वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

बेरोज़गारी

पाकिस्तान में काम की तलाश में कुछ व्यक्ति सड़क के किनारे बैठे हुए हैं.
IMF Photo/Saiyna Bashir

वर्ष 2023 में आर्थिक वृद्धि दर 1.9 प्रतिशत रह जाने की आशंका

संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अर्थशास्त्रियों ने सचेत किया है कि कोविड-19 महामारी, यूक्रेन में जारी युद्ध, बढ़ती मुद्रास्फीति, क़र्ज़ के दबाव और जलवायु आपात स्थिति सहित अन्य वैश्विक संकटों के कारण. वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भीषण असर हुआ है. इस पृष्ठभूमि में, वर्ष 2023 में आर्थिक वृद्धि की दर 1.9 प्रतिशत पर पहुँच जाने की सम्भावना है. वर्ष 2022 में यह दर तीन प्रतिशत अनुमानित थी.

सेनेगल में एक महिला सामूहिक प्रक्रिया सार्डिनेला
संयुक्त राष्ट्र महिला/ब्रूनोडेमोक

निवेश नहीं हुआ तो, लैंगिक समानता प्राप्ति में लग सकते हैं 300 साल

महिला सशक्तिकरण के लिये प्रयासरत यूएन संस्था (UN Women) और संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के विभाग (UN DESA) ने बुधवार को एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जो दर्शाती है कि यदि पूर्ण लैंगिक समानता हासिल करने की दिशा में प्रगति की मौजूदा रफ़्तार ही जारी रही, तो इस लक्ष्य को पाने में क़रीब 300 साल लग सकते हैं.

एक युवा महिला कर्मचारी अंतसिराबे में एक गैस स्टेशन पर काम करती है. मेडागास्कर.
ILO/मार्सेल क्रोज़ेट

ILO: कोविड-19 महामारी के प्रभावों से युवा कामगार सर्वाधिक प्रभावित

अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने गुरूवार को कहा है कि इस वर्ष रोज़गार व आमदनी वाला कामकाज नहीं पा सकने वाले युवजन की संख्या सात करोड़ 30 लाख तक पहुँचने का अनुमान है, जोकि कोविड-19 से पहले के हालात से पूरे साठ लाख ज़्यादा संख्या है.

अफ़ग़ानिस्तान में यूएन की विशेष प्रतिनिधि और यूएन मिशन प्रमुख डेबराह लियोन्स.
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अफ़ग़ानिस्तान: तालेबान के साथ मिलजुलकर प्रयास किये जाने पर बल

अफ़ग़ानिस्तान में यूएन महासचिव की विशेष प्रतिनिधि और यूएन मिशन (UNAMA) की प्रमुख डेबराह लियोन्स ने कहा है कि देश की सत्ता पर तालेबान का वर्चस्व स्थापित होने के छह महीने बाद, सम्बद्ध देशों के लिये यह समय, देश की नई प्रशासनिक व्यवस्था के साथ अपने सम्बन्धों में प्रगाढ़ता लाने और एक ऐसी आर्थिक बदहाली टालने का है, जिसकी दिशा को पलटा ना जा सके.

तुर्की में एक युवक को रोज़गार प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है.
© ILO/Berke Arakli

कोविड-19: महामारी से पुनर्बहाली के लिये, व्यक्ति-केन्द्रित उपायों की पुकार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कोविड-19 महामारी से पुनर्बहाली के मुद्दे पर आयोजित एक बैठक को सम्बोधित करते हुए, व्यक्ति-केन्द्रित उपायों को प्राथमिकता दिये जाने का आहवान किया है. उन्होंने कहा कि सार्वभौमिक सामाजिक संरक्षा के वादे को साकार किया जाना होगा और लोगों को उपयुक्त व शिष्ट रोज़गार उपलब्ध कराए जाने होंगे.

फ़्राँस के एक अस्पताल की रसोई में मरीज़ों के लिये भोजन तैयार किया जा रहा है.
ILO Photo/Marcel Crozet

कोविड-19 का श्रम बाज़ार पर असर - बढ़ती बेरोज़गारी, निर्धनता और विषमता

वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण श्रम बाज़ार में उपजे संकट के ख़त्म होने के आसार फ़िलहाल नहीं है, और रोज़गार के अवसरों में होने वाली बढ़ोत्तरी, वर्ष 2023 तक इस नुक़सान की भरपाई नहीं कर पाएगी. अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा बुधवार को जारी एक रिपोर्ट दर्शाती है कि वैश्विक संकट के कारण, 2022 तक बेरोज़गारों की संख्या बढ़कर 20 करोड़ 50 लाख हो जाएगी, और निर्धनों की संख्या में वृद्धि होने के साथ-साथ विषमता भी बढ़ेगी.