स्रेब्रेनीत्सा जनसंहार की 25वीं बरसी पर आपसी सुलह-समझौते की पुकार

स्रेब्रेनीत्सा जनसंहार के 25 वर्ष बाद भी बोसनिया एण्ड हरज़ेगोविना में शान्ति एक नाज़ुक डोर से बन्धी है. यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने दूसरे विश्व युद्ध के बाद योरोप में अत्याचार के सबसे भयावह अध्याय के रूप में देखे जाने वाले स्रेब्रेनीत्सा जनसंहार की 25वीं बरसी पर क्षेत्र में आपसी मेलमिलाप के लिए ईमानदार प्रयासों की ज़रूरत को रेखांकित किया है.
महासचिव गुटेरेश ने एक वीडियो सन्देश में उन हज़ारों पीड़ितों को श्रृद्धांजलि दी है जिनकी बाल्कन युद्ध के दौरान जुलाई 1995 में क्रूरतापूर्ण ढँग से हत्या कर दी गई थी. पीड़ितों में अधिकाँश मुस्लिम समुदाय के पुरुष और लड़के थे.
25 years ago, the @UN and the international community failed the people of Srebrenica.Peace in Bosnia and Herzegovina is still fragile. We cannot let up in working towards genuine reconciliation.We owe it to the victims and survivors of this genocide and to all humanity. pic.twitter.com/TC58Fz8jLN
antonioguterres
यूएन प्रमुख ने प्रतिज्ञा व्यक्त करते हुए कहा कि उस जनसंहार के शिकार हुए लोगों को कभी नही नहीं भुलाया जाएगा, “25 वर्ष पहले संयुक्त राष्ट्र और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय स्रेब्रेनीत्सा के लोगों की मदद करने में नाकाम रहे. जैसेकि पूर्व महासचिव कोफ़ी अन्नान ने कहा था, इस विफलता की काली छाया हमारे इतिहास पर हमेशा मँडराएगी.”
“उस अतीत का सामना करना फिर से भरोसा क़ायम करने के रास्ते में एक अहम क़दम है.”
उन्होंने ध्यान दिलाया कि आपसी सुलह-समझौते को पारस्परिक सहानुभूति व समझ के आधार पर मज़बूती दी जानी होगी. इसके मायने ये भी हैं कि जनसंहार और युद्धापराधों को नकारे जाने और साथ ही दोषी युद्ध अपराधियों के महिमामण्डन को ख़ारिज किया जाना होगा.
महासचिव गुटेरेश ने लोगों से नफ़रत भरे सन्देशों, विभाजनकारी भाषणों और अविश्वास व डर की ग़लत धारणाओं का मुक़ाबला करने का आहवान किया है.
“यह ग़मगीन बरसी हमें ध्यान दिलाती है कि बोसनिया एण्ड हरज़ेगोविना में शान्ति अब भी नाज़ुक स्थिति में है.”
“हम आपसी सुलह-समझौते की दिशा में ईमानदार प्रयासों में ढिलाई नहीं बरत सकते. स्रेब्रेनीत्सा जनसंहार के पीड़ितों, जीवित बच गए लोगों, बोसनिया एण्ड हरज़ेगोविना और सम्पूर्ण मानवता के प्रति यह हमारी ज़िम्मेदारी बनती है.”
संयुक्त राष्ट्र के स्वतन्त्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने महासचिव गुटेरेश का सन्देश दोहराते हुए एक बयान में सरकारों से स्रेब्रेनीत्सा जनसंहार के पीड़ितों का सम्मान करने का आग्रह किया है.
उन्होंने कहा है कि शान्तिपूर्ण, समावेशी और न्यायोचित समाजों के निर्माण के ज़रिये पीड़ितों को सम्मानित किया जाना चाहिए और इससे भविष्य में इस तरह के अत्याचारों को फिर होने से रोका जा सकता है.
अपने बयान में उन्होंने आगाह किया कि जनसंहार ख़ुद ब ख़ुद नहीं होते बल्कि वे अनियन्त्रित और बेरोकटोक असहिष्णुता, भेदभाव और हिंसा के नतीजे के रूप में सामने आते हैं.
यूएन विशेषज्ञों के मुताबिक जनसंहार स्वीकृत नफ़रत का नतीजा होते हैं, जिन्हें एक ऐसे माहौल में प्रोत्साहन मिलता है जहाँ व्यक्ति पहले भय फैलाते हैं, फिर भौतिक या राजनैतिक फ़ायदे के लिए नफ़रत फैलाकर समुदायों में विश्वास और सहिष्णुता के स्तम्भों को चोट पहुँचाते हैं.
इसका नतीजा सभी के लिए विनाश के रूप में सामने दिखाई देता है.
वक्तव्य में कहा गया है कि स्रेब्रेनीत्सा जनसंहार के 25 वर्ष होने का लम्हा उन समुदायों को याद करने का एक अवसर है जिन्हें उनकी पहचान के आधार पर सामूहिक अत्याचार सहने पड़े.
यूएन विशेषज्ञों ने नफ़रत और भेदभाव के वायरस को दूर भगाने के लिये अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से तत्काल कार्रवाई की माँग की है.
जिन 19 मानवाधिकार विशेषज्ञों ने इस बयान पर हस्ताक्षर किये हैं, उनकी नियुक्ति संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा विभिन्न देशों और मुद्दों पर हालात की निगरानी करने के लिये की जाती है. वो संयक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते हैं और उन्हें उनके काम के लिए संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं मिलता है.