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मध्य पूर्व

अमेरिका के कोलम्बिया विश्वविद्यालय में, ग़ाज़ा युद्ध के ख़िलाफ़ प्रदर्शन.
UN Photo/Evan Schneider

अमेरिकी विश्वविद्यालयों में प्रदर्शनों पर कार्रवाई; ग़ाज़ा युद्ध से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर मंडराता संकट

संयुक्त राष्ट्र में मत व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर विशेष रैपोर्टेयर इरीन ख़ान ने कहा है कि ग़ाज़ा पर इसराइल के युद्ध के विरोध में पूरे अमेरिका में खड़े हुए आईवी लीग विश्वविद्यालयों के कुछ प्रमुख लोगों को बर्ख़ास्त करने व छात्रों पर कारर्वाई करने की घटनाओं से, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सवाल खड़े होते नज़र आ रहे हैं.

ग़ाज़ा के लिए संयुक्त राष्ट्र की मानवीय और पुनर्निर्माण संयोजक सिगरिड काग
UN Photo/Loey Felipe

अमानवीय स्थिति में जीने को मजबूर ग़ाज़ावासी, सिगरिड काग

युद्धग्रस्त ग़ाज़ा में जीवनरक्षक मानवीय सहायता पहुँचाने के लिए एक नई व्यवस्था, अगले कुछ ही दिनों में शुरू होने वाली है. ग़ाज़ा के लिए संयुक्त राष्ट्र की मानवीय और पुनर्निर्माण संयोजक सिगरिड काग ने कहा है कि नागरिक आबादी की विशाल ज़रूरतों को पूरा करने के लिए मानवीय सहायता आपूर्ति और वितरण की गुणवत्ता और तादाद को विशाल पैमाने पर बढ़ाया जाना होगा. उन्होंने यूएन न्यूज़ के साथ एक ख़ास बातचीत में कहा है कि इन प्रयासों को ठोस रूप में जारी रखने के लिए, राजनैतिक इच्छाशक्ति का कोई और विकल्प नहीं है. साथ ही उन्होंने, आवासों के पुनर्निर्माण की आवश्यकता,बच्चों को यथाशीघ्र स्कूल वापस लाने व लोगों को सदमे से उबरने में मदद करने की तात्कालिक आवश्यकता को रेखांकित किया. एक वीडियो इंटरव्यू...

ग़ाज़ा के लिए संयुक्त राष्ट्र की वरिष्ठ मानवीय और पुनर्निर्माण समन्वयक सिगरिड काग ने, दिसम्बर 2023 के बाद ग़ाज़ा की अनेक यात्राएँ की हैं.
OCHA / Olga Cherevko

ग़ाज़ा: ढाँचा बहाली के साथ-साथ, भरने होंगे रूह के ज़ख़्म भी, काग

युद्ध से तबाह ग़ाज़ा पट्टी में मानवीय सहायता की आपूर्ति में समन्वय की ज़िम्मेदारी संभाल रहीं सिगरिड काग ने कहा है कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय का ये कर्तव्य और ज़िम्मेदारी है कि वो ग़ाज़ा में जल्द से जल्द पुनर्बहाली के लिए काम करे, मगर, “हम वहाँ की आबादी से और इन्तज़ार करने को नहीं कह सके.”

ग़ाज़ा युद्ध में हज़ारों बच्चे हताहत हुए हैं, घायल बच्चों के समुचित इलाज के लिए, पर्याप्त अस्पताल भी नहीं बचे हैं.
© WHO/Christopher Black

ग़ाज़ा: युद्ध से बच्चों के तालीम सपने तार-तार, स्कूल बने हमलों के सीधे निशाना

संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक विश्लेषण में कहा गया है कि ग़ाज़ा पट्टी में, लगभग छह महीने की इसराइली भीषण बमबारी में 212 स्कूलों को “सीधे रूप” में निशाना बनाया गया है. सैटेलाइट तस्वीरों में नज़र आता है कि 7 अक्टूबर 2023 को भड़के इस युद्ध में, कम से कम 53 स्कूल पूरी तरह तबाह हो गए हैं, जिससे बच्चों के शिक्षा सपने तार-तार होकर बिखर गए हैं. वीडियो...

ग़ाज़ा युद्ध में बुनियादी ढाँचे को भीषण हानि हुई है जिसमें स्कूलों की तबाही भी शामिल है.
© UNICEF/Eyad El Baba

ग़ाज़ा युद्ध: इसराइली बमबारी शुरू होने के बाद, 212 स्कूल बने 'सीधे निशाना'

संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक विश्लेषण में बुधवार को कहा गया है कि ग़ाज़ा पट्टी में, लगभग छह महीने की इसराइली भीषण बमबारी में 212 स्कूलों को “सीधे रूप” में निशाना बनाया गया है.

ग़ाज़ा में तत्काल युद्धविराम की मांग करने वाले प्रस्ताव पर, सुरक्षा परिषद की बैठक (25 मार्च 2024)
UN Photo/Loey Felipe

ग़ाज़ा: रमदान के दौरान तुरन्त युद्धविराम के लिए, सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव पारित

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सोमवार को, ग़ाज़ा पट्टी में युद्ध और मानवीय पीड़ा पर विराम लगाने के लिए, तत्काल युद्धविराम लागू किए जाने और तमाम बन्धकों की तत्काल व बिना शर्ति रिहाई की मांग करने वाला एक नया प्रस्ताव पारित कर दिया है. इससे पहले, पिछले शुक्रवार को अमेरिका द्वारा प्रस्तावित एक मसौदे को रूस और चीन ने वीटो कर दिया था.

ग़ाज़ा में युद्धविराम को ज़रूरी बताने वाले अमेरिका प्रस्ताव पर सुरक्षा परिषद की बैठक (22 मार्च 2024) में, रूस और चीन ने वीटो का प्रयोग किया.
UN Photo

ग़ाज़ा: युद्धविराम की ज़रूरत बताने वाले अमेरिकी प्रस्ताव पर रूस और चीन का वीटो

फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा में तत्काल युद्धविराम की ज़रूरत बताने वाला एक अमेरिकी प्रस्ताव, सुरक्षा परिषद में रूस और चीन ने वीटो कर दिया है. शुक्रवार को पेश किए गए इस प्रस्ताव में, ग़ाज़ा में आम लोगों को सुरक्षा मुहैया कराने की ख़ातिर, तत्काल और टिकाऊ युद्धविराम की अनिवार्यता बताई गई थी जिससे ज़रूरी मानवीय सहायता आपूर्ति का रास्ता साफ़ हो सके. प्रस्ताव में, युद्ध को समाप्त करने और बन्धकों की रिहाई को सम्भव बनाने की ख़ातिर इसराइल और हमास के बीच चल रही बातचीत को भी समर्थन देने की बात कही गई थी.

सूखे की परिस्थितियों के कारण सोमालिया में बड़ी संख्या में लोग विस्थापन का शिकार हुए हैं.
© UNHCR/Samuel Otieno

संकट से आपदा तक: अकाल के विभिन्न स्तर

अकाल अपरिहार्य नहीं है. विश्व खाद्य कार्यक्रम के विशेषज्ञ, आरिफ़ हुसैन ने, भुखमरी के संकट को रोकने के लिए, शीघ्र सहायता कार्रवाई किए जाने की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया है. सूखे जैसे पारम्परिक कारणों पर संघर्ष-प्रेरित अकाल की छाया पड़ रही हैजिससे उसपर ध्यान देना ज़रूरी हो गया है. एक वीडियो.

मध्य ग़ाज़ा में, बेरोज़गार युवक, गुज़र-बसर के लिए, बाज़ारों में जंगली पौधे बेचने को मजबूर हो गए हैं.
UN News / Ziad Taleb

ग़ाज़ा: युद्ध से त्रस्त लोग जंगली पौधे खाने को मजबूर

ग़ाज़ा में युद्ध से हुई भीषण तबाही के बीचबहुत से बेरोज़गार युवकगुज़र-बसर के लिएबाज़ारों में जंगली पौधे बेचने को मजबूर हो गए हैं. ये युवकहर सुबहखुले मैदानों में ऐसे जंगली पौधे बीनते हैंजिन्हें मध्य पूर्व में पीढ़ियों से मध्य पूर्व में पूरक भोजन के रूप में खाया जाता रहा है. ये जंगली पौधे अब, ग़ाज़ा पट्टी के निवासियों के लिए भोजन का प्रमुख स्रोत बन गए हैं. (वीडियो).

 

 

ग़ाज़ा में अकाल के आसन्न संकट पर विचार करने के लिए, सुरक्षा परिषद की एक बैठक (27 फ़रवरी 2024).
UN Photo

'ग़ाज़ा में सहायता नहीं बढ़ी तो अकाल निश्चित', सुरक्षा परिषद में चर्चा

ग़ाज़ा में, पाँच लाख से अधिक लोग, अकाल से बस एक क़दम दूर हैं. हर दिन बढ़ते अकाल जोखिम पर चर्चा के लिए, मंगलवार को सुरक्षा परिषद की एक बैठक हुई है. यूएन मानवीय सहायता समन्वय मामलों के उप प्रमुख ने राजदूतों को बताया है कि ग़ाज़ा में अगर मानवीय सहायता के स्तर और गति को नहीं बढ़ाया जाता है तो, अकाल को रोकना "लगभग असम्भव" होगा.