वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

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वीडियो हब (VIDEO HUB)
यूएन हिन्दी न्यूज़ की मल्टीमीडिया सामग्री...
ईरान से अफ़ग़ानिस्तान लौट रहे अफ़ग़ान शरणार्थी, इस्लाम क़ला सीमा पर पहुँचे हैं.
© UNHCR/Faramarz Barzin

ईरान से अफ़ग़ानिस्तान के लिए, विशाल निर्वासन से बच्चों पर मुसीबतें

जून 2025 में ईरान से अफ़ग़ानिस्तान लौटने वालों की संख्या में अचानक तेज़ उछाल आया, जहाँ केवल हेरात के पास इस्लाम-क़ला सीमा से ही 2 लाख  56 हज़ार से अधिक अफ़ग़ान नागरिकों की वापसी दर्ज की गई. अभी तक वापिस लौटने वालों में अधिकतर अकेले युवा पुरुष होते थे, मगर अब बड़ी संख्या में परिवार और छोटे बच्चे भी लौट रहे हैं - जो एक चिन्ताजनक रुझान है. (वीडियो)

22 साल की अनवर हवास हर सुबह, अपने 17 साल के भाई हादी को ढूँढ रही हैं.
UN News

ग़ाज़ा: अपने लापता भाई की तलाश में हर दिन धक्के खाती एक बहन

ग़ाज़ा में रहने वाली एक महिला 22 वर्षीय अनवर हवास, तबाह गलियों में तीन सप्ताहों से लापता अपने भाई की तलाश में हर दिन कुछ उम्मीद लेकर निकलती हैं. इन्टरनैट बन्द होने और सुरक्षा के अभाव में, पारम्परिक पोस्टर और पूछताछ का सहारा लेना पड़ रहा है. वहीं लापता लोगों के बारे में जानकारी जुटाने के मक़सद से, युवा कार्यकर्ता ग़ाज़ी अल-मजलदावी ने एक डिजिटल मंच बनाया है जो हज़ारों लापता लोगों की जानकारी एकत्रित करता है. स्थानीय संगठनों के मुताबिक़, ग़ाज़ा में 11 हज़ार से अधिक लोग लापता हैं, जिनमें अधिकतर महिलाएँ और बच्चे हैं, और उनकी स्थिति अब भी अनिश्चित है...(विडियो)

सेविया चौथे विकास वित्त पोषण सम्मेलन की मेज़बानी कर रहा है.
UN Photo/Mariscal

FFD4: ऋण संकट बना, विकास की राह में सबसे बड़ी रुकावट

स्पेन के सेविया में आयोजित चौथे विकास वित्त पोषण सम्मेलन (FFD4) में वैश्विक नेताओं ने विकास की दिशा बदलने और टिकाऊ भविष्य के निर्माण की प्रतिबद्धता जताई. सम्मेलन के केन्द्र में यह चिन्ता रही कि टिकाऊ विकास लक्ष्यों को पूरा करने के लिए विकासशील देशों को हर वर्ष लगभग 4 ट्रिलियन डॉलर की भारी वित्तीय कमी का सामना करना पड़ रहा है. यह वित्तीय संकट न केवल विकास कार्यों को बाधित कर रहा है, बल्कि लाखों लोगों के जीवन, शिक्षा और स्वास्थ्य पर भी असर डाल रहा है. सेविया समझौते को इस दिशा में एक ठोस पहल माना जा रहा है, जो न्यायपूर्ण और समावेशी विकास की राह तैयार करने में अहम साबित हो सकता है...(वीडियो)

ग़ाज़ा पट्टी के दक्षिण में स्थित रफ़ाह के एक अस्थाई शिविर में एक बच्चा. पूरे मध्य पूर्व व उत्तरी अफ़्रीका में युद्धों व टकरावों के कारण, बच्चों के जीवन में उलट-पलट मची हुई है.
© UNICEF

मध्य पूर्व और उत्तरी अफ़्रीका में युद्धों के कारण बच्चों का जीवन ‘उलट-पुलट’, यूनीसेफ़

पूरे मध्य पूर्व और उत्तरी अफ़्रीका क्षेत्रों में पिछले दो वर्षों के दौरान, युद्धों और टकरावों के कारण लगभग सवा करोड़ बच्चों की ज़िन्दगियाँ शुरू होते ही ख़त्म हो गईं. 

संयुक्त राज्य अमेरिका के सैन फ़्रांसिस्को शहर में सम्मेलन 25 अप्रैल से 26 जून 1945 तक आयोजित किया गया, जिसमें यूएन चार्टर पर सहमति हुई.
UN Photo/McLain

संयुक्त राष्ट्र चार्टर: युद्ध से शान्ति की ओर एक क़दम

आठ दशक पहले, 26 जून 1945 को, सैन फ्रांसिस्को में 50 देशों के प्रतिनिधियों ने इतिहास की दिशा बदल देने वाले एक दस्तावेज़ यूएन चार्टर पर हस्ताक्षर किए, दूसरे विश्व युद्ध से हुए विध्वंस की पृष्ठभूमि में जन्मे इस चार्टर ने एक वादा किया: युद्ध की रोकथाम, मानवाधिकारों में भरोसा, और शान्ति व सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देना. इतिहासकार स्टीफ़न श्लेंसिगर कहते हैं कि यूएन चार्टर केवल एक दस्तावेज़ भर नहीं, बल्कि इनसानियत की पुकार थी. आज भी, तमाम विफलताओं के बावजूद, यह चार्टर दुनिया के लिए उम्मीद का प्रतीक बना हुआ है....(वीडियो)

बौद्ध शिक्षिक व ध्यान साधना विशेषज्ञ, लामा आरिया ड्रोल्मा.
UN News/Pooja Yadav

न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में, एक शाम - योग के नाम

मानसिक तनाव और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के दौर में योग, शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शान्ति का माध्यम बनकर उभर रहा है. ऐसे वातावरण में, 21 जून को न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में 11वें अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन, बहुत से लोगों के लिए निश्चित रूप से राहत का अवसर था. शुक्रवार की शाम, यूएन परिसर का उत्तरी बाग़ीचा, एक खुले योग स्टूडियो में तब्दील हो गया, जहाँ विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों, यूएन कर्मचारियों और स्थानीय लोगों ने एक विशाल सभा के रूप में, योग के ज़रिए आन्तरिक सन्तुलन और वैश्विक एकता की अनुभूति की...(वीडियो)

विश्व शरणार्थी दिवस 2025 के उपलक्ष्य में, नई दिल्ली स्थित यूनेस्को कार्यालय में शरणार्थियों द्वारा बनाई गई कलाकृतियाँ प्रदर्शित की गईं.
© UN India/Rohit Karan

भारत: शरणार्थियों के लिए उम्मीद के अनसुने प्रहरी

20 जून को विश्व शरणार्थी दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) के भारतीय कार्यालय ने दिल्ली में एक विशेष समारोह का आयोजन किया. इस आयोजन का उद्देश्य उन स्थानीय लोगों को मान्यता देना था, जिन्होंने शरणार्थियों के जीवन को बेहतर बनाने में असाधारण योगदान दिया है. इनमें वे लोग शामिल थे जो शरणार्थियों को क़ानूनी सहायता, शिक्षा और आजीविका के साधन उपलब्ध कराने में सक्रिय रहे हैं. एक वीडियो...

नई दिल्ली में UNHCR समर्थित केन्द्रों में पढ़ते शरणार्थी बच्चे एवं वयस्क.
© UN News/Rohit Upadhyay

भारत: शरणार्थियों के लिए, शिक्षा के ज़रिए आत्मनिर्भरता की नई राह

भारत की राजधानी नई दिल्ली के कुछ इलाक़ों में कुछ ऐसी कक्षाएँ चल रही हैंजिनसे शरणार्थी बच्चों को न केवल शिक्षाबल्कि बेहतर भविष्य की उम्मीद भी मिल रही है. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) की सहायता से संचालित इन प्रशिक्षण केन्द्रों में अफ़ग़ानिस्तानसूडानचाड और काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य समेत अन्य देशों से आए शरणार्थी बच्चे और वयस्क, आशा से भरी एक नई राह पर आगे बढ़ रहे हैं. (वीडियो)

विश्व शरणार्थी दिवस के अवसर पर युगांडा के होइमा में लोकतांत्रिक गणराज्य काँगो से आए शरणार्थियों ने भाग लिया.
UN/John Kibego

विश्व शरणार्थी दिवस: संघर्ष से नेतृत्व तक के सफ़र के लिए एकजुटता का आहवान

विश्व भर में 12.2 करोड़ लोग उत्पीड़न, हिंसा या मानवाधिकार उल्लंघन मामलों के कारण अपने घर छोड़ने पर मजबूर हुए हैं, जिनमें से 4.27 करोड़ लोगों ने अन्तरराष्ट्रीय सीमाएँ पार करके अन्य देशों में शरणार्थी के तौर पर आश्रय लिया है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ध्यान दिलाया है कि हर एक शरणार्थी अपने साथ एक उजड़े हुए परिवार और गहरी क्षति की व्यथा को लेकर चलता है, और इसलिए यह ज़रूरी है कि उनकी बात को सुना जाए, और अपने भविष्य को आकार देने में उनकी भी भागेदारी हो.

नेपाल के दक्षिणी भाग में, एक लड़की अपने बच्चे भाई को गोद में लिए हुए. उनका परिवार क्षेत्र में भारी बारिश के कारण आई बाढ़ से प्रभावित हुआ था.
© UNICEF Nepal

नेपाल: जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध लड़ाई में, बच्चों को साथ लेकर चलने का आग्रह

नेपाल में जलवायु परिवर्तन अब बच्चों के लिए कोई दूर भविष्य की चेतावनी नहींबल्कि कुछ हद तक दैनिक जीवन की एक वास्तविकता बन चुका है. पहाड़ी गाँवों में मूसलाधार बारिश, भूस्खलन की वजह से घरखेत और सड़कें तहस-नहस हो जाती हैं और बच्चे इनसे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं. नेपाल में संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ़) की स्थानीय प्रतिनिधि एलिस अकुंगा ने यूएन न्यूज़ को बताया कि, यह बच्चों के कंधों पर एक भारी बोझ है,” और इसलिए जलवायु समाधानों के केन्द्र में उनकी भागेदारी ज़रूरी है. उन्हें परिवर्तन के वाहक के रूप में सशक्त बनाया जाना होगा, ताकि वे अपने भविष्य की रक्षा करने के साथ-साथ उसे आकार भी दे सकें. (वीडियो)...