WMO: वर्ष 2022, सर्वाधिक गर्म वर्षों के क्रम में शामिल

विश्व मौसम संगठन (WMO) ने गुरूवार को कहा है कि वर्ष 2022, पाँचवा या छठा सर्वाधिक गर्म साल रहा है. इस ताज़ा जानकारी से इन चिन्ताओं को बल मिला है कि इससे पेरिस समझौते की 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा के उल्लंघन की सम्भावना "समय के साथ बढ़ रही है".
यूएन एजेंसी ने चेतावनी जारी करते हुए बताया है कि वर्ष 2022 लगातार आठवाँ ऐसा साल रहा है जिस दौरान, ग्रीनहाउस गैसों का जमाव व संचित गर्मी के कारण, वैश्विक तापमान, पूर्व - औद्योगिक स्तर की तुलना में, एक डिग्री सेल्सियस से भी ऊपर रहा.
The past 8 years were the warmest on record globally, fueled by ever-rising greenhouse gas concentrations and accumulated heat, according to 6 leading international temperature datasets consolidated by the @WMO. #StateOfClimate.
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ला नीना घटनाओं के कारण वर्ष 2022 अब तक सबसे अधिक गर्म साल होने से बचा रहा.
विश्व मौसम संगठन ने सचेत करते हुए कहा कि ला नीना का ये ठंडा प्रभाव, ज़्यादा समय तक नही रह पाएगा और ग्रीन हाउस गैसों के रिकॉर्ड उच्च स्तर के परिणाम स्वरूप, दीर्घकालिक तापमान बढ़ोत्तरी की प्रवृत्ति को उलट नहीं पाएगा. साथ ही बताया कि केवल 60 प्रतिशत सम्भावना है कि ला नीना, मार्च 2023 तक जारी रहेगा, इसके बाद "ईएनएसओ-तटस्थ"( ENSO-neutral ) परिस्थितियाँ होंगी.
ला नीना के बावजूद, वर्ष 2022 अब भी जलवायु परिवर्तन से जुड़ी प्रभावशाली मौसम घटनाओं, पाकिस्तान में विनाशकारी बाढ़, चीन, योरोप, उत्तर और दक्षिण अमेरिका में घातक ताप लहरों और हॉर्न ऑफ़ अफ्रीका में लाखों लोगों के लिए, लगातार सूखे और दुख से चिन्हित था.
दिसम्बर महीने में, उत्तरी अमेरिका के अनेक क्षेत्रों में, भयंकर तूफ़ान आने से तेज़ हवाएँ, भारी हिमपात, बाढ़ और तापमान में गिरावट देखी गई.
विश्व मौसम संगठन के महासचिव पैटेरी तालस ने सभी देशों से चरम मौसम की घटनाओं से निपटने के लिए, तैयारियाँ तेज़ करने का आहवान किया है.
उन्होंने कहा कि, इन आपात परिस्थितियों ने "अनेक लोगों के जीवन और आजीविकाओं पर असर डाला है और स्वास्थ्य, भोजन, ऊर्जा व जल सुरक्षा और बुनियादी ढाँचे को कमज़ोर किया है.
WMO प्रमुख ने बताया कि, "आज 193 यूएन सदस्यों में से केवल 50 प्रतिशत देशों के पास उचित प्रारम्भिक चेतावनी सेवाएँ हैं, जिनकी वजह से अत्यधिक आर्थिक और मानवीय नुक़सान होता है.
विश्व मौसम संगठन का कहना है कि वर्ष 1980 के बाद से, हर एक दशक, उससे पूर्व दशक की तुलना में ज़्यादा गर्म रहा है, और ये रुझान जारी रहने की सम्भावना है.
सर्वाधिक आठ गर्म वर्ष, 2015 के बाद के समय में ही दर्ज किये गए हैं. सर्वाधिक वर्षों में शीर्ष पर 2016, 2019 और 2020 रहे हैं.
वर्ष 2016 में, एक असाधारण मज़बूत ऐल नीनो घटना हुई जिसने, रिकॉर्ड वैश्विक औसत तापमान वृद्धि में योगदान किया.
संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने इन निष्कर्षों की तुलना, विश्व की अनेक एजेंसियों से मिली जानकारी के साथ की है, जिनमें अमेरिका के राष्ट्रीय समुद्रीय और वायुमंडलीय प्रशासन (NOAA), नासा के गोडार्ड इंस्टीट्यूट फ़ॉर स्पेस स्टडीज़ (NASA GISS), यूनाइटेड किंगडम के मेट ऑफ़िस हैडली सेंटर, और यूनिवर्सिटी ऑफ़ ईस्ट ऐंगलिया की जलवायु अनुसन्धान इकाई (HadCRUT); बर्कले अर्थ ग्रुप, द योरोपियन सेंटर फ़ॉर मीडियम रेंज वैदर फ़ोरकास्ट्स एंड इट्स कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस; और जापान मौसम विज्ञान एजेंसी (JMA) शामिल हैं.
WMO ने बताया की इस अध्ययन के लिए लाखों मौसम सम्बन्धी और समुद्री अवलोकनों का उपयोग किया गया, जिनमें उपग्रह (satellites) भी शामिल थे.