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अफ़ग़ानिस्तान में हर दिन 9 बच्चे हताहत

अफ़ग़ानिस्तान के हेरात शहर में एक पोषण केंद्र के बाहर 12 वर्षीया लड़की अपनी छोटी बहन के साथ.
© UNICEF/Husseini
अफ़ग़ानिस्तान के हेरात शहर में एक पोषण केंद्र के बाहर 12 वर्षीया लड़की अपनी छोटी बहन के साथ.

अफ़ग़ानिस्तान में हर दिन 9 बच्चे हताहत

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की एक नई रिपोर्ट कहती है कि अफ़ग़ानिस्तान में हर दिन औसतन नौ बच्चों की या तो मौत हो रही है या फिर वे घायल हो रहे हैं. यूनीसेफ़ की रिपोर्ट में अफ़ग़ानिस्तान को दुनिया का सबसे घातक युद्धक्षेत्र क़रार दिया गया है. वर्ष 2009 से 2018 तक साढ़े छह हज़ार से ज़्यादा बच्चों की मौत हुई है और लगभग 15 हज़ार घायल हुए हैं.

नई रिपोर्ट,“Preserving Hope in Afghanistan: Protecting children in the world’s most lethal conflict”, में कहा गया है कि हिंसक संघर्ष में शामिल पक्ष बच्चों को पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित देने में विफल साबित हो हुए हैं.

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बच्चों के हताहत होने की दर में वर्ष 2018 में 11 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है जिसकी वजह आत्मघाती बम हमलों की बढ़ती संख्या और सरकारी सुरक्षा बलों और विरोधी गुटों में झड़पें बताई गई है.

अफ़ग़ानिस्तान को मौजूदा दौर में एक ऐसी जगह बताया गया है जो बेहद ख़तरनाक है और जहां इतने बड़े पैमाने पर मौतें हो रही हैं. वर्ष 2009 से 2018 तक साढ़े छह हज़ार से ज़्यादा बच्चों की मौत हुई है और लगभग 15 हज़ार घायल हुए हैं.

घातक साबित हुआ 2019

यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक हेनरीएटा फ़ोर ने कहा है, “अफ़ग़ानिस्तान के मानकों के नज़रिए से भी वर्ष 2019 बच्चों के लिए बेहद घातक रहा है. बच्चों, उनके परिवारों व समुदायों को हर दिन हिंसा के भयावह नतीजे सहने पड़ रहे हैं.”

यूनीसेफ़ ने अपने बयान में सभी पक्षों को ध्यान दिलाया है कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार और मानवीय राहत क़ानूनों के तहत तय दायित्वों का पालन किया जाना चाहिए जिनका उद्देश्य बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना, स्कूलों व स्वास्थ्य केंद्रों को निशाना बनाए जाने से रोकना और मानवीय राहत के काम को निर्बाध रूप से जारी रखना शामिल है.

हिंसा के अलावा अफ़ग़ानिस्तान में बच्चों को कई अन्य चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इनमें गंभीर कुपोषण प्रमुख है जिससे छह लाख से ज़्यादा बच्चे पीड़ित हैं.

साथ ही बाल विवाह भी एक बड़ी समस्या है और हर तीन में से एक लड़की की शादी 18 साल की उम्र से पहले कर दी जाती है.

औपचारिक शिक्षा ना मिल पाने के कारण स्कूल जाने की आयु में भी 37 लाख बच्चे पढ़ाई-लिखाई से वंचित हैं.

धन की कमी 

इन सभी चुनौतियों से निपटने के लिए यूनीसेफ़ ने कई कार्यक्रम शुरू किए हैं. उदाहरण के तौर पर, यूएन एजेंसी स्थानीय प्रशासन और समुदायों के साथ मिलकर कथित सम्मान के नाम पर लड़कियों की हत्याओं, घरेलू हिंसा और लड़कियों व महिलाओं के यौन हिंसा का शिकार बनने से रोकने के लिए प्रयास कर रही है.

साझेदार संगठनों के साथ मिलकर यूनीसेफ़ ने गंभीर कुपोषण की स्थिति सुधारने के लिए पौने तीन लाख बच्चों के उपचार में मदद की है.

साथ ही वर्ष 2018 में सूखे की पीड़ा झेलने वाले 28 लाख अफ़ग़ान नागरिकों को जलसेवा भी मुहैया कराई है और अब सौर ऊर्जा से चालित जल प्रणालियों का इस्तेमाल किया जा रहा है.

इन सभी राहत कार्यक्रमों का दायरा बढ़ाए जाने की तत्काल ज़रूरत पर बल दिया गया है.

यूनीसेफ़ का लक्ष्य तीन लाख कुपोषित बच्चों की सहायता करना और स्वच्छ जल ना मिल पाने से प्रभावित लोगों तक सहायता पहुंचाना है. लेकिन वर्ष 2020 में मानवीय राहत कार्यक्रम जारी रखने के लिए ज़्यादा धनराशि का इंतजाम करना होगा.

अफ़ग़ानिस्तान में राहत अभियानों के लिए 32 करोड़ डॉलर से ज़्यादा राशि की आवश्यकता है लेकिन अभी तक तीन-चौथाई कार्यक्रमों को ज़रूरी सहायता उपलब्ध नहीं है.