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यूक्रेन: सुरक्षा परिषद की आपात बैठक में सदस्यों के बीच बहस

यूक्रेन संकट के मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की देर रात बैठक.
© UN Photo/Mark Garten
यूक्रेन संकट के मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की देर रात बैठक.

यूक्रेन: सुरक्षा परिषद की आपात बैठक में सदस्यों के बीच बहस

शान्ति और सुरक्षा

यूक्रेन पर रूस के हमले की निन्दा करने के लिये, शुक्रवार रात, सुरक्षा परिषद में एक मसौदा प्रस्ताव पेश किया गया जिसे रूस ने वीटो कर दिया और प्रस्ताव पारित नहीं हो सका. ऐसा पहले से अपेक्षित था. बैठक में सुरक्षा परिषद के विभिन्न सदस्यों के बीच तीखी नोंक-झोंक भी हुई...

"सैद्धान्तिक रुख़"

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की स्थाई प्रतिनिधि लिण्डा थॉमस-ग्रीनफ़ील्ड ने प्रस्ताव का मसौदा पेश करते हुए, यूक्रेन पर रूस के हमले की एक तस्वीर पेश की और कहा कि ये हमला “इतना दुस्साहसिक व निर्लज्जतापूर्ण” है कि इसने अन्तरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिये ही जोखिम उत्पन्न कर दिया है, “जैसाकि हम देख रहे हैं.”

उन्होंने कहा कि “हमारी एक पक्की ज़िम्मेदारी है कि हम नज़रें ना फेरें.” उन्होंने साथ ही ज़ोर दिया कि रूस को जवाबदेह ठहराया जाए और इसकी तमाम सेनाएँ, तत्काल, पूर्ण रूप से और बिना शर्त वापिस लौटें.

लिण्डा थॉमस-ग्रीनफ़ील्ड ने कहा, “आज हम इस परिषद में एक सैद्धान्तिक रुख़ अपना रहे हैं. कोई धूमिल धरातल नहीं है,“ ज़िम्मेदार देश अपने पड़ोसी देशों पर हमला नहीं करते हैं.

जवाबदेही वीटो नहीं हो सकती

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की स्थाई प्रतिनिधि (राजदूत) लिण्डा थॉमस-ग्रीनफ़ील्ड, यूक्रेन स्थिति पर सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए.
UN Photo/Mark Garten
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की स्थाई प्रतिनिधि (राजदूत) लिण्डा थॉमस-ग्रीनफ़ील्ड, यूक्रेन स्थिति पर सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए.

प्रस्ताव विफल हो जाने के बाद, लिण्डा थॉमस-ग्रीनफ़ील्ड ने, फिर से अपनी बात रखने के लिये माइक संभाला, और कहा, “आप इस प्रस्ताव को वीटो कर सकते हैं, मगर आप हमारी आवाज़ों को वीटो नहीं कर सकते; आप सत्य को वीटो नहीं कर सकते; आप हमारे सिद्धान्तों को वीटो नहीं कर सकते; आप यूक्रेन के लोगों को वीटो नहीं कर सकते; आप यूएन चार्टर को वीटो नहीं कर सकते... और आप जवाबदेही को वीटो नहीं करेंगे.”

अमेरिकी राजदूत ने कहा कि एक सदस्य देश की “लापरवाह और ग़ैरज़िम्मेदार” कार्रवाइयों के बावजूद, अमेरिका, रूसी हमले के विरुद्ध यूक्रेन के लोगों के साथ एकजुट रहेगा.

“नग्न आक्रमण”

ब्रिटेन की राजदूत डैम बारबरा वुडवर्ड ने बयान किया कि यूक्रेन भर में महिलाएँ, बच्चे और बुज़ुर्ग, किस तरह रूसी हमले से बचने की कोशिश कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि मसौदा प्रस्ताव “दुनिया को एक सन्देश भेजता है कि जो नियम, हमने एक साथ मिलकर बनाए, उनकी हिमायत करनी होगी, क्योंकि अन्यथा, किसी को नहीं मालूम, अगला नम्बर किसका हो.”

ब्रितानी राजदूत ने कहा कि यूक्रेन में सरकार को बेदख़ल करने के लिये, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का हमला, एक “नग्न आक्रमण है” जिसकी निन्दा करनी होगी.

ब्रितानी राजदूत ने, मसौदा प्रस्ताव पर मतदान के बाद ध्यान दिलाया कि रूस अकेला ऐसा सदस्य देश था जिसने इस प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया.

उन्होंने कहा कि समझने में कोई ग़लती ना करें, “रूस अलग-थलग पड़ चुका है, यूक्रेन पर हमले के लिये उसे किसी का समर्थन नहीं है.”

उन्होंने साथ ही ध्यान दिलाया कि आज जो कुछ परिषद में हुआ, वो इतिहास में दर्ज होगा, और ब्रिटेन, यूक्रेन के लोगों के साथ एकजुटता के साथ खड़ा है, व रूस को उसकी कार्रवाइयों के लिये जवाबदेह ठहराया जाएगा.

अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के विरुद्ध एक वीटो

फ्रांस के राजदूत निकोला डी रिवियेरे ने प्रस्ताव के समर्थन में मतदान के बाद कहा कि रूसी साम्राज्य का पुनर्निर्माण करने के लक्ष्य से किये गए, रूस के “पूर्व नियोजित” हमले में, आम लोग हताहत हो रहे हैं और बुनियादी ढाँचा तबाह हो रहा है.

एक तरफ़ जहाँ अन्य सदस्यों ने अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के प्रति अपना संकल्प दोहराया, रूस ने इसे वीटो कर दिया.

उन्होंने कहा, “रूस अकेला है”, फ्रांस, संयुक्त राष्ट्र और इसकी तमाम संस्थाओं के भीतर, अपने साझीदारों को, यूक्रेन और वहाँ के लोगों को समर्थन देने के लिये सक्रिय करता रहेगा.

मतदान से अनुपस्थिति

भारत ने मसौदा प्रस्ताव पर हुए मतदान में हिस्सा नहीं लिया. भारत के राजदूत टीएस तिरूमूर्ति ने कहा कि “आगे बढ़ने का एक मात्र रास्ता बातचीत है,” भले ही ये चाहे कितना ही कठिन क्यों ना नज़र आए. उन्होंने साथ ही, सुरक्षा परिषद से आगे बढ़ने के लिये, कठिन रास्ते को बहाल करने का आग्रह किया. 

संयुक्त अरब अमीरात ने भी मतदान में हिस्सा नहीं लिया. देश की राजदूत लाना ज़की नुस्सीबेह ने कहा कि अब जबकि मसौदा प्रस्ताव पर मतदान हो चुका है, संयुक्त अरब अमीरात, आगे बढ़ने के रास्ते पर, “समावेशी व परामर्शकारी प्रक्रिया” पर अपना ध्यान केन्द्रित करना जारी रखेगा.

यह कोई सीमा चौकी नहीं है

चीन एक मात्र ऐसा स्थाई सदस्य देश रहा जिसने मतदान में हिस्सा नहीं लिया. चीन के राजदूत झैंग जून ने, ऐसी किन्हीं भी कार्रवाइयों के ख़िलाफ़ आगाह किया जिनके कारण, सम्वाद पर आधारित किसी समाधान के लिये “दरवाज़े बन्द” हो जाएँ.

उन्होंने याद दिलाया कि यूक्रेन संकट कोई रातों-रात पैदा नहीं हो गया है, और किसी एक देश की सुरक्षा, अन्य देशों की सुरक्षा की क़ीमत पर, पक्की नहीं की सकती.

चीन के राजदूत ने कहा, “यूक्रेन को पूर्व और पश्चिम के बीच एक पुल बनना होगा, नाकि एक सीमाचौकी.”

उन्होंने साथ ही ये भी कहा कि सन्तुलित योरोपीय व्यवस्थाएँ बनाने लिये, शीतयुद्ध की मानसिकताओं को दरकिनार करना होगा और तमाम पक्षों को कूटनीति की तरफ़ वापिस लौटना होगा.

‘यूक्रेन का शतरंज’

संयुक्त राष्ट्र में रूसी महासंघ के स्थाई प्रतिनिधि (राजदूत) वैसिली नेबेन्ज़िया, यूक्रेन मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की बैठक की अध्यक्षता करते हुुए. फ़रवरी 2022 महीने के लिये सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता रूस के पास थी.
UN Photo/Mark Garten
संयुक्त राष्ट्र में रूसी महासंघ के स्थाई प्रतिनिधि (राजदूत) वैसिली नेबेन्ज़िया, यूक्रेन मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की बैठक की अध्यक्षता करते हुुए. फ़रवरी 2022 महीने के लिये सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता रूस के पास थी.

रूस के राजदूत वैसिली नेबेन्ज़या ने कहा कि वो उन देशों की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया नहीं देंगे जिन्होंने उन्हें अपने देश की वीटो शक्ति का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है.

उन्होंने मसौदा प्रस्ताव के प्रस्तावकों को यूक्रेन की वास्तविक स्थिति के बारे में, भ्रामक कहानियाँ बुनने का आरोप लगाया, जिनमें पश्चिमी देशों के, इस सच्चाई को छुपाने के प्रयास भी शामिल हैं कि वो डोनबास में बड़े पैमाने पर हथियार पहुँचा रहे हैं.

रूसी राजदूत ने कहा, “आपने अपने ख़ुद के खेल में, यूक्रेन को एक मोहरा बना दिया है... ये प्रस्ताव, यूक्रेनी शतरंज बिसात पर एक दीगर क्रूर, अमानवीय चाल के अलावा, और कुछ नहीं है.”

उन्होंने कहा कि राजनैतिक और मीडिया संगठन, इस स्थिति को अपने फ़ायदे के लिये भुना रहे हैं. उन्होंने इस सम्बन्ध में “उच्च दर्जे के प्रोपैगेण्डा” का भी उदाहरण दिया जिसमें डोनबास की तस्वीरों का दुरुपयोग ऐसा माहौल बनाने के लिये किया गया, जिसे रूसी हमला बताया जा रहा है.

उन्होंने फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका के प्रतिनिधियों से मुख़ातिब होते हुए कहा कि यूक्रेन में आम लोगों की मौत की कोई पुष्टिजनक ख़बरें नहीं हैं; प्रस्तावित रूसी तोपख़ाने की तस्वीरें फ़र्ज़ी हैं; और सिविल बुनियादी ढाँचे पर हमलों की ख़बरें झूठी हैं.

उससे भी ज़्यादा, अन्य देशों पर हमले करने का इतिहास रखने वाला देश अमेरिका, “नैतिक रुख़ पर नसीहत देने का हक़दार नहीं है.”

‘नर्क में जगह’

यूक्रेन मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की आपात बैठक के दौरान, यूक्रेन के राजदूत
UN Photo/Evan Schneider
यूक्रेन मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की आपात बैठक के दौरान, यूक्रेन के राजदूत

यूक्रेन के राजदूत सर्गीय किसलित्सया ने ज़ोर देकर कहा कि वो रूसी राजदूत द्वारा पढ़े गए “पैशाचिक आलेख” को महिमामण्डित नहीं करेंगे, जोकि दरअसल “एक विस्तारित अर्ज़ी है... नर्क में जगह के लिये.”

उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि सुरक्षा परिषद में सप्ताह के शुरू में, यूक्रेन की स्थित पर चर्चा के दौरान, रूस ने उनके देश पर बमबारी शुरू कर दी थी और अपनी सेनाएँ सीमा पार यूक्रेन के भीतर भेज दी थीं, जिनमें बेलारूस के रास्ते से सेनाएँ भेजा जाना भी शामिल है.

इसलिये उन्हें रूस द्वारा मसौदा प्रस्ताव को वीटो किये जाने पर कोई हैरत नहीं ही है. उन्होंने रूस की कार्रवाइयों की तीखी निन्दा भी की.

यूक्रेन के राजदूत ने सुरक्षा परिषद से ये याद करने को कहा कि रूसी राजदूत ने कितनी बार कहा था कि उनका देश यूक्रेन पर हमला नहीं करेगा या उस पर बमबारी नहीं करेगा.

मगर हाल के दिनों के दौरान जो कुछ हुआ है, “हम आप पर कैसे भरोसा कर सकते हैं? आपको मालूम ही नहीं है कि आपके राष्ट्रपति के दिमाग़ में क्या चल रहा होता है.”

उन्होंने यह भी ध्यान दिलाया कि प्रक्रिया के नियमों के अनुसार, रूसी राजदूत को सुरक्षा परिषद की एक ऐसी बैठक की अध्यक्षता करनी ही नहीं चाहिये थी, जिसमें उनका देश ही चर्चा का मुद्दा था.

शान्ति के लिये मौन

यूक्रेन के राजदूत ने सुरक्षा परिषद से शान्ति की ख़ातिर कुछ क्षणों का मौन रखने और उन लोगों की आत्माओं के लिये प्रार्थना करने का अनुरोध किया, जो या तो पहले ही मारे जा चुके हैं या मारे जा सकते हैं.

उन्होंने रूसी राजदूत को भी “मुक्ति के लिये प्रार्थना” करने का निमंत्रण दिया. इस क्षण, पूरे सुरक्षा परिषद चैम्बर में, तालियों की आवाज़ गूंज उठी.

यूक्रेन के राजदूत ने ध्यान दिलाया कि अस्पतालों और शिशु स्कूलों पर बमबारी करना बिल्कुल भी जायज़ नहीं ठहराया जा सकता, जिन्हें रोम सम्विदा के तहत युद्धापराध परिभाषित किया गया है. उन्होंने बताया कि यूक्रेन अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) को भेजने के लिये, सबूत एकत्र कर रहा है.

सम्बन्ध तोड़ने का अनुरोध

यूक्रेन के राजदूत ने आख़िर में, तमाम देशों और से रूसी महासंघ के साथ कूटनैतिक सम्बन्ध तोड़ देने और अन्तरराष्ट्रीय संगठनों से उस देश के साथ अपने सम्बन्ध ख़त्म करने का आग्रह किया.