वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

युद्धग्रस्त सूडान में अकाल को टालने के लिए आपात उपाय

सूडान में युद्ध ने लाखों लोगों को ना केवल उनके घरों बेदख़ल कर दिया है, बल्कि उन्हें अकाल के निकट पहुँचा दिया है.
© WFP/Abubaker Garelnabei
सूडान में युद्ध ने लाखों लोगों को ना केवल उनके घरों बेदख़ल कर दिया है, बल्कि उन्हें अकाल के निकट पहुँचा दिया है.

युद्धग्रस्त सूडान में अकाल को टालने के लिए आपात उपाय

शान्ति और सुरक्षा

सूडान में बढ़ती हिंसा और भोजन क़िल्लत अभूतपूर्व स्तर पर पहुँच रहे हैं और देश, दुनिया का सबसे बड़ा भूख संकट बनने के नज़दीक पहुँच रहा है. विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने कहा है कि देश में अर्द्धसैनिक बलों के हिंसक हमले लगातार बढ़ रहे हैं.

यूएन खाद्य सहायता एजेंसी का कहना है कि सूडान में अलबत्ता, प्रतिद्वन्द्वी गुटों की लड़ाई जारी है, मगर देश की इस तकलीफ़ को अधिकतर अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने अनदेखा किया है.

WFP का कहना है, “चूँकि वैश्विक नेतागण का ध्यान किन्हीं अन्य स्थानों पर है, सूडान के लोगों के लिए बुरे सपने जैसे हालात को टालने और उन्हें ज़रूरी समर्थन मुहैया कराने के लिए, आवश्यक ध्यान नहीं मिल रहा है. दुनिया ये नहीं कह सकती कि उसे सूडान में स्थिति की गम्भीरता के बारे में जानकारी नहीं है और ये कि कितनी आपात सहायता कार्रवाई की दरकार है.”

Tweet URL

आपात सहायता कार्रवाई

विश्व खाद्य कार्यक्रम ने ऐलान किया है कि वो ज़रूरतमन्द लोगों को जीवन-रक्षक खाद्य सहायता और पोषण मदद पहुँचाने के लिए, अपने प्रयास आपात स्तर पर तेज़ करेगा. 

सूडान में इस समय लगभग एक करोड़ 80 लाख लोगों को खाद्य सहायता की सख़्त ज़रूरत है. ये संख्या वर्ष 2019 के बाद से तीन गुना हो गई है.

लगभग 50 लाख लोग, भूख के आपात स्तर का सामना कर रहे हैं.

पूर्वी अफ़्रीका के लिए WFP के क्षेत्रीय निदेशक माइकल डनफ़र्ड का कहना है, “सूडान बड़े पैमाने पर खाद्य क़िल्लत और कुपोषण की चपेट में है. WFP ने लाखों अन्य लोगों तक खाद्य और पोषण सहायता पहुँचाना जारी रखा हुआ है जो हर रोज़ युद्ध की भीषणता में जीवन जी रहे हैं.”

उन्होंने कहा कि अलबत्ता, सूडान में जारी हिंसा, अधिकतर ज़रूरतमन्द लोगों तक पहुँच को मुश्किल बना रही है. आपात हालात में रहने वाली आबादी के लगभग 90 प्रतिशत लोग, ऐसे इलाक़ों में हैं जहाँ भारी युद्ध के कारण पहुँच पाना मुश्किल है.

WFP का कहना है कि एजेंसी, तमाम मुश्किल हालात के बावजूद, अग्रिम मोर्चों और दुर्गम इलाक़ों में पहुँचने की भरसक कोशिश कर रही है.

माइकल डनफ़र्ड ने कहा, “स्थिति पहले ही बहुत भीषण है और अगर युद्ध से पीड़ित लोगों तक तत्काल पर्याप्त मात्रा में सहायता नहीं पहुँची तो, हालात और भी बदतर हो सकते हैं.”

यूएन एजेंसियों ने बताया है कि हाल के हमलों में कम से कम 55 बच्चे भी हताहत हुए हैं.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसैल ने बुधवार को वाद अल मूरा नवामक गाँव में हुए हमलों में कम से कम 35 बच्चों की मौत और अन्य 20 बच्चों के घायल होने पर गहरा दुख प्रकट किया है.

उन्होंने कहा कि यह हमला, उस स्याह स्थिति की एक बार फिर याद दिलाता है कि सूडान में बच्चों को, क्रूर हिंसा की कितनी भारी क़ीमत चुकानी पड़ रही है.

यूएन एजेंसियों का कहना है कि पिछले साल भर में, सूडान में हज़ारों बच्चों की मौत हो चुकी है, हज़ारों घायल हुए हैं, बहुत से बच्चों को लड़ाई में प्रयोग के लिए भर्ती किया गया है और बहुत से बच्चों को बलात्कार व यौन हिंसा के अन्य कृत्यों का शिकार बनाया गया है.

यूनीसेफ़ अध्यक्ष कैथरीन रसैल ने, युद्ध को तत्काल रोके जाने और बच्चों को नुक़सान से बचाने का माहौल सुनिश्चित किए जाने की पुकार लगाई है.

लगभग एक करोड़ जन विस्थापित

अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन – IOM ने इस बीच आगाह करते हुए कहा कि सूडान के भीतर, युद्ध के कारण विस्थापित हुए लोगों की संख्या, आगामी कुछ दिनों के भीतर एक करोड़ तक पहुँच सकती है.

संगठन के अनुसार, लगभग 28 लाख पुरुष, महिलाएँ और बच्चे, युद्ध के इस दौर से पहले ही देश में विस्थापित थे.

देश के भीतर विस्थापित हुई कुल आबादी में आधी से अधिक संख्या महिलाओं और बच्चों की है, और विस्थापितों में लगभग एक चौथाई आबादी बच्चों की है.