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खाद्य सुरक्षा: ख़रीदारी, गुणवत्ता आश्वासन और भण्डारण
ये वीडियो विश्व खाद्य कार्यक्रम की एक परियोजना के लिए विकसित किये गए हैं, जो भारत सरकार की मिड-डे मील योजना के तहत पका हुआ, गरम भोजन तैयार करने वाले रसोइयों और कार्यकर्ताओं के बीच खाद्य सुरक्षा और साफ़-सफ़ाई बेहतर बनाने के लिए हैं. ये वीडियो स्थानीय गैर-सरकारी संगठनों/समुदाय आधारित संगठनों के लिए "खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता" पर बुनियादी मार्गदर्शन के रूप में बहुत उपयोगी जानकारी प्रदान कर रहे हैं, जो प्रवासी मज़दूरों, दैनिक मज़दूरी श्रमिकों, सड़क विक्रेताओं और अन्य कमज़ोर समूहों के लोगों को सामुदायिक रसोई के माध्यम से भोजन प्रदान करते हैं.
इस वीडियो में – भोजन सामग्री की ख़रीद, गुणवत्ता आश्वासन और कच्चे माल के उचित भण्डारण के बारे में जानकारी...
खाद्य सुरक्षा: रसोईघर और बर्तनों की सफ़ाई
ये वीडियो विश्व खाद्य कार्यक्रम की एक परियोजना के लिए विकसित किये गए हैं, जो भारत सरकार की मिड-डे मील योजना के तहत पका हुआ, गरम भोजन तैयार करने वाले रसोइयों और कार्यकर्ताओं के बीच खाद्य सुरक्षा और साफ़-सफ़ाई बेहतर बनाने के लिए हैं. ये वीडियो स्थानीय गैर-सरकारी संगठनों/समुदाय आधारित संगठनों के लिए "खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता" पर बुनियादी मार्गदर्शन के रूप में बहुत उपयोगी जानकारी प्रदान कर रहे हैं, जो प्रवासी मज़दूरों, दैनिक मज़दूरी श्रमिकों, सड़क विक्रेताओं और अन्य कमज़ोर समूहों के लोगों को सामुदायिक रसोई के माध्यम से भोजन प्रदान करते हैं.
इस वीडियो में – रसोईघर व बर्तनों की सफ़ाई के बारे में जानकारी...
खाद्य सुरक्षा: रसोईघर के कूड़े का उचित प्रबन्धन
ये वीडियो विश्व खाद्य कार्यक्रम की एक परियोजना के लिए विकसित किये गए हैं, जो भारत सरकार की मिड-डे मील योजना के तहत पका हुआ, गरम भोजन तैयार करने वाले रसोइयों और कार्यकर्ताओं के बीच खाद्य सुरक्षा और साफ़-सफ़ाई बेहतर बनाने के लिए हैं. ये वीडियो स्थानीय गैर-सरकारी संगठनों/समुदाय आधारित संगठनों के लिए "खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता" पर बुनियादी मार्गदर्शन के रूप में बहुत उपयोगी जानकारी प्रदान कर रहे हैं, जो प्रवासी मज़दूरों, दैनिक मज़दूरी श्रमिकों, सड़क विक्रेताओं और अन्य कमज़ोर समूहों के लोगों को सामुदायिक रसोई के माध्यम से भोजन प्रदान करते हैं.
इस वीडियो में – रसोईघर के कूड़े के उचित प्रबन्धन – पर जानकारी...
खाद्य सुरक्षा: भोजन पकाते समय पोषक तत्व बनाए रखना
ये वीडियो विश्व खाद्य कार्यक्रम की एक परियोजना के लिए विकसित किये गए हैं, जो भारत सरकार की मिड-डे मील योजना के तहत पका हुआ, गरम भोजन तैयार करने वाले रसोइयों और कार्यकर्ताओं के बीच खाद्य सुरक्षा और साफ़-सफ़ाई बेहतर बनाने के लिए हैं. ये वीडियो स्थानीय गैर-सरकारी संगठनों/समुदाय आधारित संगठनों के लिए "खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता" पर बुनियादी मार्गदर्शन के रूप में बहुत उपयोगी जानकारी प्रदान कर रहे हैं, जो प्रवासी मज़दूरों, दैनिक मज़दूरी श्रमिकों, सड़क विक्रेताओं और अन्य कमज़ोर समूहों के लोगों को सामुदायिक रसोई के माध्यम से भोजन प्रदान करते हैं.
इस वीडियो में – भोजन में पोषक तत्वों को बचाए रखने के तरीक़ें के बारे में जानकारी...
खाद्य सुरक्षा और साफ़-सफ़ाई की अहमियत
ये वीडियो विश्व खाद्य कार्यक्रम की एक परियोजना के लिए विकसित किये गए हैं, जो भारत सरकार की मिड-डे मील योजना के तहत गरम, पका हुआ भोजन तैयार करने वाले रसोइयों और कार्यकर्ताओं के बीच खाद्य सुरक्षा और साफ़-सफ़ाई बेहतर बनाने के लिए हैं. ये वीडियो स्थानीय ग़ैर-सरकारी संगठनों/समुदाय आधारित संगठनों के लिए "खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता" पर बुनियादी मार्गदर्शन के रूप में बहुत उपयोगी जानकारी प्रदान कर रहे हैं, जो प्रवासी मज़दूरों, दैनिक मज़दूरी श्रमिकों, सड़क विक्रेताओं और अन्य कमज़ोर समूहों के लोगों को सामुदायिक रसोई के माध्यम से भोजन प्रदान करते हैं...
खाद्य सुरक्षा: भोजन दूषित होने से कैसे बचाएँ?
ये वीडियो विश्व खाद्य कार्यक्रम की एक परियोजना के लिए विकसित किये गए हैं, जो भारत सरकार की मिड-डे मील योजना के तहत पका हुआ, गरम भोजन तैयार करने वाले रसोइयों और कार्यकर्ताओं के बीच खाद्य सुरक्षा और साफ़-सफ़ाई बेहतर बनाने के लिए हैं. ये वीडियो स्थानीय गैर-सरकारी संगठनों/समुदाय आधारित संगठनों के लिए "खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता" पर बुनियादी मार्गदर्शन के रूप में बहुत उपयोगी जानकारी प्रदान कर रहे हैं, जो प्रवासी मज़दूरों, दैनिक मज़दूरी श्रमिकों, सड़क विक्रेताओं और अन्य कमज़ोर समूहों के लोगों को सामुदायिक रसोई के माध्यम से भोजन प्रदान करते हैं.
इस वीडियो में – भोजन को दूषित होने से कैसे बचाएँ – पर जानकारी...
यूएन की भूमिका की कुछ झलकियाँ
संयुक्त राष्ट्र हर साल एक छोटे आकार का कार्ड प्रकाशित करता है, जिसमें दस सरल उदाहरणों के ज़रिये ये बताया जाता है कि इस वैश्विक संगठन ने दुनिया को एक बेहतर स्थान बनाने में कैसे मदद की. संयुक्त राष्ट्र की 75वीं वर्षगाँठ के अवसर पर इस वर्ष, इसमें एक ग्यारहवीं वजह भी जोड़ी गई यानि कोविड-19 महामारी से मुक़ाबला.
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15 लाख अफ़ग़ान ख़ानाबदोशों पर मुसीबत
अफ़ग़ानिस्तान में तालाबन्दी तीन महीनों के लिए और बढ़ा दी गई है, जिससे वहाँ के ख़ानाबदोश लोगों के स्वास्थ्य और आजीविका के लिए एक बड़ा ख़तरा पैदा हो गया है. आवाजाही पर प्रतिबन्ध लगने के कारण वो शहरों के बाज़ारों में अपने उत्पाद बेचने के लिये नहीं जा पा रहे हैं. ऐसे में कृषि विकास के लिए अन्तरराष्ट्रीय कोष (आईएफ़एडी) और सामुदायिक पशुधन व कृषि परियोजना (सीएलएपी) की एक संयुक्त परियोजना के तहत घी जैसे भण्डार योग्य उत्पादों का उत्पादन बढ़ाने में मदद कर रही है, जिसे बाज़ार खुलने पर ज़्यादा बेचा जा सकता है. इसके अलावा कोविड-19 की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं और परिवारों को मास्क व साबुन सहित स्वच्छता और स्वास्थ्य सुरक्षा किट भी प्रदान किए गए हैं...
यूएन में भारत के कुछ ऐतिहासिक पल...
26 जून 1945 को संयुक्त राष्ट्र चार्टर पर हस्ताक्षर करने वाले 50 देशों में से एक भारत भी था. दूसरे विश्व युद्ध के बाद, सभी राष्ट्र पहली बार एकजुट हुए. सभी राष्ट्र, आने वाली पीढ़ियों को युद्ध की विभीषिका से बचाने, मानवाधिकारों और पुरुषों व महिलाओं के समान अधिकारों के प्रति दोबारा विश्वास क़ायम करने व बड़े और छोटे राष्ट्रों के लिए समान रूप से, न्यायसंगत शर्तें स्थापित कर तथा स्वतन्त्र रूप से सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देने के लिये प्रतिबद्ध थे.
ऐतिहासिक सैन फ्रांसिस्को सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व, रामास्वाराई मुदालियर ने किया, जिन्होंने चार्टर पर हस्ताक्षर भी किए. फिर 15 अगस्त, 1947 को, संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आज़ाद भारत का झंडा फहराया गया और 54 देशों के बीच भारत ने संयुक्त राष्ट्र में अपना यथोचित स्थान हासिल किया.
यूएन चार्टर: रहनुमा
विश्व में मौजूद चुनौतियों के सामने डटकर खड़ा होना तो ज़रूरी है, मगर समस्याओं का हल निकलाना भी उतना ही ज़रूरी है. और ये रहनुमाई मुहैया कराता है संयुक्त राष्ट्र चार्टर जिस पर 75 वर्ष पहले दस्तख़त किये गए थे. यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने 26 जून को यूएन चार्टर दिवस के मौक़े पर वीडियो सन्देश में कहा है कि चार्टर के सिद्धान्त आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं...