अफ़ग़ानिस्तान: मानवीय संकट से बुनियादी अधिकारों पर जोखिम; राहत अभियान में तेज़ी

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने, जिनीवा स्थित मानवाधिकार परिषद को अफ़ग़ानिस्तान में हालात से अवगत कराते हुए कहा है कि बुनियादी अधिकारों व स्वतंत्रताओं के लिये सम्मान सुनिश्चित किया जाना, देश में स्थिरता के नज़रिये से बेहद अहम है. इस बीच, विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP), ज़रूरतमन्दों तक सहायता पहुँचाने के लिये अपने राहत अभियान तेज़ कर रहा है.
मानवाधिकार उप-उच्चायुक्त नदा अल नशीफ़ ने मंगलवार को जिनीवा में मानवाधिकार परिषद को सम्बोधित करते हुए कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में गहरे मानवीय संकट से, मूलभूत अधिकारों के लिये ख़तरा पैदा हो गया है.
इससे महिलाओं, लड़कियों व नागरिक समाज सर्वाधिक प्रभावितों में हैं.
🇦🇫 "The people of #Afghanistan face a profound humanitarian crisis that threatens the most basic of human rights" – @NadaNashif updates @UN_HRC on Afghanistan and outlines main concerns on the economic crisis, shrinking civic space and women's rights: https://t.co/8XYW5Kw7Qo pic.twitter.com/CM5PF7jrNR
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उन्होंने सचेत किया कि स्थानीय प्रशासन और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय, अफ़ग़ानिस्तान की आर्थिक व मानवीय संकट से जिस तरह निपटते हैं, उससे फ़िलहाल और भविष्य में अफ़ग़ान नागरिकों के मानवाधिकारों की दिशा निर्धारित होगी.
बताया गया है कि देश में हालात बेहद विकट हैं, निर्धनता व भुखमरी बढ़ रही है और अनेक परिवार, बाल श्रम व बाल विवाह जैसे विकल्प चुनने के लिये मजबूर हो रहे हैं.
अफ़ग़ानिस्तान पर लगाए गए प्रतिबन्धों के असर, और राजसत्ता की सम्पत्तियों को ज़ब्त किये जाने से परिस्थितियाँ और भी चुनौतीपूर्ण हो गई हैं.
“अर्थव्यवस्था को ध्वस्त होने से टालने के लिये, इस अहम पड़ाव पर, सदस्य देश जो कठिन नीतिगत चयन करते हैं, वे वस्तुत: जीवन और मृत्यु से जुड़े हैं.”
उप-उच्चायुक्त ने बताया कि अगस्त महीने में सत्ता पर तालेबान के वर्चस्व के बाद, देश में लड़ाई में कमी हुई है, मगर आम नागरिकों के लिये जोखिम कम नहीं हुए हैं.
'इस्लामिक स्टेट ख़ोरासान प्रान्त' और अन्य सशस्त्र गुट अब भी घातक हमले कर रहे हैं.
तालेबान द्वारा अगस्त में आम माफ़ी दिये जाने की घोषणा के बावजूद, अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा बलों के लगभग 100 जवान मारे दिये जाने की विश्वसनीय रिपोर्टें प्राप्त हुई हैं.
इनमें से 72 हत्याओं के लिये तालेबान को ज़िम्मेदार ठहराया गया है, और अधिकतर घटनाओं में शव सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किये गए.
महिलाओं व लड़कियों को शिक्षा, आजीविका व सामाजिक भागीदारी सम्बन्धी अधिकारों के रास्ते में अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है.
एक अनुमान के अनुसार, लगभग 42 लाख युवा अफ़ग़ान, अब स्कूलों से बाहर हैं, जिनमें 60 प्रतिशत लड़कियाँ हैं.
माध्यमिक स्तर के स्कूलों में लड़कियों की उपस्थिति में भी गिरावट दर्ज की गई है. इसकी एक बड़ी वजह, महिला शिक्षकों की अनुपस्थिति बताई गई है, चूँकि कुछ स्थानों पर लड़कियों को केवल महिला शिक्षकों से ही पढ़ने की अनुमति है.
कुछ शिक्षकों, स्वास्थ्यकर्मियों व ग़ैरसरकारी संगठनों के कर्मचारियों के अलावा, अन्य महिलाओं को मोटे तौर पर कामकाज करने से रोका गया है.
अनेक अफ़ग़ान महिलाओं व लड़कियों को अब घर से बाहर निकलते समय, किसी पुरुष संगी या रिश्तेदार को अपने साथ ले जाना पड़ता है.
अफ़ग़ान नागरिक समाज के लिये भी संकट बढ़ा है, और अगस्त महीने से अब तक आठ कार्यकर्ताओं व दो पत्रकारों की मौत हो चुकी हैं, और कई अन्य घायल हुए हैं.
संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) अफ़ग़ानिस्तान में गम्भीर भुखमरी का सामना कर रहे, दो करोड़ 30 लाख लोगों तक, वर्ष 2022 में मदद पहुँचाने के लिये मानवीय राहत अभियान का दायरा तेज़ी से बढ़ा रहा है.
बताया गया है कि देश में बढ़ती महंगाई और मुद्रा अवमूल्यन के कारण, आम लोगों के लिये भरपेट भोजन का प्रबन्ध कर पाना कठिन होता जा रहा है.
यूएन एजेंसी ने वर्ष 2021 में डेढ़ करोड़ लोगों तक सहायता पहुँचाई है. इनमें से 70 लाख लोगों को नवम्बर में मदद मुहैया कराई गई, जबकि सितम्बर में 40 लाख लोगों को सहायता प्रदान की गई थी.
मानवीय राहत अभियान के तहत, यूएन एजेंसी ने अफ़ग़ानिस्तान के पूर्वोत्तर और मध्य उच्चभूमि इलाक़ों (highlands) में रणनैतिक स्थानों पर भोजन का पहले से ही प्रबन्ध कर दिया है.
सर्दी के महीनों में भारी बर्फ़बारी के कारण इस इलाक़े से सम्पर्क कट सकता है, जिससे वहाँ रहने वाले समुदायों तक मदद पहुँचाना कठिन हो जाता है.
समय रहते राहत सामग्री का प्रबन्ध किये जाने से, ज़रूरतमन्दों तक जीवनरक्षक सहायता पहुँचाना सम्भव होगा.
अफ़ग़ानिस्तान में यूएन एजेंसी की देशीय निदेशक मैरी-ऐलेन मैक्ग्रोआर्टी ने बताया कि अफ़ग़ानिस्तान, जिस तरह विकराल भुखमरी और निराश्रयता का सामना कर रहा है, उन्होंने वैसे हालात वहाँ पिछले 20 वर्षों में नहीं देखे.
“हम जो कुछ भी अब तक हासिल कर पाए हैं, मैं उसके लिये गर्वित हूँ, मगर ज़रूरतें विशाल हैं, और हमें इस संकट को तबाही में बदलने से रोकने के लिये अभी बहुत कुछ करना है.”
“हमें दो करोड़ 30 लाख अफ़गान लोगों तक, वर्ष 2022 में हर महीने मदद पहुँचाने के लिये, 22 करोड़ अमेरिकी डॉलर की रक़म की तात्कालिक ज़रूरत है.”
यूएन एजेंसी द्वारा फ़ोन पर किये गए सर्वेक्षणों के मुताबिक़, क़रीब 98 प्रतिशत अफ़गान लोगों को पर्याप्त मात्रा में भोजन नहीं मिल पा रहा है.
इस वर्ष अगस्त महीने के आँकड़े से, इसमें 17 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जोकि चिन्ताजनक है.
आर्थिक संकट, हिंसक संघर्ष व टकराव और सूखे के कारण देश में एक औसत परिवार के लिये गुज़र-बसर कर पाना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है.
सर्दी के मौसम के साथ ही परिवारों को हताशा में कठिन उपायों का सहारा लेना पड़ रहा है.
हर दस में से 9 परिवार अब सस्ता भोजन ख़रीदने के लिये मजबूर हो रहे हैं, हर दस में से आठ परिवार अब कम मात्रा में भोजन खा रहे हैं, और हर 10 में से सात लोग, उधार धन मांग कर खाना खाने के लिये मजूबर हैं.