स्रेब्रेनीत्सा की माताएँ: 'अफ़सोस कि विश्व में हत्याओं का सिलसिला बिना रुके जारी है’
ये नुकीले जूते, अधूरी उम्मीदों की गवाही दे रहे हैं. ये जूते, दरअसल बोसनिया-हर्ज़ेगोविना के एक युवा बैले नृत्यांगना के हैं, जिनका जीवन बीसवीं सदी के अन्त में मध्य योरोप में भड़के क्रूर संघर्ष ने, हमेशा के लिए बदल दिया. न्यूयॉर्क स्थित, संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में, ऐसी ही कुछ मार्मिक निशानियाँ प्रदर्शित की गईं, जिससे लोगों को युद्ध और जनसंहार की भयावहता के प्रति जागरूक किया जा सके.
प्रदर्शनी देखने आए लोगों में, जनसंहार में जीवित बच गए लोगों और लापता व्यक्तियों के परिवारों के संगठन, ‘द मदर्स ऑफ़ स्रेब्रेनीत्सा’ के सदस्य भी थे. इस त्रासदी में अपने प्रियजन को खोने वाले हज़ारों लोग - माताएँ, बहनें और पत्नियाँ, इस संगठन का हिस्सा हैं.
मुनीरा सुबासिच को उस दुखद घटना को याद करने के लिए तस्वीरों की ज़रूरत नहीं है, जिसमें उनके पति, बेटे और परिवार के 20 सदस्य मारे गए थे.
मुनीरा सुबासिच ने, 11 जुलाई को मनाए जाने वाले ‘स्रेब्रेनीत्सा स्मृति दिवस’ से ठीक पहले, यूएन न्यूज़ के साथ बातचीत में बताया, “मैं उन सभी माताओं का प्रतिनिधित्व करती हूँ जिन्होंने जनसंहार में अपने बच्चे खो दिए, मैं उन लोगों की गहन पीड़ा की प्रतीक हूँ, जिनके सपने इस त्रासदी से चकनाचूर हो गए.
युद्ध के स्याह पन्ने
यूगोस्लाविया के विघटन के बाद भड़के युद्ध में, 1992 और 1995 के बीच बोसनिया-हर्ज़ेगोविना में, लगभग एक लाख से अधिक लोग मारे गए थे, व 20 लाख अन्य लोग विस्थापित हुए थे. मृतकों में अधिकतर, बोसनिया के मुस्लिम समुदाय से थे.
लोगों को हिरासत में लिया गया, यातना शिविरों में डाल दिया गया था और हज़ारों बोसनियाई महिलाओं के साथ व्यवस्थित रूप से बलात्कार/दुर्व्यवहार किया गया. अत्याचारों की यह सूची कभी ना ख़त्म होने वाली है, लेकिन स्रेब्रेनीत्सा, युद्ध का सबसे काला पन्ना बना.
वर्ष 1993 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा "सुरक्षा क्षेत्र" घोषित, स्रेब्रेनीत्सा पर, जुलाई 1995 में बोसनियाई सर्ब सेना ने क़ब्ज़ा कर लिया, और वहाँ लगभग आठ हज़ार से अधिक पुरुषों एवं किशोरों की बेरहमी से हत्या कर दी, व बीस हज़ार लोगों को शहर से निकाल दिया.
अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय और पूर्व यूगोस्लाविया के लिए अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायाधिकरण (ICTY) ने, स्रेब्रेनीत्सा में रिपुबलिका सर्पस्का की सेना द्वारा किए गए, बोसनियाई मुसलमानों के क़त्लेआम को, आधिकारिक तौर पर जनसंहार क़रार दिया.
संयुक्त राष्ट्र इस जनसंहार को रोक नहीं पाया क्योंकि वहाँ तैनात डच शान्तिरक्षकों की छोटे व हल्के हथियारों वाली टुकड़ी, बोसनियाई सर्ब सुरक्षा बलों का विरोध करने में नाकाम रही.
न्याय की मांग
वर्ष 2002 में स्थापित, ‘मदर्स ऑफ़ स्रेब्रेनीत्सा’ संगठन, लापता लोगों व सामूहिक क़ब्रों को तलाश करने के प्रयास कर रहा है, जीवित बचे लोगों का लगातार समर्थन कर रहा है और न्याय की मांग कर रहा है.
मुनीरा सुबासिच का कहना है, “हम चाहते हैं कि पूरी दुनिया को मालूम हो कि हम जीवित बच गए हैं. हम कुछ नहीं भूले हैं. हम ये सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि सभी अपराधियों को उनके किए की सज़ा मिले.”
वर्ष 2017 में, ICTY ने बोसनियाई सर्ब सुरक्षा बलों के पूर्व कमांडर, रत्को म्लादिक को जनसंहार और युद्धापराधों के लिए आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी.
ट्रिब्यूनल के न्यायाधीश, अल्फोंस ओरी ने फ़ैसला सुनाते हुए कहा, “जो अपराध किए गए हैं, वे मानव जाति को ज्ञात, सबसे क्रूर और घृणित कृत्यों में से एक हैं. उनमें जनसंहार और विध्वंस शामिल है, जो मानवता के ख़िलाफ़ अपराध की श्रेणी में आता है."
मुनीरा सुबासिच ने बताया कि ‘मदर्स ऑफ़ स्रेब्रेनीत्सा’ ने, निवासियों की रक्षा करने में विफल रही डच सरकार और रक्षा मंत्रालय के ख़िलाफ़ दायर मुक़दमा जीत लिया था.
उन्होंने बताया कि डच सरकार ने न्यायालय के फ़ैसले को स्वीकार करते हुए इसकी ज़िम्मेदारी स्वीकार की, और जनसंहार में जीवित बचे लोगों को आर्थिक सहायता देने में सक्रिय भूमिका निभाई.
“हमारे बच्चों का जीवन अमूल्य है. वो अब हमारे पास वापिस नहीं लौट सकते, लेकिन हमने ये सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि न्याय हो.”
अवशेषों की पहचान
‘मदर्स ऑफ़ स्रेब्रेनीत्सा’ की सदस्य, काडा होतिक ने अपना पूरा जीवन उन लोगों को खोजने और उनके अवशेषों की पहचान करने के लिए समर्पित कर दिया जो आज भी लापता हैं.
काडा बताती हैं, “मेरे बेटे के अवशेषों में से सिर्फ़ दो हड्डियाँ मिलने में कई साल लग गए.” वो बताती हैं कि लापता बताए गए अधिकांश लोगों के शव, बाद में विशाल सामूहिक क़ब्रों से बरामद हुए.
उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने पति को आख़िरी बार जुलाई 1995 में देखा था. वे निर्वासन के दौरान एक साथ बस में चढ़ने की कोशिश कर रहे थे, तभी एक वर्दीधारी व्यक्ति, उनके पति के गले पर बन्दूक रखकर, उन्हें लाइन से बाहर ले गया.
काडा ने बताया कि उनका वो सारा सामान उनके पति के पास था, जो वे अपने साथ लाने में कामयाब रहे थे. उसके बाद उन्होंने अपने पति को कभी नहीं देखा.
उन्होंने बताया, "वे हमें, महिलाओं और बच्चों को बस से टुज़ला ले गए, लेकिन रास्ते में बस रोककर, सैनिक अन्दर घुस आए. फिर वो अपने गुप्तांग दिखाकर चिल्लाने लगे कि 'हमारे ख़िलाफ़ यही उनके हथियार हैं.' हमने किसी तरह बच्चों की सुरक्षा करने की कोशिश की, ताकि वो ये भयावहता न देखें.”
मानसिक सदमा
‘मदर्स ऑफ़ स्रेब्रेनीत्सा’ संगठन की अध्यक्ष, सुबासिच के अनुसार, जनसंहार का मतलब, जीवित बचे लोगों के लिए गहरा मानसिक सदमा भी है. स्रेब्रेनीत्सा जनसंहार के कारण, लगभग पाँच हज़ार नाबालिग़, अपने एक या दोनों माता-पिता के बिना, बेसहारा रह गए थे.
सुबासिच ने बताया कि इनमें से अनेक बच्चों की आँखो के सामने, उनके परिवारों और प्रियजन के साथ बलात्कार किया गया और उनकी हत्या कर दी गई.
“हमारी संस्था के सदस्यों ने इन बच्चों के पालन-पोषण में सक्रिय रूप से योगदान दिया और उनमें से अनेक बच्चों ने अपने भयावह अनुभवों के बावजूद, अपने जीवन में सफलता हासिल की है. हम इन बच्चों को प्यार से बड़ा करना चाहते थे, हम चाहते थे कि वे उस प्यार को महसूस करें और मुझे लगता है कि हम इसमें कामयाब हुए हैं.”
स्रेब्रेनीत्सा से सबक़
जनसंहार की रोकथाम पर यूएन की विशेष सलाहकार ऐलिस न्देरितु ने कहा, “स्रेब्रेनीत्सा की माताएँ यहाँ हमारे बीच हैं और उनकी मौजूदगी हमें स्मरण कराती है कि क्या-कुछ दोहराया नहीं जाना चाहिए.”
विशेष सलाहकार ने कहा कि जनसंहार को नकारने की कोशिशें आज भी जारी हैं. उन्होंने कहा कि ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी भी जनसंहार से पहले व बाद में भी, नफ़रत भरी बोली का इस्तेमाल न हुआ हो.
विशेष सलाहकार के साथ जनसंहार के पीड़ितों की स्मृति पर प्रदर्शनी को देखने पहुँची सुबासिच ने, अपनी संस्था की उम्मीद व्यक्त करते हुए कहा, "हमारे मिशन के तहत, हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि किसी और को, स्रेब्रेनीत्सा में हुए जनसंहार की भयावहता से ना गुज़रना पड़े.”
उन्होंने कहा, “लेकिन, दुर्भाग्य की बात है कि जब मैं आपसे इस बारे में बात कर रही हूँ, तो वहीं यूक्रेन, सोमालिया और अनेक अन्य स्थानों पर ऐसी ही स्थिति पनप रही है.”