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टकरावों और आपदाओं में फँसे करोड़ों बच्चों के लिए तत्काल मदद की ज़रूरत: यूनीसेफ़

ग़ाज़ा पट्टी के रफ़ाह सिटी में, लोग मिसाइल हमले से बचने के लिए भागते हुए, जिनमें बहुत से बच्चे भी हैं. दुनिया भर में करोड़ों बच्चे आपात स्थितियों में फँसे हुए हैं.
© UNICEF/Eyad El Baba
ग़ाज़ा पट्टी के रफ़ाह सिटी में, लोग मिसाइल हमले से बचने के लिए भागते हुए, जिनमें बहुत से बच्चे भी हैं. दुनिया भर में करोड़ों बच्चे आपात स्थितियों में फँसे हुए हैं.

टकरावों और आपदाओं में फँसे करोड़ों बच्चों के लिए तत्काल मदद की ज़रूरत: यूनीसेफ़

शान्ति और सुरक्षा

यूक्रेन से लेकर ग़ाज़ा और सूडान तक आपात स्थिति में बच्चों के लिए सुरक्षा की ज़रूरतों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई है, मगर वर्ष 2024 के लिए मानवीय वित्त पोषण का पूर्वानुमान बहुत निराशाजनक है.

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संयुक्त राष्ट्र बाल कोष - UNICEF के मानवीय कार्रवाई और आपूर्ति संचालन के उप कार्यकारी निदेशक टेड शाइबन ने यह सन्देश देते हुए कहा है कि सहायता के लिए लचीली धन मदद कम हो रही है.

इन्हीं हालात के बीच, दुनिया भर में मानवीय सहायता कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ हमले बढ़े हैं.

मासूम पीड़ित

टेड शाइबन ने कहा, "बच्चों को हमारी निष्क्रियता की क़ीमत अपने जीवन और अपने भविष्य के साथ नहीं चुकानी चाहिए". 

उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि बच्चों को स्वास्थ्य देखभाल, सुरक्षित पानी, बुनियादी स्वच्छता और शिक्षा सहित आवश्यक सेवाओं की निरन्तर उपलब्धता की आवश्यकता है.

यूनीसेफ़ ने, इस सप्ताह के शुरू में वर्ष 2024 में, 155 देशों के क़रीब 9 करोड़ 40 लाख बच्चों तक सहायता के साथ पहुँच बनाने के लिए 9 अरब 30 करोड़ डॉलर की आपातकालीन धनराशि अपील जारी की थी.

टेड शाइबन ने कहा कि वर्ष 2023 की सहायता अपील की केवल लगभग 50 प्रतिशत राशि ही एकत्र हुई थी और उन्होंने "गम्भीर रूप से धन की कमी का सामना कर रहीं अनेक आपात स्थितियों" का भी नाम लिया.

इनमें सूडान, बुर्किना फ़ासो, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी) म्याँमार, हेती, इथियोपिया, यमन, सोमालिया, दक्षिण सूडान और बांग्लादेश शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि संसाधनों की कमी का मतलब है कि टीकाकरण, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल, अत्यन्त गम्भीर कुपोषण के ख़िलाफ़ उपचार और मनोसामाजिक समर्थन सहित, अनेक आवश्यक सहायता कार्यक्रमों के सम्बन्ध में विकल्प तलाश करने की ज़रूरत होगी.

यूनीसेफ़ ने कहा है कि इसके अलावा बच्चों के ख़िलाफ़ गम्भीर मानवाधिकार उल्लंघनों का मुक़ाबला करने के साधन भी ख़तरे में हैं. जिनमें बच्चों को लड़ाइयों में प्रयोग करने के लिए सशस्त्र समूहों द्वारा भर्ती किया जाना प्रमुख हैं.

साथ ही बुनियादी शिक्षा भी ख़तरे में हैं, जो "आपातकालीन स्थिति में एक जीवन रक्षक मदद" है.