ग़ाज़ा संकट: भुखमरी के हालात नहीं बनने दिए जा सकते, वोल्कर टर्क
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्क वोल्कर टर्क ने भी फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा पट्टी में, अकाल के बढ़ते ख़तरे पर गहरी चिन्ताओं में अपनी आवाज़ मिलाई है.
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्क वोल्कर टर्क ने भी फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा पट्टी में, अकाल के बढ़ते ख़तरे पर गहरी चिन्ताओं में अपनी आवाज़ मिलाई है.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष - यूनीसेफ़ ने मंगलवार को आगाह करते हुए कहा है कि फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा, बच्चों के लिए दुनिया में सबसे ख़तरनाक स्थान बन चुका है और अगर युद्धविराम नहीं होता है तो वहाँ बीमारियों से बच्चों व किशोरों की मौतों की संख्या, अभी तक बमबारी में हुई मौतों से कहीं अधिक हो जाएगी.
संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य संगठन – WHO के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा है कि संगठन, ग़ाज़ा में अपना चिकित्सा सेवाएँ मुहैया कराने के लिए अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहा है, लेकिन "एकमात्र वास्तविक उपाय तत्काल युद्धविराम है." इस बीच, यूएन सहायता कर्मियों ने, ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े में स्थित अल-शिफ़ा अस्पताल में स्थिति को, 'रक्तरंजित' क़रार दिया है, हाँ सैकड़ों घायल मरीज़ आपात विभाग में भर्ती हैं और नए मरीज़ लगातार पहुँच रहे हैं.
यूक्रेन से लेकर ग़ाज़ा और सूडान तक आपात स्थिति में बच्चों के लिए सुरक्षा की ज़रूरतों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई है, मगर वर्ष 2024 के लिए मानवीय वित्त पोषण का पूर्वानुमान बहुत निराशाजनक है.
फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी - UNRWA के प्रमुख ने गुरूवार को चेतावनी शब्दों में कहा है कि कुछ ग़ाज़ावासी, भोजन के अभाव में इतने हताश हैं कि वे अब सहायता ट्रकों को रोक रहे हैं और उन ट्रकों में उन्हें जो भी कुछ खाने लायक मिलता है उसे तुरन्त खा रहे हैं.
युद्ध के विनाश से त्रस्त ग़ाज़ा में बारिश ने एक नई मुसीबत खड़ी कर दी है. इस बीच संयुक्त राष्ट्र मानवीय सहायता एजेंसियों ने ग़ाज़ा पट्टी क्षेत्र में लगातार बदतर होती स्वास्थ्य स्थिति पर गुरूवार को गहरी चिन्ताएँ दोहराई हैं. उधर इसराइल की बमबारी और सशस्त्र फ़लस्तीनी गुटों के साथ लड़ाई जारी है.
इसराइल द्वारा क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र की एक शीर्ष मानवीय सहायता पदाधिकारी लिन हेस्टिंग्स ने बुधवार को कहा है कि ग़ाज़ा में युद्धविराम लागू होना ही आगे बढ़ने का एक मात्र रास्ता है और यह सभी के हित में भी है. क्योंकि वहाँ युद्ध ने फ़लस्तीनियों और इसराइलियों दोनों के लिए ही, आने वाले वर्षों बल्कि दशकों में, शान्ति व सुरक्षा को जोखिम में डाल दिया है.
दशकों से चले आ रहे इसराइल-फ़लस्तीन टकराव पर, यूएन महासभा का आपात सत्र मंगलवार को पुनः आरम्भ हुआ है, जिसमें ग़ाज़ा में एक मानवीय युद्धविराम लागू करने की मांग करने वाला प्रस्ताव, भारी बहुमत से पारित हुआ है. ग़ौरतलब है कि ग़ाज़ा में मौजूदा युद्ध रुकने के कोई संकेत नज़र नहीं आ रहे हैं और सुरक्षा परिषद में इस मुद्दे पर, आगे की किसी कार्रवाई के बारे में गतिरोध बना हुआ है.
संयुक्त राष्ट्र विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंगलवार को कहा कि उत्तरी ग़ाज़ा में वो आख़िरी अस्पताल भी अब एक "मानवीय आपदा क्षेत्र" बन गया है जिसमें कुछ स्वास्थ्य देखभाल काम हो रहा था. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने पूरे ग़ाज़ा क्षेत्र में इसराइली बमबारी को, गम्भीर रूप से बीमार और घायल लोगों के लिए विनाशकारी परिणामों वाली बताया है.
संयुक्त राष्ट्र के आपातकालीन राहत समन्वयक मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने, सोमवार को ग़ाज़ा के लोगों के बारे में अपनी चिन्ताएँ फिर दोहराई हैं. उन्होंने ग़ाज़ा सिटी, ग़ाज़ा पट्टी के उत्तर में स्थित जबालिया और ग़ाज़ा के दक्षिणी इलाक़े - ख़ान यूनिस में, इसराइली बलों और फ़लस्तीनी सशस्त्र समूहों के दरमियान तीव्र लड़ाई की ख़बरों के बीच, यह चिन्ता व्यक्त की है, उधर ग़ाज़ा में इसराइल की भीषण बमबारी भी जारी है.