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अफ़ग़ानिस्तान: मानवीय सहायता के लिये 2.44 अरब डॉलर का संकल्प

अफ़ग़ानिस्तान के हेरात में देश की सीमाओं के भीतर विस्थापित बच्चों के शिविर में एक लड़की.
© UNOCHA/Sayed Habib Bidel
अफ़ग़ानिस्तान के हेरात में देश की सीमाओं के भीतर विस्थापित बच्चों के शिविर में एक लड़की.

अफ़ग़ानिस्तान: मानवीय सहायता के लिये 2.44 अरब डॉलर का संकल्प

मानवीय सहायता

अफ़ग़ानिस्तान में मानवीय संकट के मद्देनज़र, राहत प्रयासों में स्फूर्ति लाने के इरादे से गुरूवार को आयोजित एक उच्चस्तरीय संकल्प सम्मेलन के दौरान, वर्ष 2022 के लिये कुल दो अरब 44 करोड़ डॉलर की सहायता धनराशि के संकल्प लिये गए हैं. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए आगाह किया कि तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो देश में भुखमरी और कुपोषण संकट का सामना करना पड़ सकता है.

देश में दशकों से जारी हिंसक संघर्ष, सूखे और बदहाल अर्थव्यवस्था के कारण, सवा दो करोड़ से अधिक अफ़ग़ान नागरिक जीवन-व्यापन के लिये मानवीय सहायता पर निर्भर हैं.

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने चेतावनी जारी की है कि अगर राहत उपाय नहीं किये गए, तो 97 प्रतिशत अफ़ग़ान नागरिकों के, इस वर्ष के मध्य तक ग़रीबी रेखा से नीचे जीवन गुज़ारने की आशंका है.

जून 2021 से अब तक, अफ़ग़ानिस्तान में मानवीय ज़रूरतें तीन गुना बढ़ चुकी हैं.

अफ़ग़ानिस्तान में मानवीय राहत कार्रवाई को समर्थन देने के लिये, Supporting the Humanitarian Response in Afghanistan, नामक यह संकल्प सम्मेलन ब्रिटेन, जर्मनी और क़तर ने संयुक्त रूप से आयोजित किया है.

इस सम्मेलन में कुल 41 घोषणाएं की गई, और दो अरब 44 करोड़ डॉलर की रक़म के संकल्प लिये गए हैं. 

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महासचिव गुटेरेश ने ध्यान दिलाया कि इस वर्ष अफ़ग़ानिस्तान के लिये चार अरब 40 करोड़ डॉलर की राहत अपील जारी की गई है, जोकि विश्व में किसी एक देश के लिये सबसे बड़ी अपील है. 

अगस्त 2021 में अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर तालेबान का वर्चस्व स्थापित होने के बाद विशाल मानवीय राहत अभियान चलाया गया है, जिसकी मदद से “सर्दी के मौसम में अनेक लोगों की ज़िन्दगियों की रक्षा हुई है.” 

इन सामूहिक प्रयासों के बावजूद, देश में मानवीय परिस्थितियाँ चिन्ताजनक ढंग से पिछले कुछ महीने में बद से बदतर होती जा रही हैं.  

विकट हालात

यूएन प्रमुख ने बताया कि देश में क़रीब 95 प्रतिशत लोगो के पास खाने के लिये पर्याप्त भोजन नहीं है. 90 लाख लोगों पर अकाल का जोखिम मंडरा रहा है.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) का अनुमान है कि अगर ज़रूरी क़दम नहीं उठाए गए तो लगभग 10 लाख गम्भीर कुपोषण का शिकार बच्चे, मौत के कगार पर होंगे. 

यूक्रेन में जारी युद्ध के कारण वैश्विक खाद्य क़ीमतें आसमान छू रही हैं, जिससे अफ़ग़ान परिवारों के लिये भरण-पोषण की एक नई चुनौती खड़ी हो गई है.

साथ ही, संयुक्त राष्ट्र मानवीय राहत अभियानों के लिये भी यह एक चिन्ताजनक ख़बर है.

“तत्काल कार्रवाई के अभाव में, अफ़ग़ानिस्तान में भुखमरी और कुपोषण का संकट हमारे सामने होगा.”

लोग पहले से ही अपने बच्चों और उनके शरीर के अंगों को बेच रहे थे, ताकि अपने परिवारों का पेट भर सकें.
अफ़ग़ानिस्तान की अर्थव्यवस्था ढह चुकी है, बहुत कम नक़दी बची है, और देश की 80 प्रतिशत आबादी कर्ज़ में है. 

मानवीय राहत प्रयास

पिछले वर्ष, अफ़ग़ानिस्तान में भीषण उथल-पुथल और तालेबान की वापसी के बाद अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ जाने के बाद, दानदाताओं ने उदारता का परिचय दिया था.

एक अरब 80 करोड़ डॉलर की रक़म के ज़रिये पिछले वर्ष, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और साझीदार संगठनों ने देश के विभिन्न हिस्सों में क़रीब दो करोड़ ज़रूरतमन्दों तक भोजन, स्वच्छ जल, स्वास्थ्य देखभाल, संरक्षण, शिक्षा, आश्रय समेत जीवनरक्षक सहायता पहुँचाई. 

अन्तरराष्ट्रीय दानदाताओं से इस वर्ष मानवीय राहत प्रयासों के लिये वित्तीय सहायता जारी रखने की पुकार लगाई गई है. 

इस वर्ष, विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) अब तक एक करोड़ 40 लाख लोगों के लिये भोजन, पोषण और सहनक्षमता समर्थन सुनिश्चित कर चुका है.

फ़रवरी महीने में ही, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने देश भर में 40 लाख से अधिक लोगों तक स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँचाईं और और यूनीसेफ़ कर्मचारियों ने 10 लाख बच्चों में कुपोषण की जाँच की.

यूएन शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) अपने सहायता प्रयासों में शरणार्थियों और घरेलू विस्थापितों की वापसी वाले इलाक़ों को प्राथमिकता दे रही है और इस वर्ष अब तक पाँच लोखों की मदद की गई है. 

वहीं संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) ने अगस्त से दिसम्बर 2021 की अवधि में ढाई लाख आबादी के लिये प्रजनन स्वास्थ्य व संरक्षण सेवाएँ सुनिश्चित की.

विश्व खाद्य कार्यक्रम, भीषण सर्दी के दौरान, काबुल में निर्बल परिवारों तक मदद पहुँचा रहा है.
© WFP/Sadeq Naseri
विश्व खाद्य कार्यक्रम, भीषण सर्दी के दौरान, काबुल में निर्बल परिवारों तक मदद पहुँचा रहा है.

शिक्षा के अधिकार का हनन

यूएन महासचिव ने अपने सम्बोधन में छठवीं कक्षा से ऊपर की पढ़ाई करने वाली छात्राओं की पढ़ाई पर पाबन्दी बढ़ाये जाने पर गहरा खेद प्रकट किया. 

उन्होंने क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि यह लड़कियों के लिये समान शिक्षा के अधिकार का हनना है, जिससे पूरे देश को क्षति पहुँचेगी, और लड़कियों के हिंसा, निर्धनता व शोषण का शिकार होने की आशंका बढ़ेगी. 

महासचिव गुटेरेश ने ध्यान दिलाया कि महिलाओं और लड़कियों का समाज के हर क्षेत्र व अर्थव्यवस्था में समावेशन, अफ़ग़ानिस्तान में आर्थिक, मानवीय व मानवाधिकार संकटों पर पार पाने के लिये अहम है. 

उन्होंने क्षेत्र में प्रभुत्व रखने वाले देशों से आग्रह किया कि बिना किसी भेदभाव के सभी छात्रों के लिये, स्कूल फिर से खोले जाने के वादे को पूरा करने के लिये तालेबान प्रशासन पर दबाव बनाया जाए.

मगर, यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने सचेत किया कि शिक्षा को मोलभाव के एक औज़ार के रूप में इस्तेमाल में नहीं लाया जा सकता है.

उनके मुताबिक़, स्थानीय प्रशासन के इस निर्णय पर मानवीय राहत को रोके जाने का कोई तर्क नहीं है, और अफ़ग़ान जनता को दोहरा दण्ड नहीं दिया जा सकता है. 

यूएन महासचिव ने ज़ोर देकर कहा कि अफ़ग़ान जनता के जीवन में तत्काल और ठोस बदलाव लाने के लिये आपसी एकजुटता के साथ, सकंल्पों को मज़बूती प्रदान करनी होगी और अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाना होगा.