अफ़ग़ानिस्तान: अमेरिका से देश की सम्पदा पर लगी रोक, मानवीय मदद की ख़ातिर हटाने का आग्रह
संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने अफ़ग़ानिस्तान में बहुत ख़राब मानवीय स्थिति पर गम्भीर चिन्ता व्यक्त करते हुए, सोमवार को अमेरिका से, देश की विदेशी सम्पदाओं पर लगे प्रतिबन्ध (Freeze) हटाने का आहवान किया है.
मानवाधिकार विशेषज्ञों के समूह ने कहा है कि डा अफ़ग़ानिस्तान बैंक (Da Afghanistan Bank) की सात अरब डॉलर से भी ज़्यादा रक़म पर रोक लगाई हुई है जिसका इस्तेमाल, देश में, बहुत ही भयावह मानवीय हालात का सामना कर रहे करोड़ों लोगों की मदद करने के लिये किया जा सकता है.
#Afghanistan: UN experts urge the #US Government to unblock foreign assets of central bank to ease humanitarian impact.“States have an obligation to guarantee that any activity under their control does not result in human rights violations.”https://t.co/xAEGKJZnF1 pic.twitter.com/9ogcJ4e9lY
UN_SPExperts
नक़दी पर एक और रोक
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने फ़रवरी 2022 में नक़दी पर लगी रोक को जारी रखने, और ये धन अफ़ग़ानिस्तान में तत्काल और दीर्घकालीन मानवीय सहायता ज़रूरतों पर ख़र्च करने के बजाय, कथित रूप में धनराशि का एक हिस्सा अमेरिका के भीतर निश्चित उद्देश्यों के लिये ख़र्च करने वाला एक कार्यकारी आदेश जारी किया था.
मानवाधिकार विशेषज्ञों ने एक वक्तव्य जारी करके, अमेरिकी सरकार से अपील करते हुए कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान पर लगे प्रतिबन्धों में मानवीय ढील दिये जाने के लिये, दिसम्बर 2021 में सुरक्षा परिषद द्वारा में जो सहमति व्यक्त की गई थी, उसके अन्तर्गत अफ़ग़ानिस्तान को वित्तीय और व्यावसायिक सहायता देने में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है, क्योंकि विदेशी बैंक, प्रतिबन्धों का उल्लंघन करने के बारे में चिन्तित व सतर्क हैं.
देश में ‘भीषण’ मानवीय संकट
देश में मानवीय संकट पर गम्भीर रूप से चिन्तित मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा कि “इस संकट ने देश की आधी से भी ज़्यादा आबादी की ज़िन्दगियों के लिये गम्भीर जोखिम उत्पन्न कर दिये हैं.”
वक्तव्य में कहा गया है, “वैसे तो लिंग आधारित हिंसा, महिलाओं और लड़कियों के लिये बहुत लम्बे समय से एक जोखिम रही है, मगर उसमें अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबन्धों के कारण और बढ़ोत्तरी हुई है. उसके साथ ही सूखा व देश में सत्ता पर क़ाबिज़ अधिकारियों द्वारा लागू किये गए और व्यापक होते लिंग आधारित भेदभाव ने भी इसमें भूमिका निभाई है.”
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने हाल ही में, अफ़ग़ानिस्तान में भीषण मानवीय संकट को, विकास त्रासदी के मुहाने पर पहुँचा हुआ क़रार दिया था. मानवाधिकार विशेषज्ञों ने महासचिव की उस पुकार से सहमति जताते हुए अमेरिका से आग्रह किया कि किन्हीं इकतरफ़ा उपायों पर पुनर्विचार किया जाए, और ज़रूरी वित्तीय व मानवीय सहायता उपलब्ध कराने में दरपेश तमाम बाधाएँ हटाई जाएँ.
जनवरी 2022 में, संयुक्त राष्ट्र ने अफ़ग़ानिस्तान के लिये जो मानवीय सहायता अपील जारी की थी, वो किसी एक देश के लिये अभी तक की सबसे बड़ी अपील थी. इसमें वर्ष 2022 के दौरान अफ़ग़ान लोगों की मदद करने के लिये पाँच अरब डॉलर की सहायता राशि जुटाने की अपील की गई है.
आपदा खाद्य असुरक्षा
आन्तरिक आकलन के अनुसार, अफ़ग़ानिस्तान में अब ऐसे लोगों की संख्या दुनिया में सबसे ज़्यादा है जो आपदा खाद्य असुरक्षा की स्थिति में रहने को मजबूर हैं. दो करोड़ 30 लाख से ज़्यादा लोगों को सहायता की आवश्यकता है, और देश की लगभग 95 प्रतिशत आबादी को ज़रूरत से कम भोजन के साथ ही गुज़ारा करना पड़ रहा है.
देश के भीतर ही विस्तापित हुए 40 लाख से ज़्यादा लोगों के बेहद नाज़ुक हालात पर विशेष चिन्ता व्यक्त की गई है, इनमें अल्पसंख्यक समदायों के लोग भी है; उनके अलावा 35 लाख लोगों को, पड़ोसी देशों में पनाह लेनी पड़ी है.
वित्तीय और व्यावसायिक अदायगी!
मानवाधिकार विशेषज्ञों ने सुरक्षा परिषद द्वारा दिसम्बर 2021 में प्रस्ताव 2651 पारित करने और मौजूदा प्रतिबन्धों में मानवीय आधार पर कुछ छूट और ढील दिये जाने को मंज़ूरी दिये जाने के बाद से, अमेरिका या अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों की ओर से, देश में विकास और मानवीय सहायता उद्देश्यों के लिये, वित्तीय और व्यावसायिक (धन) अदायगी करने में कोई ख़ास प्रगति नहीं हुई है.
ये अनिश्चितता बैंकों द्वारा बिल्कुल भी जोखिम नहीं लेने और प्रतिबन्दों पर ज़रूरत से ज़्यादा सख़्ती से पालन करने के कारण उत्पन्न हुई है जिसके परिणामस्वरूप, मानवीय सहायता एजेंसियाँ गम्भीर संचालन चुनौतियों का सामना कर रही हैं.
मानवाधिकार विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यकारी आदेश के कारण सम्बद्ध पक्षों में अनिश्चितता का माहौल और ज़्यादा बढ़ सकता है...जिसके कारण प्रतिबन्धों पर ज़रूरत से ज़्यादा अमल करने का माहौल बनेगा, जिससे अफ़ग़ान लोगों को बुनियादी मानवीय चीज़ों तक भी पहुँच नहीं हो सकेगी.
पुनर्विचार की पुकार
यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने अमेरिका से अफ़ग़ानिस्तान में बढ़ते मानवीय संकट पर गम्भीरता से पुनर्विचार करने और डा अफ़ग़ानिसतान बैंक की विदेशी सम्पदाओं पर लोक लगाने के निर्णय का फिर से आकलन करने की पुकार लगाई है.
उन्होंने ये भी कहा है कि अन्तरारष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के तहत ये गारण्टी देने की अमेरिका की ज़िम्मेदारी है कि उसके कार्यक्षेत्र की सीमाओं के भीतर की गतिविधियों के परिणाम, मानवाधिकार हनन के रूप में ना निकलें.
मानवाधिकार विशेषज्ञों ने अमेरिकी सरकार से इकतरफ़ा उपायों को पलटने के लिये समुचित कार्रवाई करने और देश में बढ़ते मानवीय संकट का सामना करने के अन्तरराष्ट्रीय प्रयासों में योगदान करने का भी आग्रह किया.
विशेष रैपोर्टेयर और स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों की नियुक्ति जिनीवा आधारित यूएन मानवाधिकार परिषद, किसी विशेष मानवाधिकार मुद्दे या किसी देश की स्थिति की जाँच-पड़ताल करने और रिपोर्ट सौंपने के लिये करती है. ये मानवाधिकार विशेषज्ञ किसी देश से स्वतंत्र होते है और उन्हें उनके काम के लिये, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं मिलता है.