वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

नीले व चमकीले आकाश की ख़ातिर

सूर्योदय का एक दृश्य. पृथ्वी की सलामती के लिये इन्सानों को बहुत ज़िम्मेदारी दिखानी होगी.
WMO/Boris Palma
सूर्योदय का एक दृश्य. पृथ्वी की सलामती के लिये इन्सानों को बहुत ज़िम्मेदारी दिखानी होगी.

नीले व चमकीले आकाश की ख़ातिर

जलवायु और पर्यावरण

सोमवार, सात सितम्बर को दुनिया भर में प्रथम “नीले आसमानों के लिये स्वच्छ वायु का अन्तरराष्ट्रीय दिवस” मनाया जा रहा है. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सभी इनसानों की रोज़मर्रा की ज़िन्दगी और स्वास्थ्य के लिये स्वच्छ वायु की अहमियत को ध्यान में रखते हुए ये दिवस मनाए जाने की मंज़ूरी दी है. 

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस दिवस के अवसर पर जारी अपने सन्देश में वायु प्रदूषण से उत्पन्न ख़तरों की तरफ़ ध्यान दिलाया है और इस समस्या का समाधान निकालने के लिये और ज़्यादा प्रयास किये जाने का आग्रह किया है.

Tweet URL

महासचिव ने कहा, “वायु प्रदूषण दिल की बीमारियों, आघात, फेफड़ों का कैन्सर और साँस सम्बन्धी अन्य बीमारियों में सहायक बनता है. साथ ही इससे अर्थव्यवस्था, खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण के लिये भी ख़तरा पैदा होता है.” 

“हम जैसे-जैसे कोरोनावायरस से उबरने की कोशिश कर रहे हैं, विश्व को वायु प्रदूषण की समस्या की तरफ़ और ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है, इसके कारण कोविड-19 से जुड़े ख़तरे भी बढ़ते हैं.”

दुनिया भर में हर 10 में से 9 लोग प्रदूषित हवा में साँस लेते हैं, और वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में हर साल लगभग 70 लाख लोगों की मौत समय से पहले ही हो जाती है. ये मौतें मुख्य रूप से निम्न और मध्य आय वाले देशों में होती हैं.

इस वर्ष वैश्विक महामारी कोविड-19 से निपटने के प्रयासों में लागू की की पाबन्दियों और तालाबन्दी की वजह से कार्बन उत्सर्जन में कुछ कमी हुई है जिससे अनेक शहरों में कुछ स्वच्छ हवा की झलक महसूस की गई है. लेकिन कार्बन उत्सर्जन में फिर से बढ़ोत्तरी भी देखने को मिलने लगी है, कुछ स्थानों पर तो कार्बन उत्सर्जन फिर से कोविड-19 शुरू होने के पहले के स्तर पर पहुँच गया है.

महासचिव ने ज़ोर देकर कहा, “हमें बहुत त्वरित गति से और व्यवस्थागत बदलाव करने होंगे. ऐसे पर्यावरण मानकों, नीतियों और क़ानूनों की समीक्षा करके उन्हें फिर से मज़बूती के साथ लागू करने होगा जिनसे वायु प्रदूषक तत्वों के उत्सर्जन को रोकने में मदद मिले जिसकी अभूतपूर्व स्तर पर ज़रूरत है.”

जलवायु कार्रवाई और स्वच्छ वायु

जलवायु परिवर्तन के मुद्दे का समाधान निकालने से वायु प्रदूषण को कम करने में भी मदद मिल सकती है.

महासचिव के अनुसार, “वैश्विक तांपमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने से वायु प्रदूषण, मौतें और बीमारियाँ कम करने में मदद मिलेगी.”

उन्होंने तमाम देशों का आहवान किया कि वो जीवाश्म ईंधन पर दिया जाने वाला अनुदान बन्द कर दें, साथ ही कोविड-19 महामारी से उबरने के राहत पैकेजों का इस्ताल स्वस्थ और टिकाऊ रोज़गार सृजन करने की तरफ़ रुख़ को समर्थन देने के लिये करें.

ये भी पढ़ें: खेतों में आग, बदली-बदली सी है फ़िजाँ, बदलनी होंगी आदतें भी

“मैं अब भी जीवाश्म ईंधन सम्बन्धी परियोजनाओं को धन मुहैया कराने वाले विकासशील देशों की सरकारों का ये आहवान करता हूँ कि वो वित्तीय मदद स्वच्छ ऊर्जा और टिकाऊ परिवहन की तरफ़ मोड़ दें.”

उन्होंने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर देशों को स्वच्छ टैक्नॉलॉजी की तरफ़ रुख़ करने के लिये मदद करने के वास्ते एक दूसरे के साथ सहयोग करना होगा.

अन्तरराष्ट्रीय दिवस 

हर वर्ष 7 सितम्बर को बनाया जाने वाला ये दिवस संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2019 में स्वीकृत किया था जिसका नाम रखा गया है – ‘नीले आकाशों के लिये स्वच्छ वायु का अन्तरराष्ट्रीय दिवस’.

इस दिवस के ज़रिये स्वच्छ वायु की महत्ता को पहचान देने की कोशिश करने के साथ-साथ इनसानों और पारिस्थितिकी तन्त्र के लिये वायु प्रदूषण के ख़तरों की तरफ़ ध्यान खींचना भी एक मक़सद है. ख़ासतौर से महिलाओं, बच्चों और बुज़ुर्गों पर वायु प्रद्षण के ग़ैर-आनुपातिक प्रभाव होते हैं.

महासभा के स्वीकृति प्रस्ताव में ज़ोर दिया गया है कि वायु गुणवत्ता में सुधार सम्बन्धी क्षेत्रों में वैश्विक, क्षेत्रीय और स्थानीय स्तरों पर अन्तरराष्ट्रीय सहयोग और ज़्यादा मज़बूत करना होगा, इसमें आँकड़े एकत्र करना, उनका सही प्रयोग करना, संयुक्त शोध व विकास, और सर्वश्रेष्ठ व सफल कार्यकलापों को एक दूसरे के साथ साझा करना भी शामिल है.

इस अन्तरराष्ट्रीय दिवस का मक़सद स्वास्थ्य, उत्पादकता, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के लिये स्वच्छ वायु की महत्ता के बारे में जागरूकता बढ़ाना है. 

ये दिवस जलवायु परिवर्तन, वायु गुणवत्ता में बेहतरी लाने वाले समाधानों को बढ़ावा देने, नवीनतम जानकारी व ज्ञान को कार्यकलापों में बदलकर उसकी जानकारी और कामयाबी के उदाहरणों को सभी के साथ साझा करने जैसी अन्य पर्यावरणीय चनौतियों और वायु गुणवत्ता के बीच निकट जुड़ाव को भी सामने लाता है. 

साथ ही वायु गुणवत्ता के असरदार प्रबन्धन के लिये राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर काम करने वाले विभिन्न पक्षों के बीच घनिष्ठ तालमेल स्थापित किया जाए.

दुनिया भर में यूएन एजेंसियाँ, देशों की सरकारें, सिविल सोसायटी संगठन और ग़ैर-लाभकारी संगठनों ने इस दिवस के अवसर पर अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया है.

इनमें से ज़्यादातर कार्यक्रम कोविड-19 महामारी के ऐहतियाती उपायों के कारण वर्चुअल हुए हैं. इनमें विचार गोष्ठियाँ, वैबिनार, संगीतमय कार्यक्रम, डॉक्यूमेण्ट्री दिखाया जाना, प्रदर्शनियाँ और पेड़-पौधों का दान किया जाना शामिल है.

इस मिशन में सहयोग देने के लिये लोग भी निजी हैसियत में महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं: जैसेकि कामकाज पर जाने के लिये सायकिल का इस्तेमाल करके, कूड़े-कचरे में आग ना लगाकर (इससे वायु प्रदूषण फैलता है), और शहरों व नगरों में ज़्यादा हरित स्थान बढ़ाने के लिये अधिकारियों पर दबाव डालकर, सभी लोग संयुक्त रूप से वायु को ज़्यादा स्वच्छ और आसमानों को ज़्यादा नीला बनाने में अपनी-अपनी भूमिका अदा कर सकते हैं.