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अफ़ग़ानिस्तान: स्थिरता व शान्ति के अभाव में, 'विश्व को चुकानी पड़ सकती है बड़ी क़ीमत'

विश्व खाद्य कार्यक्रम, भीषण सर्दी के दौरान, काबुल में निर्बल परिवारों तक मदद पहुँचा रहा है.
© WFP/Sadeq Naseri
विश्व खाद्य कार्यक्रम, भीषण सर्दी के दौरान, काबुल में निर्बल परिवारों तक मदद पहुँचा रहा है.

अफ़ग़ानिस्तान: स्थिरता व शान्ति के अभाव में, 'विश्व को चुकानी पड़ सकती है बड़ी क़ीमत'

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने आगाह किया है कि यदि अफ़ग़ानिस्तान में स्थिरता, समृद्धि, शान्ति और आमजन के लिये सहायता सुनिश्चित नहीं की गई, तो क्षेत्र व दुनिया को इसकी एक बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ सकती है. यूएन प्रमुख ने देश में चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों व मानवीय ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए, वैश्विक समुदाय से हरसम्भव मदद मुहैया कराए जाने की पुकार लगाई है. 

 

महासचिव गुटेरेश ने अफ़ग़ानिस्तान में मौजूदा हालात और उससे अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा के लिये उपजे जोखिमों पर, बुधवार को सुरक्षा परिषद को जानकारी मुहैया कराई है. 

यूएन महासचिव ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में अगस्त 2021 में, तालेबान का वर्चस्व स्थापित होने के छह महीने बाद, देश बेहद कठिन दौर से गुज़र रहा है, और आम लोग नारकीय जीवन जीने के लिये विवश हैं.

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने क्षोभ जताया कि देश में पिछले कई वर्षों में दर्ज की गई प्रगति, पलक झपकते ही गुम हो गई है.

उन्होंने कहा कि परिवारों को, हाड़ कँपा देने वाली सर्दी में प्लास्टिक चादरों से बनाए गए अस्थाई शिविरों में रहना पड़ रहा है, और गर्माहट के लिये अपना सामान जलाना पड़ रहा है.

“क्लीनिक पर भारी भीड़ है, और संसाधन कम हैं. अस्पतालों में ऐम्बुलेंस और बिजली के लिये जैनरेटर के लिये, ऊँची क़ीमतों के कारण ईंधन नहीं है.”

अफ़ग़ान जनता को कोविड-19 महामारी के साथ-साथ, ख़सरा, अतिसार और पोलियो का भी सामना करना पड़ रहा है.

“शिक्षा और सामाजिक सेवाएँ भी ध्वस्त होने के कगार पर पहुँच चुकी हैं.” 

उन्होंने बताया कि आधी से अधिक अफ़ग़ान आबादी को पर्याप्त मात्रा में भोजन नहीं मिल पा रहा है.

बदहाल अर्थव्यवस्था

देश पिछले दो दशकों में सबसे ख़राब सूखे से जूझ रहा है, और मौजूदा हालात, 90 लाख लोगों को अकाल की तरफ़ धकेल रहे हैं.

महासचिव ने आगाह किया कि अफ़ग़ान अर्थव्यवस्था एक बेहद विकट दौर से गुज़र रही है.

स्थानीय मुद्रा के मूल्य में भीषण गिरावट आने का जोखिम है, और एक साल के भीतर, देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 30 फ़ीसदी तक की कमी आ सकती है.  

साथ ही, “पाबन्दियों और भरोसे के अभाव में, वैश्विक बैंकिग प्रणाली ने केन्द्रीय बैंक की क़रीब 9 अरब डॉलर की सम्पत्तियों को ज़ब्त कर लिया है.”

बदहाल अर्थव्यवस्था के बीच मानवाधिकारों को चोट पहुँच रही है, और महिलाओं व लड़कियों पर इसका विषमतापूर्ण ढंग से असर हुआ है. 

यूएन प्रमुख ने अफ़ग़ानिस्तान के मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की एक बैठक को सम्बोधित किया.
UN Photo/Eskinder Debebe
यूएन प्रमुख ने अफ़ग़ानिस्तान के मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की एक बैठक को सम्बोधित किया.

“महिलाओं और लड़कियों को एक बार फिर से कार्यालयों और कक्षाओं से बाहर निकाल दिया गया है.”

यूएन प्रमुख ने मनमाने ढंग से गिरफ़्तार या अपहृत महिलाओं की तत्काल रिहाई की मांग की है.

अफ़ग़ानिस्तान में वर्तमान परिस्थितियों के मद्देनज़र, आतंकवाद के पनपने और उससे देश व पूरी दुनिया के लिये ख़तरों पर चिन्ता व्यक्त की गई है.

विशाल राहत अपील

संयुक्त राष्ट्र ने अफ़ग़ानिस्तान में मानवीय त्रासदी से जूझ रहे लोगों की मदद के लिये दो सप्ताह पहले, इस वर्ष क़रीब साढ़े चार अरब डॉलर की अपील जारी की थी. 

यूएन के इतिहास में किसी एक देश के लिये यह सबसे बड़ी अपील है.  

इस क्रम में, स्वास्थ्य, शरण, पोषण, संरक्षण और आपात शिक्षा के लिये जीवनरक्षक समर्थन का दायरा व स्तर बढ़ाया गया है. साथ ही, परिवारों की मदद के लिये नक़दी हस्तान्तरण भी किया गया है.

पिछले वर्ष, यूएन और साझीदार संगठनों ने देश भर में एक करोड़ 80 लाख लोगों तक सहायता पहुँचाई और इस साल अधिक संख्या में ज़रूरतमन्दों तक मदद पहुँचाने का सकंल्प जताया गया है. 

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने अफ़ग़ानिस्तान को बिखरने के कगार से वापिस लाने, संसाधन मुहैया कराने और प्रगति की दिशा में ले जाने के लिये, वैश्विक समुदाय और सुरक्षा परिषद का आहवान किया.

यूनीसेफ़ ने ज़रूरतमन्द परिवारों को आवश्यक राहत सामग्री वितरित की है.
© UNICEF/Sayed Bidel
यूनीसेफ़ ने ज़रूरतमन्द परिवारों को आवश्यक राहत सामग्री वितरित की है.

इस क्रम में, तीन अहम बिन्दुओं पर ज़ोर दिया गया है:

सर्वप्रथम, ज़िन्दगियों की रक्षा के लिये मानवीय राहत अभियान का दायरा व स्तर बढ़ाना होगा.

महासचिव ने कहा कि ज़रूरतमन्दों तक सहायता पहुँचाने के लिये उन नियमों व शर्तों की समीक्षा की जानी होगी, जिनसे अर्थव्यवस्था व जीवनदाई अभियानों में मुश्किलें पेश आती हैं. 

अन्तरराष्ट्रीय धनराशि के ज़रिये सार्वजनिक सैक्टर में कार्यरत कर्मचारियों के वेतन का भुगतान किये जाने की अनुमति होनी चाहिये.

उन्होंने सुरक्षा परिषद में पारित उस प्रस्ताव का स्वागत किया, जिसमें मानवीय राहत अभियानों के लिये पाबन्दियों में छूट का प्रावधान दिया गया है.

उन्होंने बताया कि अफ़ग़ानिस्तान की जनता के साथ खड़े होने के लिये, संयुक्त राष्ट्र की मज़बूत भूमिका ज़रूरी है.

इसके तहत, उन्होंने One-UN Transitional Engagement Framework का उल्लेख किया, जिसकी बैठक बुधवार को शुरू हुई है.

इस फ़्रेमवर्क की मदद से अफ़ग़ान जनता की मानवीय और विकास ज़रूरतों को पूरा करने के प्रयास किया जाएगा.

साथ ही, सुरक्षा, प्रगति व मानवाधिकारों को समर्थन के लिये, इसमें यूएन के विशेष राजनैतिक मिशन के लिये सिफ़ारिशें शामिल की गई हैं.

दूसरा, नक़दी बढ़ाकर अफ़ग़ान अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाना होगा.

महासचिव ने कहा कि मुद्रा के ज़ब्त भण्डारों को उपलब्ध बनाना होगा, और अर्थवय्वस्था में नक़दी मुहैया कराई जानी होगी. 

पिछले महीने, विश्व बैंक ने अफ़ग़ानिस्तान में पुनर्निर्माण कोष के लिये 28  करोड़ डॉलर की रक़म, यूनीसेफ़ और विश्व खाद्य कार्यक्रम को प्रदान की है.

अफ़ग़ानिस्तान में कड़ाके की सर्दी में बच्चे आग जलाकर, ख़ुद को गर्म रखने की कोशिश कर रहे हैं.
© UNICEF/Sayed Bidel
अफ़ग़ानिस्तान में कड़ाके की सर्दी में बच्चे आग जलाकर, ख़ुद को गर्म रखने की कोशिश कर रहे हैं.

महासचिव ने कहा कि जल्द से जल्द एक अरब 20 करोड़ डॉलर की राशि मुहैया करानी होगा, ताकि सर्दी के मौसम में अफ़ग़ान जनता तक मदद पहुँचाई जा सके.

तीसरा, तालेबान को वैश्विक समुदाय का हिस्सा बनने के लिये संकल्प दर्शाना होगा.

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने भरोसे पैदा करने के लिये अवसर उपलब्ध हैं, मगर इस विश्वास को कमाना होगा.

उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में अफ़ग़ान और अन्तरराष्ट्रीय महिला राहतकर्मी, परियोजनाएँ लागू करने में कड़ी मेहनत कर रही हैं और ज़मीनी स्तर पर बदलाव ला रही हैं.

उन्होंने सभी सरकारी संस्थाओं में समुचित प्रतिनिधित्व और समावेश सुनिश्चित करने के लिये हरसम्भव प्रयास किये जाने पर बल दिया.

यूएन प्रमुख ने आगाह किया कि देश लम्बे समय से आतंकी गुटों की शरणस्थली रहा है, और अगर समय रहते अफ़ग़ान जनता की मदद नहीं की गई है, तो क्षेत्र व दुनिया को इसकी एक भारी क़ीमत चुकानी पड़ सकती है.

इसके मद्देनज़र, देश में सभी आतंकी संगठनों के विस्तार को रोके जाने की अहमियत को रेखांकित किया गया है.