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मध्य पूर्व में अदावत फिर बढ़ी, कोविड -19 के ख़िलाफ़ लड़ाई में मुश्किलें

फ़लस्तीनियों के लिये संयुक्त राष्ट्र की राहत एजेंसी का एक कर्मचारी ग़ाज़ा पट्टी में एक बुज़ुर्ग फ़लस्तीनी व्यक्ति को दवाइएँ पहुँचाते हुए.
© UNRWA/Khalil Adwan
फ़लस्तीनियों के लिये संयुक्त राष्ट्र की राहत एजेंसी का एक कर्मचारी ग़ाज़ा पट्टी में एक बुज़ुर्ग फ़लस्तीनी व्यक्ति को दवाइएँ पहुँचाते हुए.

मध्य पूर्व में अदावत फिर बढ़ी, कोविड -19 के ख़िलाफ़ लड़ाई में मुश्किलें

शान्ति और सुरक्षा

मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया के लिये संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत निकोलय म्लैदमॉफ़ ने कहा है कि कोविड-19 महामारी का मुक़ाबला करने के प्रयासों में इसराइली और फ़लस्तीनियों के बीच नज़र आई एकजुटता अब बिखरने लगी है जिससे लोगों की ज़िन्दगी के लिए जोखिम पैदा होने के साथ-साथ अर्थव्यस्था में मन्दी आने लगी है. साथ ही इसराइल द्वारा पश्चिमी तट के कुछ इलाक़ों को छीनने का ख़तरा भी बरक़रार है.

निकोलय म्लैदनॉफ़ ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद को जानकारी देते हुए बताया कि पश्चिमी तट, पूर्वी येरूशलम और इसराइल में कोविड-19 महामारी के संक्रमण के मामलों में तेज़ी से बढ़ोत्तरी होने के कारण ज़मीनी स्थिति पर व्यापक प्रभाव हुआ है.

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इसराइल और फ़लस्तीनी प्राधिकरण दोनों ने ही लोगों के आवागमन पर प्रतिबन्ध फिर से लगा दिये हैं, लेकिन पश्चिमी तट में संक्रमण के बढ़ते मामलों और ग़ाज़ा में हालात को बेहतर बनाने के प्रयासों के कारण स्थिति और ज़्यादा जटिल हो गई है. एक मुख्य कारण ये है कि कोविड-19 महामारी शुरू होने के समय इसराइलियों और फ़लस्तीनियों के बीच जो एकजुटता भरे प्रयास देखने को मिले थे, अब वो ख़त्म हो गए हैं.

उन्होंने बताया कि इसके अलावा फ़लस्तीनी प्राधिकरण ने इसराइल द्वारा स्थानान्तरित किसी भी तरह का राजस्व भुगतान लेने से इनकार कर दिया है जिसके कारण ग़ाज़ा के निवासियों को इलाज के लिये बाहर जाना मुश्किल हो गया है. साथ ही मानवीय सहायता पहुँचाने के रास्ते में भी बाधाएँ आ रही हैं.

विशेष दूत ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र सभी पक्षों से सम्पर्क करके ये सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि मानवीय सहायता आसानी से पहुँच सके, लेकिन यूएन और अन्य एजेंसियों के लिये इस मामले में कुछ सीमाएँ हैं. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि लोगों की देखभाल और भलाई सुनिश्चित करने की प्राथमिक ज़िम्मेदारी फ़लस्तीनी प्राधिकरण और इसराइल सरकार की ही है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सोमवार को इसराइल में कोविड-19 के संक्रमण के मामलों की संख्या 49 हज़ार 481 बताई थी और 403 लोगों की मौतें हुई थी. फ़लस्तीनी क्षेत्रों - पश्चिमी तट और ग़ाज़ा में कोविड-19 संक्रमण के 10 हज़ार 52 मामले दर्ज किये गए थे और 65 लोगों की मौतें हुई थीं.

विशेष दूत निकोलय म्लैदनॉफ़ ने सुरक्षा परिषद की मासिक चर्चा को वीडियो कान्फ्रेन्सिंग के ज़रिये ऐसे माहौल में ताज़ा हालात की जानकारी दी जब अनेक विश्व नेता इसराइली प्रधानमन्त्री बिन्यामिन नेतान्याहू से फ़लस्तीनी इलाक़े पश्चिमी तट के कुछ हिस्से छीनने की योजना को त्याग देने का आहवान किया है.

ब्रिटेन के प्रधानमन्त्री बोरिस जॉनसन ने एक इसराइली अख़बार में लिखे एक सम्पादकीय में भी इसराइली प्रधानमन्त्री से यही आग्रह किया है. 

विशेष संयोजक ने यूएन प्रमुख की उस अपील को भी दोहराया जिसमें मध्य पूर्व चौपक्षीय टीम, अरब देशों और इसराइली व फ़लस्तीनी नेतृत्व से फिर से बातचीत शुरू करने का आहवान किया गया था.

विशेष दूत ने कहा, “हमें कूटनीति फिर शुरू करनी होगी.” कोविड-19 महामारी और उसके आर्थिक प्रभावों के कारण इसराइल में बेरोज़गारी 20 प्रतिशत से भी ज़्यादा हो गई है और ऐसे में एक अच्छा मौक़ा है कि बातचीत के ज़रिये दो राष्ट्रों की स्थापना वाले समाधान के लिये आगे बढ़ा जाए जिसका संयुक्त राष्ट्र के तमाम प्रस्तावों, द्विपक्षीय समझौतों और अन्तरराष्ट्रीय क़ानून में प्रावधान किया गया है.

असाधारण उपाय

निकोलय म्लैदनॉफ़ ने कहा, “कोविड-19 महामारी की भीषणता और उसकी मानवीय व आर्थिक तबाही ने सामान्य राजनीति से कहीं ऊपर उठकर असाधारण उपाय किये जाने की ज़रूरत पैदा कर दी है.”

“कोरोनावायरस पर तुरन्त क़ाबू पाने और इसके प्रभाव को कम करने के प्रयासों को प्राथमिकता पर रखना होगा. इसराइल और फ़लस्तीनी नेतृत्व की ये ज़िम्मेदारी व कर्तव्य है कि वो अपनी-अपनी आबादी के जान-माल की हिफ़ाज़त सुनिश्चित करें.”