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इसराइल-फ़लस्तीन संकट: युद्धापराधों के डर के बीच, हिंसा बन्द करने और बन्धकों की रिहाई की पुकार

यूएन मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क, रफ़ाह चौकी पर मीडिया से बातचीत करते हुए. उनके साथ नज़र आ रही हैं उनकी प्रवक्ता रवीना शमदासानी.
© OHCHR
यूएन मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क, रफ़ाह चौकी पर मीडिया से बातचीत करते हुए. उनके साथ नज़र आ रही हैं उनकी प्रवक्ता रवीना शमदासानी.

इसराइल-फ़लस्तीन संकट: युद्धापराधों के डर के बीच, हिंसा बन्द करने और बन्धकों की रिहाई की पुकार

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क ने, फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा में जीवनरक्षक सहायता सामग्री की पहुँच आसान बनाने के लिए, मानवीय युद्धविराम लागू किए जाने की लगातार अहम होती पुकार, शुक्रवार को भी दोहराई है. उन्होंने साथ ही, 7 अक्टूबर को हमास द्वारा इसराइल से बन्धक बनाए गए लोगों को रिहा किए जाने का भी आहवान किया है.

वोल्कर टर्क ने, ग़ाज़ा में फँसे हुए लोगों की भयावह स्थिति का एक टिकाऊ तरीक़े से अन्त किए जाने की भी पुकार लगाई है.

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यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने, जॉर्डन की राजधानी अम्मान में पत्रकारों से बातचीत में कहा, "ग़ाज़ा में पानी की भारी कमी है और भय बहुत फैला हुआ है."

उन्होंने मीडिया के साथ इस बाचतीत से कुछ ही देर पहले ग़ाज़ा में एक सहयोगी के साथ हुई बातचीत का ज़िक्र किया जिन्हें इसराइली बमबारी से बचने के लिए, अपने परिवार के साथ भागना पड़ा है.

“उस सहयोगी के 9 और 7 वर्ष के बच्चे ऐसे सवाल पूछ रहे थे, जिनके बारे में उन्हें नहीं मालूम कि क्या जवाब दिया जाए. ‘ये सबकुछ हमारे साथ क्यों हो रहा है? हमने क्या किया है?’”

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र की सहायता एजेंसी – UNRWA के प्रमुख फ़िलिपे लज़ारिनी ने शुक्रवार को बाद में पुष्टि करते हुए बताया कि इसराइली बमबारी शुरू होने के बाद से, एजेंसी के 100 कर्मचारी मारे जा चुके हैं.

वोल्कर टर्क की टिप्पणियाँ, शुक्रवार को इन ताज़ा ख़बरों के बीच आई हैं कि ग़ाज़ा सिटी में अल शिफ़ा अस्पताल के एक परिसर पर बमबारी की गई है. उस परिसर में हज़ारों विस्थापित फ़लस्तीनी शरण लिए हुए थे.

यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा, “हिंसा रोकी जाए, मानवीय सहायता कर्मियों की सुरक्षा की गारंटी दी जाए, ये सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षित पहुँच सुलभ बनाई जाए कि ज़रूरतमन्द लोगों तक, मानवीय सहायता की आपूर्ति की जा सके..."

"ये सुनिश्चित किया जाए कि लोगों के पास, पेट भरने के लिए समुचित मात्रा में भोजन हो, पीने के लिए पानी हो और चिकित्सा देखभाल और आश्रय उपलब्ध हो, बन्धकों को रिहा किया जाए, जवाबदेरी निर्धारित की जाए और गम्भीर मानवाधिकार हनन के ज़िम्मेदारों को, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के अन्तर्गत न्याय के कटघरे में खड़ा किया जाए.”

हमास के हमलों के पीड़ितों के लिए न्याय

वोल्कर टर्क ने 7 अक्टूबर को इसराइल के दक्षिणी हिस्से में, हमास द्वारा अंजाम दिए गए जनसंहार के बारे में बात करते हुए कहा कि इस तरह के हमलों से, हम सभी के रक्त में उबाल आना चाहिए.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “इन वीभत्स अपराधों का शिकार होने वाले पीड़ितों के लिए, न्याय, जवाबदेही और उपचार सुनिश्चित किए जाने की ज़रूरत है.”

यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने, 7 अक्टूबर को इसराइल के दक्षिणी इलाक़े से बन्धक बनाए गए लोगों को रिहा करके उनके घर वापिस भेजे जाने की पुकार लगाई. 

उन्होंने साथ ही, फ़लस्तीनी सशस्त्र गुटों द्वारा, इसराइल के भीतर अन्धाधुन्ध रॉकेट दागे जाने पर भी रोक लगाए जाने का आहवान किया.

एक फ़लस्तीनी बच्चा, ग़ाज़ा में इसराइली बमबारी का शिकार हुई एक बस्ती में, पानी एकत्र करते हुए.
© UNICEF/Eyad El Baba

बच्चों पर भारी तकलीफ़ें

यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने मध्य पूर्व क्षेत्र की अपनी पाँच दिन की यात्रा समाप्त करते हुए, मिस्र के रफ़ाह मं स्थित अल आरिश अस्पताल की यात्रा के बारे में भी जानकारी दी, जहाँ उन्होंने ऐसे बच्चों को देखा, जो ग़ाज़ा में गम्भीर रूप से घायल हुए.

उन्होंने कहा, “ये सौभाग्यशाली बच्चे हैं जिन्हें भारी तकलीफ़ें तो उठानी पड़ी हैं, मगर जीवित हैं और उन्हें उपयुक्त चिकित्सा उपचार मिल रहा है.”

वोल्कर टर्क ने बताया कि ग़ाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पिछले एक महीने के दौरान, लगभग 4,400 अन्य बच्चे मारे गए हैं और 26 हज़ार से अधिक घायल हुए हैं. साथ ही, विकलांगता वाले वाले व्यक्तियों ने अपनी देखभाल करने वाले भी खो दिए हैं और उनमें से बहुत से जन, बमों के नीचे फँसे हुए हैं.

ग़ाज़ा के लोगों का उत्पीड़न रोकें

मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने कहा, “अब लगभग एक महीने से जारी पूर्ण नाकाबन्दी में, ग़ाज़ा के निवासियों को बुनियादी चीज़ें हासिल करना और यहाँ तक कि जीवित रहना भी, एक भारी कष्ट बन गया है.”

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि ”सामूहिक दंड के सभी रूप, तत्काल बन्द होने चाहिए.”

अभी तक, मिस्र की तरफ़ से रफ़ाह चौकी के ज़रिए, 21 अक्टूबर के बाद से, सहायता सामग्री भरे 821 ट्रकों को दाख़िल होने की अनुमति मिली है.