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स्रेब्रेनीत्सा जनसंहार पर आत्मचिन्तन के लिए अन्तरराष्ट्रीय दिवस – 11 जुलाई

स्रेब्रेनीत्सा जनसंहार से प्रभावित विस्थापित लोगों के लिए बनाया गया एक शिविर. उसके चारों तरफ़ बाड़ लगाई गई ताकि लोग आसपास के मैदानों में नहीं जा सकें, वहाँ बारूदी सुरंगें बिछी होने का डर था.
© UNICEF/Roger LeMoyne
स्रेब्रेनीत्सा जनसंहार से प्रभावित विस्थापित लोगों के लिए बनाया गया एक शिविर. उसके चारों तरफ़ बाड़ लगाई गई ताकि लोग आसपास के मैदानों में नहीं जा सकें, वहाँ बारूदी सुरंगें बिछी होने का डर था.

स्रेब्रेनीत्सा जनसंहार पर आत्मचिन्तन के लिए अन्तरराष्ट्रीय दिवस – 11 जुलाई

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 11 जुलाई को, स्रेब्रेनीत्सा में 1995 में हुए जनसंहार की याद और आत्मचिन्तन का अन्तरराष्ट्रीय दिवस मनोनीत किया है. उस जनसंहार में कम से कम 8 हज़ार 372 लोग मारे गए थे और हज़ारों लोग विस्थापित हुए थे और पूरे के पूरे समुदाय तबाह हो गए थे.

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यूएन महासभा ने इसी विषय के साथ इस प्रस्ताव को पारित करते हुए, महासचिव से, वर्ष 2025 में स्रेब्रेनीत्सा जनसंहार के 30 वर्ष होने के अवसर पर, एक जनसम्पर्क कार्यक्रम शुरू किए जाने का भी अनुरोध किया है.

प्रस्ताव में स्रेब्रेनीत्सा जनसंहार को, एक ऐतिहासिक घटना के रूप में नकारे जाने की निन्दा भी की गई है और साथ ही, सदस्य देशों से सत्यापित तथ्यों का संरक्षण किए जाने का आहवान भी किया है. 

इसके लिए, जनसंहार को नकारे जाने और उसके बारे में तोड़मरोड़कर जानकारी पेश किए जाने को रोकने और भविष्य में जनसंहार होने से रोकने के लिए, देशों की शैक्षणिक प्रणालियों का सहारा लिए जाने का अनुरोध किया गया है.

इस प्रस्ताव का मसौदा जर्मनी और रवांडा ने पेश किया था, और यह प्रस्ताव 84 देशों के रिकॉर्ड समर्थन से पारित हुआ. प्रस्ताव के विरोध में 19 वोट पड़े जबकि 68 देशों ने मतदान में भाग नहीं लिया.

स्रेब्रेनीत्सा में क़त्लेआम

स्रेब्रेनीत्सा में हुआ क़त्लेआम, पूर्व यूगोस्लाविया के विघटन के बाद भड़के युद्ध के सबसे काले अध्यायों में से एक है.

जुलाई 1995 में, बोसनियाई सर्ब सेना ने स्रेब्रेनीत्सा पर धावा बोल दिया था, जिसे उससे पहले यूएन सुरक्षा परिषद ने एक सुरक्षित क्षेत्र घोषित किया था. 

बोसनियाई सर्ब सेना ने वहाँ हज़ारों मुस्लिम पुरुषों और किशोरों का क़त्लेआम किया था और, लगभग 20 हज़ार लोगों को वहाँ से बाहर निकाल दिया था.

संयुक्त राष्ट्र के झंडे तले सेवा करने वाली डच शान्तिरक्षकों की एक छोटी और हल्के हथियार रखने वाली टुकड़ी, बोस्नियाई सर्ब सेना का मुक़ाबला करने में समर्थ नहीं थी.

अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) और पूर्व यूगोस्लाविया के लिए अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक ट्राइब्यूनल (ICTY) ने स्रेब्रेनीत्सा में बोसनियाई मुसलमानों की उन क्रूर हत्याओं को, जनसंहार की एक कार्रवाई के रूप में मान्यता दी थी. 

जनसंहार को नकारे जाने के ख़िलाफ़

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने, यूएन महासभा के प्रस्ताव का स्वागत करते हुए, इसे स्रेब्रेनीत्सा जनसंहार के पीड़ितों, जीवित बचे लोगों, न्याय व सत्य की उनकी तलाश को पहचान देने, और इस तरह का जनसंहार फिर नहीं होने देने की गारंटी को मान्यता क़रार दिया है.

वोल्कर टर्क ने कहा है, “स्रेब्रेनीत्सा जनसंहार को नकारे जाने और बोसनिया हरज़ेगोविना और पड़ोसी देशों के उच्च-स्तर के राजनैतिक नेताओं द्वारा नफ़रत भरी भाषा का प्रयोग किए जाने के मद्देनज़र, यह प्रस्ताव बहुत महत्व रखता है.”

उन्होंने क्षेत्र में ऐसे शान्तिपूर्ण समाजों का निर्माण करने में रचनात्मक संवाद में शामिल होने के लिए राजनैतिक नेताओं की ज़िम्मेदारी को रेखांकित किया, जहाँ “लोग सुरक्षित और स्वतंत्र रूप में जीवन जी सकें, किसी भी तरह के भेदभाव के बिना या टकराव और हिंसा के डर के बिना.”

जर्मनी की राजदूत और संयुक्त राष्ट्र में स्थाई प्रतिनिधि आन्ते लींन्दर्स्ते ने, स्रेब्रेनीत्सा जनसंहार की याद में अन्तरराष्ट्रीय दिवस के प्रस्ताव का मसौदा पेश किया.
UN Photo/Evan Schneider

प्रभावितों को जर्मनी का सम्मान

जर्मनी की राजदूत और संयुक्त राष्ट्र में स्थाई प्रतिनिधि आन्ते लींन्दर्स्ते ने प्रस्ताव का मसौदा पेश करते हुए कहा कि यह पहल, पीड़ितों को सम्मान देने और उन जीवित बचे लोगों को समर्थन देने के बारे में है, “जो उस दुखद दौर की दर्दनाक यादों के साथ जीवन जीने को मजबूर हैं”.

इस प्रस्ताव का मसौदा, यूएन महासभा के उस प्रस्ताव का आधार पर तैयार किया गया, जिसके तहत, 7 अप्रैल को, रवांडा में तुत्सी समुदाय के ख़िलाफ़ 1994 में हुए जनसंहार पर अन्तरराष्ट्रीय आत्ममन्थन दिवस घोषित किया गया है.

जर्मन राजदूत ने कहा, “यह प्रस्ताव जनसंहार के लिए दंडमुक्ति का मुक़ाबला करने और जवाबदेही निर्धारित करने में अन्तरराष्ट्रीय न्यायालयों की भूमिका को भी रेखांकित करता है. साथ ही, जनसंहार को नकारे जाने और उसे अंजाम देने वाले तत्वों का महिमा मंडन किए जाने के ख़िलाफ़ भी कड़ी भाषा का प्रयोग किया गया है.”

जर्मन राजदूत ने “झूठे आरोपों” का भी खंडन किया और कहा कि यह प्रस्ताव “किसी के भी विरुद्ध लक्षित नहीं है”.

उन्होंने कहा, “सर्बिया के विरुद्ध नहीं, वो इस संगठन का एक मूल्यवान सदस्य है. ये प्रस्ताव अगर किसी के विरुद्ध है तो जनसंहार को अंजाम देने वालों के विरुद्ध लक्षित है.”

“इसलिए मैं हर किसी को इस प्रस्ताव के आलेख को इसकी गुणवत्ता के आधार पर परखने के लिए आमंत्रित करती हूँ और उसे याद करने और उस पर आत्मचिन्तन करने का आहवान करती हूँ, जो 30 वर्ष पहले स्रेब्रेनीत्सा में हुआ था.”

सर्बिया के राष्ट्रपति अलैक्सैन्दर वूसिक ने, प्रस्ताव के मसौदे को उच्च राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि यह विवादों का एक नया पिटारा खोल देगा.