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इसराइल-फ़लस्तीन संकट: बन्दूकें ख़ामोश करें, पेरिस फ़ोरम में, यूएन राहत प्रमुख की पुकार

ग़ाज़ा के उत्तरी क्षेत्र में रहने वाले बहुत से परिवारों को, दक्षिणी हिस्से में ख़ान यूनिस शरणार्थी शिविर में विस्थापित होना पड़ा है.
© WHO
ग़ाज़ा के उत्तरी क्षेत्र में रहने वाले बहुत से परिवारों को, दक्षिणी हिस्से में ख़ान यूनिस शरणार्थी शिविर में विस्थापित होना पड़ा है.

इसराइल-फ़लस्तीन संकट: बन्दूकें ख़ामोश करें, पेरिस फ़ोरम में, यूएन राहत प्रमुख की पुकार

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र के आपदा राहत मामलों के प्रमुख मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने पेरिस में ग़ाज़ा पर गुरूवार को हुए मानवीय सम्मेलन में शिरकत करते हुए, युद्ध में अहम विराम के लिए एक अपील जारी की है और विस्थापित नागरिकों के और अधिक संरक्षण का आग्रह किया है.

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी – UNRWA के प्रमुख फ़िलिपे लज़ारिनी ने, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्राँ की टिप्पणी से सहमति व्यक्त करते हुए, ज़ोर दिया कि उन्होंने फ़लस्तीनी क्षेत्र में, पिछले सप्ताह बच्चों की जो “हृदय विदारक” स्थिति देखी है, वो “रोटी के एक टुकड़े और पानी के एक घूँट की गुहार लगाती है”.

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फ़िलिपे लज़ारिनी ने बताया कि विशाल पैमाने पर विस्थापन के कारण, आश्रय स्थलों में अत्यधिक भीड़ हो गई है, और 7 अक्टूबर को इसराइल पर हमास के घातक हमले के जवाब में, इसराइल के विशाल हवाई और ज़मीनी हमले में, पूरी की पूरी बस्तियों को मलबे में तब्दील किया जा रहा है.

हर जगह आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित हो

संयुक्त राष्ट्र के आपदा राहत मामलों के समन्वयक मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने, फ्रांस की राजधानी पेरिस में हुए इस सम्मेलन में, यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने इसराइल में लगभग एक महीने पहले हमास के हमले के दौरान बन्धक बनाए गए 240 लोगों के परिवारों से मुलाक़ात का विवरण भी साझा किया. इन लोगों को हमास ने अब भी बन्धक बनाकर रखा हुआ है.

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने बताया कि उन्होंने कुछ बन्धकों के परिवारों से बातचीत की है और उनकी स्थिति असहनीय है और यथास्थिति को जारी रहने देना, एक विडम्बना होगी.

यूएन राहत प्रमुख ने एक मानवीय युद्धविराम की आपात ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए कहा, ग़ाज़ा के लोगों को कुछ राहत देने और महत्वपूर्ण सेवाओं को फिर से बहाल करने के लिए, “बन्दूकें ख़ामोश करें”.

उन्होंने आम लोगों की हिफ़ाज़त किए जाने की भी पुकार लगाई, “चाहें वो कहीं भी हों”. उन्होंने साथ ही, ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े में, इसराइली हमलों के कारण विस्थापित हुए लाखों लोगों की स्थिति पर भी चिन्ता दोहराई. उन्होंने कहा कि ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े के लोगों को, दक्षिणी इलाक़े में “तथाकथित सुरक्षित क्षेत्रों” जाने के लिए कहा गया है, जबकि दरअसल वहाँ सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं दी गई.

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र, सुरक्षा की गारंटी के अभाव में, इस प्रस्ताव का समर्थन नहीं कर सकता.

यूएन मानवीय सहायता समन्वय कार्यालय (OCHA) के अनुसार, उत्तरी ग़ाज़ा से लगभग पचास हज़ार अतिरिक्त लोग, बुधवार को एक गलियारे के ज़रिए निकले, जिसे इसराइली सेना ने मुहैया कराया था.

अधिक सहायता पहुँच बहुत अहम

पेरिस सम्मेलन में, मार्टिन ग्रिफ़िथ्स और फ़िलिपे लज़ारिनी ने, सभी पक्षों से, टकराव के दौरान अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून का सम्मान किए जाने की ज़ोरदार अपील की. इस टकराव के कारण, अस्वीकार्य संख्या में, आम लोग हताहत हुए हैं और बुनियादी मानव गरिमा का भी नुक़सान हुआ है.

इन वरिष्ठ यूएन अधिकारियों ने हताशा भरे हालात का सामना कर रहे, ग़ाज़ा के लोगों तक, और अधिक भोजन, पानी, चिकित्सा सामान और ईंधन पहुँचाने के लिए, सैकड़ों अन्य ट्रकों को, निर्बाध पहुँच मुहैया कराए जाने का भी आहवान किया. 

UNRWA के प्रमुख फ़िलिपे लज़ारिनी ने आगाह किया, “भोजन, पानी और दवाओं की उपलब्धता को गम्भीर रूप से सीमित करना, सामूहिक दंड है,” जोकि अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन है.

संयुक्त राष्ट्र उसके साझीदार संगठनों ने, ग़ाज़ा में बढ़ती ज़रूरतों के मद्देनज़र, मानवीय सेवाओं की आपूर्ति की ख़ातिर, इस सप्ताह के आरम्भ में, 1.2 अरब डॉलर की रक़म की अपील जारी की थी. इस रक़म से, ग़ाज़ा पट्टी में 22 लाख लोगों और पश्चिमी तट में लगभग पाँच लाख लोगों तक मानवीय सहायता अभियान बढ़ाए जाएंगे.

यह धनराशि जुटाने में तेज़ी लाने में मदद करना भी, पेरिस सम्मेलन का एक लक्ष्य रहा है.