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वायु प्रदूषण बढ़ा रहा है दमा पीड़ितों की समस्याएं

बांग्लादेश की राजधानी ढाका में जलते कूड़े के ढेर के पास से गुज़रते लोग.
UNICEF/Khan
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में जलते कूड़े के ढेर के पास से गुज़रते लोग.

वायु प्रदूषण बढ़ा रहा है दमा पीड़ितों की समस्याएं

स्वास्थ्य

दमे का दौरा पड़ना एक कष्टदायी और डरा देने वाला अनुभव होता है. दौरा पड़ते समय श्वास नलिकाओं के सिकुड़ने और सीने में जकड़न होने से सांस लेना मुश्किल हो जाता है और स्थिति बिगड़ने पर जान का ख़तरा भी पैदा हो जाता है. विश्व अस्थमा दिवस 2019 यह ध्यान दिलाता है कि सांस लेने की बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए हर प्रकार का वायु प्रदूषण गंभीर समस्याएं पैदा करता है. 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों के अनुसार दुनिया में 23.5 करोड़ लोग अस्थमा या दमे की बीमारी से पीड़ित हैं.  दमा प्रमुख ग़ैर-संचारी बीमारियों में शामिल है और बच्चों में यह बीमारी आमतौर पर देखने को मिलती है. दमे की वजह से होने वाली 80 फ़ीसदी से ज़्यादा मौतें निम्न और निम्न-मध्य आय वाले देशों में होती हैं.

वाहनों से निकलने वाला धुंआ स्वास्थ्य के लिए वैसे ही हानिकारक है लेकिन दमे के मरीज़ों के लिए ये ख़ासतौर पर समस्याएं खड़ी करता है. एक नई रिपोर्ट के अनुसार गाड़ियों के धुंए से होने वाले प्रदूषण की वजह से हर साल 40 लाख बच्चे - प्रतिदिन 11 हज़ार मामले - दमे का शिकार हो रहे हैं. 

दमे की बीमारी की बुनियादी वजहों को पूरी तरह नहीं समझा जा सका है लेकिन वंशानुगत कारणों के अलावा ये सांस के साथ अंदर जाने वाले ऐसे तत्वों और कणों के संपर्क में आने और एलर्जी उभरने से भी हो सकता है. इनमें घर में मौजूद धूल के कण, पराग कण, धूम्रपान और वायु प्रदूषण शामिल हैं.

हवा में मौजूद हानिकारक तत्वों के सांस के रास्ते शरीर में प्रवेश करने, मौसम में बदलाव होने या धूल में छिपे कणों से अस्थमा के लक्षण उभर सकते हैं. इसके अलावा ठंडी हवा, चरम भावनात्मक प्रतिक्रियाओं और शारीरिक दौड़धूप से भी परेशानी हो सकती है. 

मिस्र की राजधानी काहिरा में वायु प्रदूषण.
World Bank/Kim Eun Yeul
मिस्र की राजधानी काहिरा में वायु प्रदूषण.

अस्थमा का दौरा पड़ने से श्वास नलिकाएं बंद होने लगती हैं जिससे फेफड़ों तक पहुंचने वाली और उनसे बाहर जाने वाली हवा का प्रवाह घटने लगता है.  इससे सांस उखड़ने लगती हैं और दम घुटने लगता है. 

वायु प्रदूषण का प्रकोप

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वायु की गुणवत्ता के लिए जो सुरक्षा मानक निर्धारित किए हैं, दुनिया में हर 10 में से 9 व्यक्ति उससे कहीं ज्यादा प्रदूषण के स्तर को झेलने के लिए मजबूर हैं. वायु प्रदूषण की वजह से पहले से ही अस्थमा से पीड़ित मरीज़ों के लिए दिक्कतें और बढ़ जाती हैं. 

विश्व में सबसे ज़्यादा प्रदूषित शहरों की लिस्ट में भारत के कई शहर आते हैं. वाहनों से निकलने वाले धुंए में मौजूद हानिकारक कण हवा में घुलते हैं और फिर सांस के रास्ते ये सूक्ष्म कण शरीर में प्रवेश कर जाते हैं.बच्चों की लंबाई वयस्कों की तुलना में कम होती है  जिसके चलते वाहनों में पाइप के ज़रिए निकलने वाला धुंआ उन तक जल्दी और ज़्यादा मात्रा में पहुंचता है. बच्चे सांस भी जल्दी जल्दी लेते हैं जिससे उनके फेफड़ों में ज़्यादा हवा पहुंचती है. 

पेट्रोल और डीज़ल से चलने वाले वाहनों और ऊर्जा उत्पादन के दौरान नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) गैसें निकलती हैं. इनमें स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तत्व होते हैं जिनसे हृदय की बीमारी और श्वसन तंत्र संबंधी बीमारियां होने की आशंका बढ़ जाती हैं.  विकासशील देशों की हवा में ऐसे प्रदूषक तत्वों का स्तर अब भी लगातार  बढ़ रहा है. 

फ़ैक्ट्रियों से निकलने वाला धुंए, कोयले से चलने वाले पावर प्लांट और किसानों द्वारा पुआल जलाने से भी वायु की गुणवत्ता प्रभावित होती है. 

क्या किया जा सकता है?

नगर पालिकाएं स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए स्वच्छ वातावरण सुनिश्चित करने के लिए 'क्लीन एयर ज़ोन्स' स्थापित कर सकते हैं.  इसके तहत स्कूल जाने वाले रास्तों पर वाहनों की संख्या को कम किया जा सकता है जिससे प्रदूषण कम हो और वायु की गुणवत्ता को बनाए रखना भी संभव हो सके. 

दुनिया में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए नवीनीकृत ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाने के भी प्रयास निरंतर जारी हैं जिससे भविष्य में मदद मिलेगी. परिवहन क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन को कटौती किए जाने से भी वायु प्रदूषण घटाया जा सकता है. 

वृक्षारोपण इस समस्या से निपटने के लिए एक बेहद ज़रूरी उपाय है. मौजूदा समय में इन बदलावों को अपनाने से भावी पीढ़ियों के लिए एक अच्छे भविष्य का निर्माण कर पाना संभव हो सकेगा. अन्यथा भविष्य में बच्चों के लिए जो समस्याएं पैदा होंगी उनसे उनके स्वास्थ्य और क्षमताओं पर बुरा असर पड़ेगा. 

विश्व स्वास्थ्य संगठन परिवहन, स्वास्थ्य, शहरी योजना औ ग्रामीण विकास सहित कई क्षेत्रों में सदस्य देशों को इस चुनौती का सामना करने में ज़रूरी मदद मुहैया करा रहा है. अधिक से अधिक संख्या में सरकारें वायु प्रदूषण की निगरानी करने और उसे घटाने के लिए कार्रवाई कर रही हैं. 

विश्व अस्थमा दिवस हर वर्ष सात मई को मनाया जाता है.

यह लेख पहले यहां प्रकाशित हुआ.