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WHO: वैश्विक टीकाकरण कवरेज, पटरी पर लौटने के संकेत

पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एक मोबाइल टीकाकरण इकाई में 6 महीने के एक लड़के का टीकाकरण.
© UNICEF/Saiyna Bashir
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एक मोबाइल टीकाकरण इकाई में 6 महीने के एक लड़के का टीकाकरण.

WHO: वैश्विक टीकाकरण कवरेज, पटरी पर लौटने के संकेत

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन ( (WHO) और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) के नवीन आँकड़ों से मालूम होता है कि कुछ देशों में टीकाकरण सेवाओं के बहाल होने के संकेत नज़र आ रहे हैं, अलबत्ता टीकाकरण कवरेज अब भी कोविड-19 महामारी के पूर्व स्तरों से कम है, विशेष रूप से निम्न व मध्य-आय वाले देशों में. इस स्थिति ने बच्चों को, बीमारियाँ फैलने के गम्भीर जोखिम में धकेल दिया है.

वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण टीकाकरण सेवाएँ, ऐतिहासिक स्तर पर बाधित हुईं थी. देशों न  उस व्यवधान का मुक़ाबला करने के लिए, अपने प्रयास बढ़ाए हैं, जिनके तहत, वर्ष 2021 की तुलना में, साल 2022 में, 40 लाख अधिक बच्चों तक वैश्विक टीकाकरण सेवाएँ पहुँचाई गईं.

लाखों बच्चे टीकों से अब भी वंचित

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों द्वारा सोमवार को जारी नए आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2022 में, डिप्थीरिया, टिटनस और काली खाँसी (DTP) से बचाव के लिए एक या उससे अधिक टीके लगने से वंचित रहने वाले बच्चों की संख्या 2 करोड़ 5 लाख थी. जबकि वर्ष 2021 में ये संख्या 2 करोड़ 44 लाख थी. 

DTP टीकाकरण को, आमतौर पर टीकाकरण कवरेज के वैश्विक संकेतक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.

टीकाकरण कवरेज में सुधार के बावजूद, ये संख्या, वर्ष 2019 में एक या उससे अधिक टीके लगवाने से वंचित रहे, एक करोड़ 84 लाख बच्चों की संख्या से अधिक है. ये नियमित टीकाकरण सेवाओं में, कोविड-19 महामारी से सम्बन्धित व्यवधान शुरू होने से पहले की स्थिति थी.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक डॉक्टर टेड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा, “ये आँकड़े उत्साहजनक हैं और उन लोगों की कड़ी मेहनत के लिए अभिवादन हैं, जिन्होंने टीकाकरण कवरेज में दो साल की लगातार गिरावट के बाद, जीवरक्षक टीकाकरण सेवाओं को बहाल करने के लिए कड़ी मेहनत की.”

“मगर केवल वैश्विक और क्षेत्रीय औसत, पूरी कहानी बयान नहीं करते और गम्भीर व निरंतर असमानताओं को छुपा देते हैं. जब देश व क्षेत्र पीछे छूटते हैं, तो बच्चों को नुक़सान उठाना पड़ता है.”

चिन्ताजनक विषमताएँ

 टीकाकरण दरों में पुनर्बहाली के आरम्भिक चरण समान नहीं रहे हैं. भारत और इंडोनेशिया जैसे नवजात शिशु की बड़ी आबादी वाले साधन-सम्पन्न देशों में प्रगति, धीमी पुनर्बहाली दरों को ढँकती है, या मध्यम व निम्न-आय वाले देशों में, टीकाकरण पुनर्बहाली में गिरावट जारी रही.

यूएन एजेंसियों के अनुसार, जिन 73 देशों में टीकाकरण कवरेज में महत्वपूर्ण गिरावट देखी गई थी, उनमें से 15 देश, सफलतापूर्वक महामारी से पूर्व के प्रतिरक्षण स्तर पर लौट आए हैं. इनमें से 24 देश पुनर्बहाली की राह पर अग्रसर हैं लेकिन 34 देशों में ये प्रगति स्थिर हो गई है या उनमें गिरावट जारी है.

ख़सरा के टीकों में गिरावट

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के मुताबिक़, ख़सरा से बचाने वाली वैक्सीन के टीकाकरण के साथ-साथ, अन्य वैक्सीन के टीकाकरण की पुनर्बहाली पटरी पर नहीं लौट सकी है.  दर में सुधार में कमी देखी गई है. ख़सरा को बेहद संक्रामक पैथोजेंस में से एक माना जाता है.

वर्ष 2022 में, 2 करोड़ 19 लाख बच्चे, अपने जीवन के पहले वर्ष में ख़सरा वैक्सीन की नियमित ख़ुराक से वंचित रह गए, जोकि वर्ष 2019 की तुलना में 27 लाख की वृद्धि को दर्शाता है. वहीं अतिरिक्त एक करोड़ 33 लाख बच्चों को ख़सरा वैक्सीन की दूसरी ख़ुराक नहीं मिल सकी. इस स्थिति ने, कम टीकाकरण वाले समुदायों में बच्चों को, बीमारियाँ फैलने के अत्यधिक जोखिम के दायरे में पहुँचा दिया है.

आँकड़ें दर्शाते हैं कि जिन देशों में महामारी से पहले के वर्षों में सुचारू टीकाकरण कवरेज मौजूद था, वे अपनी टीकाकरण सेवाओं को स्थिर करने में अधिक सफल रहे हैं.

वैक्सीन गठबन्धन - GAVI की सहायता से, निम्न-आय वाले 57 देशों में डिप्थीरिया, टिटनस और काली खाँसी (DTP3) वैक्सीन कवरेज वर्ष 2021 में 78 फ़ीसदी से बढ़कर, वर्ष 2022 में 81 प्रतिशत हो गई. इसी अवधि के दौरान, जिन बच्चों को टीके की एक भी ख़ुराक नहीं मिली थी, उनकी संख्या में 20 लाख की गिरावट दर्ज की गई.