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ग़ाज़ा: युद्धविराम की ज़रूरत बताने वाले अमेरिकी प्रस्ताव पर रूस और चीन का वीटो

ग़ाज़ा में युद्धविराम को ज़रूरी बताने वाले अमेरिका प्रस्ताव पर सुरक्षा परिषद की बैठक (22 मार्च 2024) में, रूस और चीन ने वीटो का प्रयोग किया.
UN Photo
ग़ाज़ा में युद्धविराम को ज़रूरी बताने वाले अमेरिका प्रस्ताव पर सुरक्षा परिषद की बैठक (22 मार्च 2024) में, रूस और चीन ने वीटो का प्रयोग किया.

ग़ाज़ा: युद्धविराम की ज़रूरत बताने वाले अमेरिकी प्रस्ताव पर रूस और चीन का वीटो

शान्ति और सुरक्षा

फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा में तत्काल युद्धविराम की ज़रूरत बताने वाला एक अमेरिकी प्रस्ताव, सुरक्षा परिषद में रूस और चीन ने वीटो कर दिया है. शुक्रवार को पेश किए गए इस प्रस्ताव में, ग़ाज़ा में आम लोगों को सुरक्षा मुहैया कराने की ख़ातिर, तत्काल और टिकाऊ युद्धविराम की अनिवार्यता बताई गई थी जिससे ज़रूरी मानवीय सहायता आपूर्ति का रास्ता साफ़ हो सके. प्रस्ताव में, युद्ध को समाप्त करने और बन्धकों की रिहाई को सम्भव बनाने की ख़ातिर इसराइल और हमास के बीच चल रही बातचीत को भी समर्थन देने की बात कही गई थी.

अमेरिकी प्रस्ताव का मसौदा

संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव में ग़ाज़ा में मानवीय सहायता की आपूर्ति का दायरा व रफ़्तार बढ़ाने की तुरन्त ज़रूरत के लिए, एक तत्काल और टिकाऊ युद्धविराम लागू किए जाने को ज़रूरी बताया गया.

प्रस्ताव में इसराइल और सभी सशस्त्र गुटों से, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत उनकी ज़िम्मेदारियों का पालन करने और मानवीय सहायता कर्मियों व चिकित्सा कर्मियों को सुरक्षा मुहैया कराए जाने की अनिवार्यता पर ज़ोर दिया गया.

अमेरिका प्रस्ताव, तमाम तरह के आतंकी कृत्यों की निन्दा की गई जिनमें 7 अक्टूबर को हमास द्वारा इसराइल में किए गए आंतकी हमला भी शामिल है.

प्रस्ताव में ग़ाज़ा में आम लोगों के जबरन विस्थापन को भी रद्द किया गया और हमास व अन्य सशस्त्र गुटों से, बाक़ी बचे बन्धकों तक मानवीय सहायता पहुँचाने के लिए, तत्काल सुविधा दिए जाने की भी मांग की गई.

प्रस्ताव में, संयुक्त राष्ट्र की वरिष्ठ मानवीय और पुनर्निर्माण समन्वयक सिगरिड काआग, मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया के लिए विशेष समन्वयक और ग़ाज़ा में यूएन रैज़िडैंट और मानवीय समन्वयक को सुरक्षा परिषद का पूर्ण समर्थन मुहैया कराए जाने की बात कही गई ताकि वो, पूर्व प्रस्ताव 2720 के तहत, एक नई यूएन सहायता व्यवस्था स्थापित कर सकें.

प्रस्ताव में मांग की गई कि सभी पक्ष, आम लोगों की मौतों को रोकने के लिए, मानवीय अधिसूचनाएँ और युद्धक गतिविधियों को कम करने की व्यवस्था का सम्मान करें.

प्रस्ताव में इसराइल की किसी भी ऐसी कार्रवाई को नकारने की बात कही गई जो ग़ाज़ा के क्षेत्र को म कर सके और इसराइल के कुछ मंत्रियों की उन पुकारों की निन्दा की गई जिनमें उन्होंने ग़ाज़ा का जनसांख्यिकी आकार बदलने की बात कही गई.

प्रस्ताव में, यमन में सक्रिय हूथी विद्रोहियों द्वारा लाल सागर में परिवहन जहाज़ों पर किए जा रहे हमलों की निन्दा दोहराई गई.

मध्य पूर्व में इसराइल और फ़लस्तीन नामक दो-राष्ट्रों की स्थापना के समाधान के लिए, सुरक्षा परिषद की प्रतिबद्धता दोहराई गई.

सुरक्षा परिषद की इस बैठक की कार्यवाही यहाँ देखी जा सकती है:

अमेरिकी रुख़

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफ़ील्ड ने सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि उनका देश एक तत्काल और टिकाऊ युद्धविराम चाहता है.

उन्होंने मतदान से पहले कहा कि ये मसौदा अन्ततः हमास की निन्दा करेगा और उस पर लड़ाई बन्द करने व बन्धकों को रिहा करने के लिए दबाव डालेगा. उन्होंने साथ ही ये भी कहा कि रफ़ाह में इसराइल का सम्भावित आक्रमण, एक ग़लती होगी.

रूसी रुख़

रूस के राजदूत वैसिली ने मसौदे पर मतदान से पहले कहा कि अमेरिका ने युद्ध ख़त्म करने के लिए एक समझौते का बार-बार वादा किया था. अब अमेरिका ने अन्ततः एक युद्धविराम की ज़रूरत को स्वीकार किया है, जब ग़ाज़ा के 30 हज़ार से अधिक लोगों की मौतें हो चुकी हैं.

उन्होंने कहा कि अमेरिका, सुरक्षा परिषद को ”अनिवार्य” शब्द का प्रयोग करके अपना उत्पाद बेचने की कोशिश कर रहा है. “यह पर्याप्त नहीं है” और सुरक्षा परिषद को “युद्धविराम की मांग” करनी होगी.

रूसी राजदूत ने कहा कि मसौदे में युद्धविराम का कोई आहवान नहीं था और उन्होंने अमेरिका पर अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को जानबूझकर गुमराह करने का आरोप लगाया.

अमेरिकी प्रस्ताव के मसौदे के समर्थन में 11 वोट पड़े, और तीन मत विरोध में पड़े जिनमें रूस और चीन का मत भी था, जिनके पास वीटो का अधिकार है.

ब्रिटेन का रुख़

संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन की राजदूत बारबरा वुडवार्ड ने कहा कि उनके प्रतिनिधिमंडल ने इस मसौदे के समर्थन में मतदान किया क्योंकि फ़लस्तीनी लोग, विनाशकारी संकट का सामना कर रहे हैं और उन्हें तत्काल सहायता की आवश्यकता है.

उन्होंने साथ ही, इस मसौदे पर रूस और चीन द्वारा वीटो का इस्तेमाल किए जाने पर निराशा व्यक्त की, मगर उन्होंने यह भी कहा कि ब्रिटेन, ग़ाज़ा में ज़मीनी, समुद्री और हवाई रास्ते से मानवीय सहायता पहुँचाने के लिए, हर सम्भव प्रयास करेगा, जिसकी वहाँ अत्यधिक आवश्यकता है.

चीन का रुख़

चीन के राजदूत झांग जून ने कहा कि सुरक्षा परिषद को सबसे अहम कार्रवाई ये करनी चाहिए कि वो, यूएन महासभा और यूएन महासचिव की पुकारों के अनुरूप, एक तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम की पुकार लगाए.

उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद ने, इस सम्बन्ध में बहुत समय बर्बाद किया है. इसलिए यूएन चार्टर की सुरक्षा और इस परिषद की गरिमा को बनाए रखने की ख़ातिर, चीन ने, अरब देशों के नज़रिए के साथ समर्थन व्यक्त करते हुए, इस अमेरिकी मसौदे के विरोध में मतदान किया.