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यमन: मानवीय सहायता के लिये धनराशि का वादा ‘निराशाजनक’ 

यमन के फ़ज़ल में टैण्ट में रह रहा एक विस्थापित परिवार.
UNOCHA/Giles Clarke
यमन के फ़ज़ल में टैण्ट में रह रहा एक विस्थापित परिवार.

यमन: मानवीय सहायता के लिये धनराशि का वादा ‘निराशाजनक’ 

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने यमन के लिये मानवीय राहत का इन्तज़ाम करने के लिये आयोजित 'सहायता राशि संकल्प सम्मेलन' के नतीजे को निराशाजनक क़रार दिया है. यूएन प्रमुख ने बताया कि पिछले वर्ष की मानवीय राहत कार्रवाई की तुलना में आधी संख्या में ही संकल्प व्यक्त किये गए हैं और संकल्प की धनराशि, वर्ष 2019 के आँकड़े की तुलना में एक अरब डॉलर कम है. 

यूएन प्रमुख ने क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा है कि सहायता धनराशि में कटौती किया जाना, मौत की सज़ा दिये जाने के समान है. इसके बावजूद, लाखों यमनी लोगों को गुज़ारे के लिये जल्द से जल्द और ज़्यादा राहत की आवश्यकता है.

सोमवार को उच्चस्तरीय संकल्प सम्मेलन के आरम्भ में तीन अरब 85 करोड़ डॉलर एकत्र किये जाने की अपील जारी की गई थी, लेकिन दानदाताओं ने एक अरब 70 डॉलर की सहायता राशि का ही संकल्प लिया गया. 

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यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने आयोजन सम्पन्न होने के बाद कहा, “राहत में कटौती करना मृत्यु दण्ड देना है.”

महासचिव गुटेरेश ने मदद का संकल्प लेने वालों पक्षों की उदारता के प्रति आभार व्यक्त किया है, और अन्य पक्षों से आग्रह किया है कि अकाल के मंडराते जोखिम को टालने के लिये उन्हें पुनर्विचार करना चाहिये. 

यूएन प्रमुख ने कहा, “अन्त में शान्ति की ओर एकमात्र रास्ता, तात्कालिक, राष्ट्रव्यापी युद्धविराम, और भरोसा बढ़ाने वाले क़दमों का पुलिन्दा है.

इसके बाद, संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में, यमनी नेतृत्व में, एक समावेशी राजनैतिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाना होगा, जिसे अन्तरराष्ट्रीय समर्थन प्राप्त हो.”

“इसके अलावा, कोई अन्य विकल्प नहीं है. संयुक्त राष्ट्र, यमन में भुखमरी का शिकार जनता के साथ एकजुटता के साथ खड़ा होना जारी रखेगा.”

अकाल का जोखिम

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने सोमवार को आगाह किया कि देश में एक करोड़ 60 लाख से ज़्यादा लोगों पर भुखमरी का ख़तरा मंडरा रहा है, और इस पीड़ा की गम्भीरता को बयाँ कर पाना कठिन है.

उन्होंने ध्यान दिलाया कि दो करोड़ से ज़्यादा यमनी लोगों को तत्काल सहायता व संरक्षा की आवश्यकता है, विशेष रूप से महिलाओं व बच्चों के लिये.

दो-तिहाई से ज़्यादा लोग भोजन, स्वास्थ्य सेवा और अन्य जीवनरक्षक सहायता के अभाव से पीड़ित हैं, जबकि लगभग 40 लाख लोगों को जबरन अपने घरों से विस्थापित होना पड़ा है. 

50 हज़ार लोग, पहले से ही अकाल जैसी परिस्थितियों से जूझ रहे हैं, और डेढ़ करोड़ से ज़्यादा लोगों के भुखमरी का शिकार होने का जोखिम है. 

सबसे ज़्यादा हालात, हिंसक संघर्ष से प्रभावित इलाक़ों में हैं. 

असहनीय पीड़ा

यूएन महासचिव ने बताया कि वर्ष 2021 में, हिंसक संघर्ष में दो हज़ार से ज़्यादा आम लोग हताहत हुए, अर्थव्यवस्था तबाह हो गई, और सार्वजनिक सेवाएँ ढह गईं. 

उन्होंने कहा कि केवल 50 प्रतिशत स्वास्थ्य केन्द्रों पर ही कामकाज हो रहा है, वो भी ऐसे समय में जब देश कोविड-19 के रूप में एक गम्भीर स्वास्थ्य चुनौती का सामना कर रहा है.  

“अधिकाँश लोगों के लिये, यमन में जीवन अब असहनीय है.”

उन्होंने सचेत किया कि चार लाख बच्चे बेहद गम्भीर कुपोषण का शिकार हैं और तत्काल उपचार के अभाव में उनकी मौत किसी भी समय हो सकती है.  कुपोषित बच्चों के हैज़ा, ख़सरा सहित अन्य घातक रोगों से बीमार होने का ख़तरा भी ज़्यादा रहता है. 

दवाओं की कमी का सामना कर रहे और बोझ से दबे, स्वास्थ्य केन्द्रों पर आने वाले, बीमार व घायल बच्चों को, अक्सर वापिस भेज दिया जाता है.

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि बन्दूकों के शान्त हो जाने के बाद भी, बच्चे मौजूदा हालात की एक बड़ी क़ीमत चुकाते रहेंगे, और बहुत से बच्चे अपनी पूर्ण शारीरिक व मानसिक क्षमताओं को हासिल नहीं कर पाएँगे. 

“यह युद्ध, यमनी लोगों की एक पूरी पीढ़ों को निगल रहा है, जिसे रोका जाना होगा.”

महासचिव ने बताया कि यह पाँचवी बार है जब यमन के लिये, एक उच्चस्तरीय मानवीय राहत संकल्प सम्मेलन का आयोजन किया गया है. 

उन्होंने कहा कि कड़वी सच्चाई यह है कि अगर युद्ध का अन्त नहीं हुआ तो अगले वर्ष एक और ऐसा आयोजन करना पड़ेगा. 

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश (बाएँ) और मानवीय राहत मामलों के प्रमुख मार्क लोकॉक, यमन के लिये संकल्प सम्मेलन में हिस्सा लेते हुए.
UN Photo/Evan Schneider
यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश (बाएँ) और मानवीय राहत मामलों के प्रमुख मार्क लोकॉक, यमन के लिये संकल्प सम्मेलन में हिस्सा लेते हुए.

बदहाल हालात

देश की मुद्रा लुढ़क गई है और विदेशों से स्वदेश को धन प्रेषण (Remittances) पर कोविड-19 महामारी के कारण असर पड़ा है. 

उन्होंने ध्यान दिलाया कि मानवीय राहत संगठनों ने अपने कार्यक्रम या तो बन्द कर दिये हैं, या फिर उनका दायरा सीमित किया है, जिससे हालात पहले से कहीं ज़्यादा ख़राब हो गए हैं. 

यूएन में आपात राहत मामलों के समन्वयक मार्क लोकॉक ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि यमन में अकाल को टालने का सबसे तेज़ और दक्षतापूर्ण रास्ता, राहत अभियान के लिये और अधिक धनराशि का इन्तज़ाम करना है. 

उन्होंने कहा कि इससे स्थाई शान्ति के लिये परिस्थितियों का निर्माण करने में मदद मिलेगी, लेकिन समुचित समर्थन के अभाव में यह संकट और बढ़ता रहेगा. 

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) ने बताया कि सहायता धनराशि की कमी के कारण प्रजनन स्वास्थ्य सुविधा केन्द्रों को बन्द करना पड़ सकता है.

गर्भावस्था व प्रसव सम्बन्धी जटिलताओं के कारण एक लाख से ज़्यादा मौतें होने का जोखिम बताया गया है. 

यूएन एजेंसी ने आगाह किया कि अगर जीवनरक्षक प्रजनन स्वास्थ्य व संरक्षण सेवाएँ रुकती हैं, तो यह महिलाओं व लड़कियों के लिये विनाशकारी होगा.

विश्व खाद्य कार्यक्रम के प्रमुख डेविड बीज़ली ने कहा कि यमन में पर्याप्त सहायता राशि के अभाव का, बच्चों पर गम्भीर असर होगा, और इसे रोकने के लिये साझीदार संगठनों को क़दम आगे बढ़ाने होंगे. 

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष की कार्यकारी निदेशक हैनरीएटा फ़ोर ने भी ध्यान दिलाया है कि तत्काल उपचार की कमी के कारण लाखों यमनी बच्चों की मौत हो सकती है, और इस स्थिति को टालने के लिये तत्काल कार्रवाई किये जाने की आवश्यकता है.