ग़ाज़ा में 'कहीं भी, कोई भी सुरक्षित नहीं', WHO प्रमुख का सुरक्षा परिषद को सम्बोधन
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने, इसराइल-फ़लस्तीन के बीच मौजूदा टकराव पर विचार करने के लिए, शुक्रवार को न्यूयॉर्क समय के अनुसार दोपहर बाद तीन बजे, फिर एक बैठक शुरू की है. इस बीच, ग़ाज़ा में विनाशकारी युद्ध पर कोई सर्वसम्मत रुख़ अपनाने के लिए, 15 सदस्यों वाली इस संस्था में, पर्दे के पीछे सघन विचार-विमर्श जारी है. इस बैठक की पूरी कार्यवाही यूएन वैब टीवी पर देखी जा सकती है.
शुक्रवार की बैठक की सुर्ख़ियाँ...
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुखिया डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने लोगों की ज़िन्दगियाँ बचाने और आवश्यक मानवीय सहायता की त्वरित आपूर्ति के लिए, युद्धविराम लागू किए जाने की पुकार लगाई. उन्होंने साथ ही कहा, ग़ाज़ा में, "कहीं भी कोई भी सुरक्षित नहीं है."
- यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख ने कहा कि चिकित्सा स्टाफ़, 23 लाख लोगों की लगातार बढ़ती ज़रूरतों के प्रबन्धन में विशाल मुश्किलों का सामना कर रहा है. उनके पास इन बीमारों और घायल लोगों का उपचार करने के लिए, जीवनरक्षक सामग्री का अभाव है.
- फ़लस्तीनी रैड क्रैसेंट सोसायटी के महानिदेशक मारवान जिलानी ने कहा कि ग़ाज़ा का स्वास्थ्य क्षेत्र, हमले की चपेट में है. उन्होंने सुरक्षा परिषद से, हिंसा का अन्त करने, अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून का पालन सुनिश्चित करने और सहायता आपूर्ति के लिए रास्ता साफ़ करने के लिए, अपनी तरफ़ से कार्रवाई तेज़ करने का आहवान किया.
- बैठक शुरू होते ही, परिषद चैम्बर में मौजूद सभी लोग, 7 अक्टूबर को इसराइल में हमास के हमले मारे गए लोगों और उसके बाद ग़ाज़ा में इसराइली हमले शुरू होने के बाद छिड़े युद्ध में मारे गए फ़लस्तीनी लोगों के सम्मान में, एक मिनट का मौन रखा.
एकीकृत रुख़ के अनेक प्रयास
7 अक्टबर को हमास द्वारा इसराइल के दक्षिणी हिस्से में घातक हमला किए जाने और उसके बाद इसराइल द्वारा ग़ाज़ा में पूर्ण स्तर की नाकाबन्दी और आक्रमण शुरू होने के बाद, सुरक्षा परिषद के भीतर कोई एकीकृत रुख़ तलाश करने के अनेक प्रयास हो चुके हैं.
सुरक्षा परिषद की शुक्रवार को हुई बैठक में, मौजूदा ज़मीनी स्थिति पर, विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस और फ़लस्तीनी रैड क्रैसेंट सोसायटी के महानिदेशक मारवान जिलानी ने अपनी बात रखी.
संयुक्त अरब अमीरात ने, ग़ाज़ा में अस्पतालों पर इसराइली हमले ताबड़तोड़ जारी रहने के मद्देनज़र, इस बैठक की मांग रखी.
7 अक्टूबर को मौजूदा टकराव शुरू होने के बाद, सुरक्षा परिषद की ये सातवीं बैठक है.
यूएन प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने, इससे पहले दिन में, यूएन मुख्यालय में पत्रकारों को बताया, "हम ग़ाज़ा में टकरा का अन्त देखने के लिए, सुरक्षा परिषद से किसी एकजुट सन्देश की आस लगाए हुए हैं; अभी ये नहीं हुआ है."
इस सप्ताह के आरम्भ में, सुरक्षा परिषद, इस स्थिति पर चर्चा करने के लिए, अपनी गोपनीय बैठक कर चुकी है. साथ ही, यूएन महासभा भी, इस संकट पर अपना दसवाँ विशेष आपात सत्र पुनः आरम्भ कर चुकी है.
स्वास्थ्य व्यवस्था अपने घुटनों पर
इस बैठक में इसराइल और फ़लस्तीन दोनों के ही प्रतिनिधियों को अपनी बात कहने के लिए आमंत्रित किया गया, और इसके लिए कहीं से कोई आपत्ति नहीं हुई.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने, बैठक में सबसे पहले अपनी बात रखी.
उन्होंने कहा कि यह युद्ध शुरू होने के बाद से, ग़ाज़ा में 250 स्वास्थ्य ठिकानों और इसराइल में 25 ठिकानों पर हमले किए गए हैं. 100 से अधिक यूएन सहयोगी मारे जा चुके हैं. ग़ाज़ा के आधे से अधिक अस्पताल पूरी तरह ठप हो गए हैं, और बाक़ी बचे अस्पताल, अपनी क्षमता से कहीं अधिक काम कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, "स्वास्थ्य व्यवस्था, अपने घुटनों पर आ चुकी है."
डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा कि वो, हमास के हमले के बाद, इसराइली लोगों के क्रोध और पीड़ा के भलीभाँति समझते हैं. 1400 लोगों को मारा जाना, एक समझ में नहीं आने वाली बात है. उन्होंने जीवित बचे लोगों की मानसिक पीड़ा और सदमा लम्बे समय तक रहने की बात को भी रेखांकित किया.
उन्होंने कहा कि वो कुछ लोगों को अब भी बन्धक बनाकर रखे जाने पर गम्भीर रूप से चिन्तित हैं.
डॉक्टर टैड्रॉस ने वो ग़ाज़ा के लोगों के क्रोध, पीड़ा और डर को भी समझते हैं, जो अपने परिवारों, अपने घरों, अपने समुदायों और अपनी सामान्य ज़िन्दगी के विध्वंस की पीड़ा से गुज़र रहे हैं.
ग़ाज़ा में कहीं भी, कोई भी सुरक्षित नहीं: डॉक्टर टैड्रॉस
WHO के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस ने सुरक्षा परिषद की ये बैठक समाप्त होने से पहले, फिर से अपनी बात रखी और कहा, "ग़ाज़ा में, कहीं भी कोई भी सुरक्षित नहीं है. ज़रा सोचें... कल्पना करें कि आप उस स्थिति में फँस गए हों."
उन्होंने कहा, इसीलिए हम युद्धविराम और मानवीय सहायता की निर्बाध आपूर्ति के लिए कह रहे हैं. और साथ ही, स्वभाविक रूप से, हम सुरक्षा परिषद से, बन्धकों की रिहाई के लिए भी, हर सम्भव प्रयास करने को कह रहे हैं."
दो राष्ट्र: दीर्घकालीन समाधान
दो राष्ट्रों की स्थापना के समाधन पर डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा कि उनका लम्बे समय से ये विश्वास है कि ग़ाज़ा की स्थिति, बिल्कुल टिकाऊ नहीं है.
उन्होंने कहा कि दो राष्ट्रों की स्थापना का समाधान, फ़लस्तीनी देश के लिए लाभकारी होने के साथ-साथ, ये इसराइल के लिए भी अच्छा समाधान है.
डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा कि उन्हें सुरक्षा परिषद चैम्बर में, अनेक राजदूतों को यह कहते हुए सुनकर प्रसन्नता हुआ है, जिन्होंने "एक दीर्घकालीन समाधान" के लिए, दो राष्ट्रों की स्थापना के समाधान की, महत्ता पर ज़ोर दिया है.
फ़लस्तीन: जनसंहार रोका जाए
पर्यवेक्षक देश फ़लस्तीन के स्थाई पर्यवेक्षक रियाद मंसूर ने, सुरक्षा परिषद से जनसंहार तत्काल रोके जाने की अपील की.
उन्होंने कहा, “यूएन महासभा का प्रस्ताव अवश्य लागू हो; सुरक्षा परिषद को अपनी पुकारों को सुनना होगा.”
रियाद मंसूर ने कहा, “एक और दिन, इस चर्चा में नहीं गुज़ार दें कि कितने ट्रक दाख़िल होंगे; उन ट्रकों को सैकड़ों, हज़ारों की संख्या में हर दिन दाख़िल होना होगा. मानवीय सहायता एजेंसियों की आवाज़ सुनी जानी होगी, हमारे लोगों की चीख़-पुकारें सुनी जानी होंगी और बमों को ख़ामोश करना होगा. बिल्कुल अभी, बाद में नहीं.”
बढ़ती मृतक संख्या
रियाद मंसूर ने कहा कि दिल दहला देने वाली स्थिति का हल निकालना होगा, क्योंकि मृतक संख्या बढ़ रही है... आज मृतक संख्या 11 हज़ार हो गई है, जिनमें साढ़े चार हज़ार बच्चे हैं.
उन्होंने कहा, “हम मुलाक़ातें, बैठकें करते हैं, आप इन सभागारों में सुन सकते हैं, अगर ध्यान से सुनें तो, हमारे बच्चों की चीख़-पुकारें, जो मलबे में दबे हैं और जिन्हें मानवता ने बेसहारा छोड़ दिया है.”
“हम ये बैठक ऐसे समय कर रहे हैं जब पिछले 30 दिनों केवल कुछ सौ ट्रक ही ग़ाज़ा की सीमा में दाख़िल हो पाए हैं, और उससे कहीं दस गुना ज़्यादा आत्माएँ ज़मीन छोड़कर आसमान में चली गई हैं.”
रियाद मंसूर ने कहा कि उनकी पीढ़ी ने जो तकलीफ़ें झेली हैं, वही तकलीफ़ें आज युवा फ़लस्तीनी भी झेल रहे हैं.
उन्होंने कहा, “हत्यारे ने कभी भी अपने इरादे छुपाए नहीं हैं; उसने शक्तिशाली बदले और मानव जानवरों की बात की है और ऐलान किया कि वो विध्वंसक नाकाबन्दी लागू करेगा. उसने 200 बन्धको की रिहाई की पुकार लगाई है, जबकि इस प्रक्रिया , 20 लाख लोगों को बन्धक बना रखा है.”
इसराइल: ‘हमास विशाल स्तर के युद्धापराधों का दोषी’
संयुक्त राष्ट्र में इसराइल के स्थाई प्रतिनिधि गिलाद ऐरदान ने कहा कि इसराइलियों ने पाँच सप्ताह पहले एक ऐसा जनसंहार देखा है जैसाकि, नवम्बर 1938 में, नाज़ियों के अन्तर्गत क्रिश्ताल्नाश्त में हुआ था.
उन्होंने कहा कि इस बैठक का ध्यान ग़ाज़ा के अस्पतालों पर रहा है, मगर कुछ ही दिन पहले हमास के रॉकेटों से, इसराइल के अस्पतालों पर किए गए हमलों का कोई ज़िक्र नहीं है.
उन्होंने कहा कि हमास के लड़ाके, ऐम्बुलेंसों पर गोलीबारी कर रहे हैं ताकि वो घायलों की मदद नहीं कर सकें और इसराइल ने ये उजागर कर दिया है कि हमास का मुख्य मुख्यालय अल शिफ़ा अस्पताल के तहख़ाने में है, और वो ऐम्बुलेंसों को हथियारों के परिवहन के लिए प्रयोग कर रहा है.
गिलाद ऐरदान ने कहा, “ग़ाज़ा की पूरी ज़मीन, एक आतंकी जाल में तब्दील कर दिया गया है, और हमास के इन आतंकवादियों के लिए कुछ भी पवित्र नहीं है. ये विशाल स्तर के युद्धापराध हैं...”
उन्होंने कहा कि इसराइल ने अनेक सप्ताहों से, ग़ाज़ा के आम लोगों को, हमास के नियंत्रण वाले युद्धक्षेत्र से, चले जाने के लिए चेतावनी और सुरक्षित मार्ग दिया है, मगर हमास उन लोगों को ऐसा करने से रोक रहा है.
‘ऊपर और परे’
गिलाद ऐरदान ने कहा कि इसराइल ने, आम लोगों की मौतें कम करने के लिए बहुत ऊँचे स्तर की ऐहतियात बरती है. इसराइलियों के लिए, जीवन पवित्र हैं, मगर हमास के लिए मृत्यु पवित्र है.