वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

कोविड-19: 'साझा दुश्मन' से लड़ाई में सहयोग से खुल सकता है शांति का रास्ता

यूएन एजेंसी द्वारा संचालित एक स्वास्थ्य केंद्र से कर्मचारी वृद्ध फ़लस्तीनी महिला को दवाई देते हुए.
UNRWA/Khalil Adwan
यूएन एजेंसी द्वारा संचालित एक स्वास्थ्य केंद्र से कर्मचारी वृद्ध फ़लस्तीनी महिला को दवाई देते हुए.

कोविड-19: 'साझा दुश्मन' से लड़ाई में सहयोग से खुल सकता है शांति का रास्ता

शान्ति और सुरक्षा

विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 से निपटने के प्रयासों में आपसी सहयोग से इसराइल और फ़लस्तीन के लिए ऐसे अवसरों का सृजन संभव है जिन्हें अपनाकर दोनों पक्ष मध्यपूर्व में शांति स्थापित करने और दशकों से चले आ रहे विवाद पर विराम लगाने में कर सकते हैं. मध्यपूर्व शांति वार्ता के लिए यूएन के विशेष समन्वयक निकोलय म्लादेनॉफ़ ने गुरुवार को वीडियो कान्फ़्रेंसिंग ज़रिए सुरक्षा परिषद को क्षेत्र में हालात से अवगत कराते हुए यह बात कही है. 

यूएन दूत ने कहा कि मार्च में भी पश्चिमी तट और ग़ाज़ा में लड़ाई और टकराव की घटनाएँ हुई जिनमें लोग हताहत हुए. लेकिन कोरोनावायरस रूपी साझा दुश्मन पर क़ाबू पाने के लिए आपसी सहयोग के प्रेरणादायक उदाहरण भी देखने को मिले हैं जिनसे शांति की दिशा में प्रगति की आशा बंधती है. 

उन्होंने कहा कि इस आपसी आत्मनिर्भरता को पहचाने जाने से विवाद को सुलझाने की दिशा में ठोस प्रगति हो सकती है, बशर्ते के राजनैतिक इच्छाशक्ति का परिचय दिया जाए. ग़ौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र की मदद से दोनों पक्ष कोविड-19 के ख़िलाफ़ प्रयासों में समन्वय के साथ जुटे हैं. 

“मैं इसराइली फ़लस्तीनी नेताओं से मज़बूती से आग्रह करता हूँ कि वे इस लम्हे का इस्तेमाल शांति की दिशा में आगे क़दम बढ़ाने के लिए करें, और ऐसी एकतरफ़ा कार्रवाई से बचें जिससे दोनों ओर लोगों में दरार गहरी हो सकती हो और शांति के अवसर कमज़ोर हों.”

विशेष समन्वयक ने वीडियो कान्फ़्रेंसिंग के ज़रिए सुरक्षा परिषद को अवगत कराया.

तीन दिन पहले ही इसराइल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतनयाहू और ब्लू एंड व्हाइट पार्टी के प्रमुख बेनी गान्ट्ज गठबंधन सरकार बनाने के लिए रज़ामंद हुए हैं. 

यूएन दूत म्लादेनॉफ़ ने कहा कि एक तरफ़ तो दोनों नेताओं ने शांति समझौतों को आगे बढ़ाने का संकल्प दोहराया है, मगर  दोनों इसराइली नेता 1 जुलाई से पश्चिमी तट के हिस्सों को छीनने की योजना पर अमल करने पर भी क़ायम हैं. 

इसके जवाब में फ़लस्तीनी प्राधिकरण ने धमकी दी है कि अगर इलाक़ों पर क़ब्ज़ा हुआ तो सभी द्विपक्षीय समझौते रद्द कर दिए जाएंगे.

उन्होंने आगाह किया कि इसराइली नेताओं द्वारा आज लिए जाने वाले निर्णयों से आने वाले कई सालों तक इस विवाद की दिशा पर असर पड़ेगा. 

एकतरफ़ा कार्रवाई से बढ़ेगा तनाव

यूएन दूत ने कहा कि भूमि पर क़ब्ज़ा जमाने की कार्रवाई, बस्तियॉं बसाने के काम में तेज़ी लाने, और कोविड-19 के फैलाव के बढते ख़तरे से हालात भड़क सकते हैं जिससे शांति की उम्मीदों को झटका लगेगा. 

“एकतरफ़ा कार्रवाई के रास्ते पर आगे बढ़ने से सिर्फ़ विवाद और पीड़ा ही बढ़ेगी.”

ये भी पढ़ें: कोविड-19: इसराइल द्वारा फ़लस्तीनियों के साथ सहयोग की सराहना

उनके मुताबिक इसका बेहतर विकल्प इसराइली और फ़लस्तीनी पक्ष द्वारा एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना है ताकि मौजूदा समझौतों के दायरे को व्यापक बनाया जा सके, ग़ाज़ा में शांति को मज़बूती दी जाए, मध्यपूर्व चौकड़ी (योरोपीय संघ, रूस, संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका) द्वारा तैयार सिफ़ारिशें लागू की जाएँ और दो-राष्ट्र समाधान की दिशा में तेज़ी से क़दम बढ़ाए जाएँ. 

क्षेत्र में कोविड-19 के फैलाव को रोकने के लिए जारी प्रयासों की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि यूएन ने अब तक 10 लाख से ज़्यादा सामानों यूनिट वितरित की हैं – इनमें निजी बचाव उपकरण, हज़ारों टेस्ट किट्स सहित अन्य सामग्री शामिल है. 

उन्होंने इसराइल द्वारा किए जा रहे उन प्रयासों की ओर भी ध्यान आकृष्ट किया जिनके तहत जानलेवा वायरस से पीड़ित फ़लस्तीनियों की मदद की जा रही है. 

लेकिन अब भी कई चुनौतियां बरक़रार हैं और फ़लस्तीनी स्वास्थ्य केंद्रों पर मेडिकल उपकरणों और स्वास्थ्यकर्मियों की कमी ,है और पर्याप्त मात्रा में सहायता धनराशि का अभाव है. 

यूएन के विशेष दूत ने कहा कि क़ाबिज़ इलाक़ों में रह रहे फ़लस्तीनियों के स्वास्थ्य-कल्याण को सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी इसराइल की है.

इस संबंध में ऐसे उपायों पर चर्चा हो रही है ताकि इसराइल द्वारा फ़लस्तीनी प्रशासन को मुहैया कराए जाने वाले राजस्व की राशि अगले चार महीनों में 13 करोड़ 70 लाख डॉलर से कम ना हो.