ईरान परमाणु समझौता: भड़काऊ बयानबाज़ी से मतभेद बढ़ने का जोखिम
संयुक्त राष्ट्र के राजनैतिक और शान्तिरक्षा मामलों की प्रमुख रोज़मैरी डीकार्लो ने सुरक्षा परिषद को बताया है कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम समझौते को अगर पूरी तरह से लागू किया जाए तो, क्षेत्रीय स्थिरता बेहतर हो सकती है, मगर बढ़ते तनावों ने अनेक तरह के नए जोखिम पैदा कर दिये हैं.
संयुक्त राष्ट्र की अवर महासचिव रोज़मैरी डीकार्लो ने मंगलवार को ईरान के परमाणु कार्यक्रम के बारे में संयुक्त व्यापक कार्रवाई योजना (JCPOA) पर मंगलवार को हुए एक वर्चुअल बैठक में कहा कि जुलाई 2015 में हुए उस समझौते में, ईरान के परमाणु कार्यक्रम की निगरानी और प्रतिबन्धों में ढिलाई बरतने का रास्ता निकालने के नियम निर्धारित किये गए हैं.
ध्यान रहे कि उस समझौते पर ईरान के साथ-साथ योरोपीय संघ और सुरक्षा परिषद के 5 स्थाई सदस्यों – चीन, फ्रांस रूस, ब्रिटेन और अमेरिका ने हस्ताक्षर किये थे. अलबत्ता, अमेरिका मई 2018 में उस समझौते से बाहर हो गया था.
रोज़मैरी डीकार्लो ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि हाल के वर्षों के दौरान महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचों पर हमले हुए हैं, भड़काऊ बयानबाज़ियाँ हुई हैं और ग़लत अनुमान व आकलन किये जाने के जोखिम भी बढ़े हैं.
उन्होंने कहा, “इस तरह की गतिविधियों से योजना के बारे में मतभेद और ज़्यादा गहराते हैं और अन्य क्षेत्रीय संघर्थों को हल करने के प्रयासों को और ज़्यादा मुश्किल बनाते हैं."
"हम सभी सम्बद्ध पक्षों का आहवान करते हैं कि वो ऐसी किसी भी कार्रवाई से बचें जिसके परिणाम, और ज़्यादा तनाव बढ़ोत्तरी के रूप में निकल सकते हैं.”
वापसी और कम संकल्प
अमेरिका ने, अगस्त 2020 में कहा था कि ईरान के ख़िलाफ़ लगे प्रतिबन्धों में, परमाणु कार्यक्रम के बारे में हुए समझौते के बाद, जो ढील दी गई थी, वो प्रतिबन्ध फिर से लागू किये जाएँगे.
संयुक्त राष्ट्र के राजनैतिक और शान्तिरक्षा मामलों की प्रमुख रोज़मैरी डीकार्लो ने कहा कि अमेरिका द्वारा प्रतिबन्ध फिर से लागू किये जाने की घोषणा, परमाणु समझौते के क्रिन्यावयन सम्बन्धी कार्ययोजना और सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2231 के लक्ष्यों के उलट है.
ईरान के परमाणु कार्यक्रम समझौते पर कार्य योनजा में गारंटी दी गई है कि संयुक्त राष्ट्र समर्थित परमाणु निगरानी संगठन – अन्तरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) को ईरान में परमाणु स्थलों और उसके परमाणु कार्यक्रम के बारे में तमाम जानकारी तक नियमित पहुँच मुहैया कराई जाएगी.
एजेंसी का कहना है कि वैसे तो ईरान ने कुछ प्रावधानों पर अमल किया है, मगर संवर्धित यूरेनियम की अपेक्षित सीमाओं को पार कर दिया है, जिसे परमाणु ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में एक अति महत्वपूर्ण तत्व समझा जाता है.
रोज़मैरी डीकार्लो ने कहा, “ईरान ने कार्य योजना में बने रहने की मंशा ज़ाहिर की है, और ईरान ने जो क़दम उठाए हैं, उन्हें पलटा भी जा सकता है. ऐसे में ये बहुत ज़रूरी है कि ईरान अपने परमाणु संकल्पों को कम करने वाले अन्य क़दम ना उठाए और कार्य योजना को पूरी तरह से लागू किये जाने के बारे में अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभाए.”