ना गुज़ारना पड़े."