अफ़ग़ानिस्तान: तालेबान के साथ मिलजुलकर प्रयास किये जाने पर बल

अफ़ग़ानिस्तान में यूएन महासचिव की विशेष प्रतिनिधि और यूएन मिशन (UNAMA) की प्रमुख डेबराह लियोन्स ने कहा है कि देश की सत्ता पर तालेबान का वर्चस्व स्थापित होने के छह महीने बाद, सम्बद्ध देशों के लिये यह समय, देश की नई प्रशासनिक व्यवस्था के साथ अपने सम्बन्धों में प्रगाढ़ता लाने और एक ऐसी आर्थिक बदहाली टालने का है, जिसकी दिशा को पलटा ना जा सके.
यूएन मिशन प्रमुख ने बुधवार को सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों को वहाँ हालात से अवगत कराते हुए कहा, “छह महीनों का अनिर्णय...गुज़र-बसर के लिये महत्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक प्रणालियों का क्षरण कर रहा है और आबादियों को बड़ी अनिश्चितताओं में धकेल रहा है.”
उन्होंने अगस्त 2021 के बाद से उदारतापूर्ण मानवीय सहायता योगदानों के लिये दानदातओं का आभार व्यक्त किया, जिनकी मदद से बदतरीन हालात से निपटने में मदद मिली है.
ग़ौरतलब है कि अफ़ग़ानिस्तान से पिछले वर्ष दो दशकों के लम्बे समय के बाद 2021 में, अन्तरराष्ट्रीय सैन्य बलों की वापसी हुई, जिसके बाद तालेबान ने देश पर अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया था.
“जैसे जैसे सर्दी का मौसम ख़त्म हो रहा है, हम शायद अकाल और व्यापक भुखमरी की अपने सबसे बुरी आशंकाओं को रोकने में सफल हो पाए हैं.”
यूएन विशेष प्रतिनिधि ने कहा कि इन अल्पकालिक रोकथाम उपायों के बावजूद, मानवीय राहत के ज़रिये अफ़ग़ान नागरिकों को उस तरह सहारा नहीं दिया जा सकता है, जैसेकि एक आत्मनिर्भर अफ़ग़ानिस्तान की नींव तैयार करने से मिल पाता.
“यह अनिवार्य है कि हम अगले छह महीनों में ऐसे हालात ना देखें, जिसका हमने छह महीने पहले सामना किया हो.”
“...लाखों की संख्या में भुखमरी भरी सर्दी की ओर ताकते अफ़ग़ान और महंगे व असतत मानवीय राहत रूपी हमारे एकमात्र औज़ार.”
डेबराह लियोन्स के मुताबिक़, इस समय देश में सबसे गम्भीर चुनौती, आर्थिक बदहाली है जिसके कारण व्यवसाय बन्द हो रहे हैं, बेरोज़गारी बढ़ रही है और लोग निर्धनता के गर्त में धँस रहे हैं.
उन्होने बताया कि सभी प्रकार की विकास सहायता रुक गई है, अन्तरराष्ट्रीय भुगतान पर पाबन्दी है, नक़दी रिज़र्व की सुलभता का अभाव है, और केन्द्रीय बैंक के समक्ष मुश्किलें हे.
यूएन मिशन ने देश की अर्थव्यवस्था में नक़दी उपलब्ध कराने के इरादे से अनेक क़दम उठाए हैं, मगर इस सम्बन्ध में अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाई की आवश्यकता है.
विशेष प्रतिनिधि ने कहा कि सितम्बर 2021 में जब यूएन मिशन के शासनादेश को छह महीने के लिये आगे बढ़ाया गया था, तो तालेबान के सत्ता में आने के बाद, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के लिये प्रतिक्रिया दे पाना मुश्किल था.
उन्होंने कहा कि अब यह स्पष्ट हो चला है कि अफ़ग़ान जनता की वास्तविक मायनों में सहायता, तालेबान प्रशासन के साथ काम किये बिना असम्भव होगी.
डेबराह लियोन्स के अनुसार, तालेबान और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के दरम्यान भरोसे का अभाव है. तालेबान को महसूस होता है कि उसे ग़लत समझा गया है और अन्तरराष्ट्रीय रिपोर्ट्स में वास्तविकता परिलक्षित नहीं होती है.
उन्होंने कहा कि तालेबान की इच्छा है कि अफ़ग़ानिस्तान में अब सुरक्षा हालात की शिनाख़्त की जाए, और संगठन का कहना है कि पिछली सरकार के बाद से, देश में हताहतों की संख्या में 78 प्रतिशत की गिरावट आई है.
तालेबान भ्रष्टाचार में कमी आने और लड़कियों व लड़कों के लिये स्कूल फिर से खोले जाने के बारे में भी ध्यान दिलाते हैं.
“परिप्रेक्ष्यों का यह टकराव, एक ऐसा गम्भीर भरोसा संकट पैदा करता है, जिससे निपटा जाना होगा.”
विशेष प्रतिनिधि लियोन्स ने कहा कि यूएन मिशन ज़मीनी स्तर पर गतिविधियों व हालात के बारे में रिपोर्ट्स जारी रखी हैं.
इस क्रम में, देश में बुनियादी अधिकारों पर पाबन्दियों, न्यायेतर हत्याओं, जबरन गुमशुदगी और मनमाने ढंग से लोगो को हिरासत मे लिये जाने के मामले हैं.
उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान मे हालात जटिल हैं और यहाँ सकारात्मक व नकारात्मक रुझान, दोनों एक साथ देखे जा सकते हैं.
मिशन प्रमुख ने बताया कि अफ़ग़ान समाज के समक्ष दरपेश चुनौतियों से निपटने के लिये, तालेबान के साथ मिलकर अतिरिक्त प्रयास किये जा सकते हैं.
उन्होंने कहा कि यूएन मिशन का मुख्य उद्देश्य, अफ़ग़ानिस्तान को फिर से अन्तरराष्ट्रीय समुदाय का एक सदस्य बनते हुए देखना है.
इस पृष्ठभूमि में, यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने एक वर्ष के लिये यूएन मिशन के नवीनीकरण का प्रस्ताव दिया है, जिसके बाद एक सतत राजनैतिक सम्पर्क के नतीजों की समीक्षा की जाएगी.
विशेष प्रतिनिधि ने कहा कि इससे अफ़ग़ान जनता को यह सन्देश जाएगा कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा उन्हें भुलाया नहीं गया है, और कि तालेबान के साथ वह और टकराव नहीं चाहता है.
उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद के पास एक ऐसे ठोस व प्रासंगिक यूएन मिशन के निर्माण का अवसर है, जिससे देश को ध्वस्त होने से रोका जा सकेगा.