ईरान परमाणु समझौते की बहाली के लिये प्रयासों व संयम की दरकार
संयुक्त राष्ट्र के राजनैतिक और शान्ति निर्माण मामलों की प्रमुख रोज़मैरी डीकार्लो ने कहा है कि ईरान के परमाणु समझौते को बहाल करने में, कूटनैतिक सम्पर्क व सम्वादों के बावजूद, राजनैतिक और तकनीकी मतभेदों के कारण बाधाएँ जारी हैं.
ईरान परमाणु समझौते को औपचारिक रूप से संयुक्त कार्रवाई योजना (JCPOA) के नाम से जाना जाता है जो 2015 में, ईरान, अमेरिका, चीन, फ्रांस, रूस और ब्रिटेन के बीच हुआ था.
The #JCPOA was a triumph for non-proliferation and multilateralism. Are we ready to see the painstaking efforts of many years slip away? I hope Iran and the US will build on the last few days of talks facilitated by the European Union to resolve any remaining issues. https://t.co/PeN3OUb7Rx
DicarloRosemary
इस समझौते में ईरान भी, ख़ुद पर लगे हुए प्रतिबन्धों में राहत दिये जाने के बदले में, अपने परमाणु कार्यक्रम के अधिकतर हिस्से को विघटित करने और अपने परमाणु स्थलों को अन्तरराष्ट्रीय निगरानी के लिये खोलने पर सहमत हुआ था.
वर्ष 2018 में तत्कालीनी अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने अपने देश को इस समझौते से हटा लिया था और ईरान पर प्रतिबन्ध बहाल कर दिये थे.
यूएन राजनैतिक मामलों की प्रमुख रोज़मैरी डीकार्लो ने गुरूवार को कहा, “अति महत्वपूर्ण ईरान परमाणु समझौता हासिल करने में पक्के इरादे वाली कूटनीति ने काम किया था. इस समझौते को फिर से बहाल करने में अतिरिक्त प्रयास और संयम की ज़रूरत होगी.”
वैसे तो इस समझौते को बहाल करने के प्रयास नवम्बर 2021 में शुरू हो गए थे, रोज़मैरी डीकार्लो ने कहा कि इस मुद्दे को सुलझाने के पक्के इरादे के बावजूद, अमेरिका और अन्य पक्षों को अभी, इस योजना, और सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव संख्या 2231 के प्रभावशाली क्रियान्वयन की तरफ़ लौटना होगा.
दोनों पक्षों से अपील
रोज़मैरी डीकार्लो ने यूएन महासचिव के साथ मिलकर ईरान व अमेरिका से, इस समझौते के तहत सहयोग बहाल करने के लिये, पूर्ण भावना व संकल्प के साथ त्वरित रूप से सक्रिय होने का आग्रह किया.
संयुक्त राष्ट्र के दोनों वरिष्ठ अधिकारियों ने अमेरिका द्वारा फ़रवरी 2022 में परमाणु अप्रसार परियोजनाओं पर रियायतों की बहाली का स्वागत किया और जैसाकि इस समझौते में प्रावधान है - ईरान पर से देश के प्रतिबन्ध भी हटाए जाने, और तेल व्यापार रियायतों का दायरा बढ़ाने की भी अपील की.
दोनों वरिष्ठ अधिकारियों ने ईरान से भी उन क़दमों को पलटने का आग्रह किया जो इस योजना के तहत व्यक्त किये गए संकल्पों से मेल नहीं खाते हैं.
संवर्धन की निगरानी
ऐसे में जबकि अन्तरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ईरान में संवर्धित यूरेनियम के भण्डारों की पुष्टि करने में असमर्थ रही है, अनुमान है कि ईरान समझौते के तहत अनुमति से - 15 गुना ज़्यादा मात्रा मौजूद है, जिसमें 20 और 60 प्रतिशत संवर्धित यूरेनियम भी शामिल है, जिसे रोज़मैरी डी कार्लो ने “अत्यन्त चिन्ताजनक” क़रार दिया.
अन्तरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के महानिदेशक रफ़ाएल ग्रॉस्सी ने सुरक्षा परिषद को सूचित किया कि ईरान की परमाणु कार्यक्रम की शान्तिपूर्ण प्रकृति की पुष्टि करने की एजेंसी की सामर्थ्य, परमाणु समझौते के पूर्ण व प्रभावशाली क्रियान्वयन के लिये अति महत्वपूर्ण है.
बेहतकर सम्बन्ध है कुंजी
रोज़मैरी डीकार्लो के अनुसार ईरान के साथ सम्बन्ध बेहतर करने के लिये द्विपक्षीय और क्षेत्रीय पहलें, एक कुंजी है और उन्हें प्रोत्साहित किया जाना चाहिये व उन पर आधारित आगे के क़दम उठाए जाने चाहिये.
इसके अतिरिक्त, सदस्य देशों और निजी क्षेत्र से भी ईरान के साथ उपलब्ध व्यापार अवसरों का लाभ उठाने का आग्रह किया गया है, साथ ही, ईरान से भी उसके परमाणु मुद्दों पर प्रस्ताव संख्या 2231 (2015) से सम्बन्धित चिन्ताओं पर ध्यान देने का आग्रह किया गया है.
यूएन राजनैतिक प्रमुख ने कहा – हमें आशा है कि कूटनीति सफल होगी.
बहुपक्षवाद की जीत
संयुक्त राष्ट्र के राजनैतिक मामलों की मुखिया रोज़मैरी डीकार्लो का कहना था, “ईरान समझौता परमाणु अप्रसार और बहुपक्षवाद की एक जीत थी.”
अलबत्ता, उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि अनेक वर्षों की अनिश्चितता का बाद अब ये योजना, “एक अतिमहत्वपूर्ण पड़ाव” है, और उन्होंने ईरान व अमेरिका से शेष मुद्दों के हल करने के लिये, हाल में बनी गतिशीलता से लाभ उठाने के लिये प्रोत्साहित किया.
उन्होंने कहा, “महासचिव अब आश्वस्त हैं कि तमाम सदस्य देशों के लिये एक दीर्घकालीन शान्ति व सुरक्षा का एक ही रास्ता है, और वो है सम्वाद व सहयोग पर आधारित. हमें उम्मीद है कि कूटनीति की जीत होगी.”