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भारत के विदेश मंत्री सुब्रहमण्यम, संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें सत्र की उच्चस्तरीय जनरल डिबेट को सम्बोधित करते हुए (24 सितम्बर 2022).

'हमें राजनय की शक्ति में भरोसा जारी रखना होगा', यूएन महासभा में भारत का सम्बोधन

UN Photo/Cia Pak
भारत के विदेश मंत्री सुब्रहमण्यम, संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें सत्र की उच्चस्तरीय जनरल डिबेट को सम्बोधित करते हुए (24 सितम्बर 2022).

'हमें राजनय की शक्ति में भरोसा जारी रखना होगा', यूएन महासभा में भारत का सम्बोधन

यूएन मामले

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें सत्र की उच्चस्तरीय जनरल डिबेट में इस वर्ष भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री डॉक्टर सुब्रहमण्यम जयशंकर ने किया और उन्होंने विश्व नेताओं को सम्बोधित करते याद दिलाया कि भारत, अपनी आज़ादी की 75वीं वर्षगाँठ मना रहा है, जिसे उन्होंने “करोड़ों भारतीय लोगों के कड़े परिश्रम, पक्के इरादे, नवाचार, और उद्यशीलता की कहानी” क़रार दिया.

भारतीय विदेश मंत्री ने बहुपक्षवाद के लिये देश की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए कहा कि इसका सबूत इसमें है कि भारत ने 100 से ज़्यादा देशों को कोविड वैक्सीन उपलब्ध कराई, परेशानियों और तकलीफ़ों का सामना करने वाले देशों को राहत मुहैया कराई, और अन्य देशों के साथ भी, हरित विकास, बेहतर कनेक्टिविटी, डिजिटल प्रगति और सर्व सुलभ स्वास्थ्य के क्षेत्रों में साझेदारी की है.

विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर ने बताया कि भारत, पास के देशों और क्षेत्रों में मानवीय सहायता में मौजूद खाइयों को भर रहा है, इसके लिये उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान में 50 हज़ार मीट्रिक टन गेहूँ और दवाइयों और वैक्सीन्स की अनेक खेपें भेजे जाने का उदाहरण दिया.

इसके अलावा श्रीलंका को ईंधन, आवश्यक वस्तुओं और व्यापार निपटारे के लिये, 3.8 अरब डॉलर का क़र्ज़ भी दिया है. साथ ही, म्याँमार को 10 हज़ार मीट्रिक टन खाद्य सहायता और वैक्सीन खेप भी भेजे गए हैं.

'हम किसकी तरफ़ हैं?'

विदेश मंत्री एस जयशंकार ने यूक्रेन में युद्ध का ज़िक्र करते हुए ये सवाल उठाया कि भारत यूक्रेन की तरफ़ है या रूस की तरफ़?

उन्होंने कहा, “भारत शान्ति की तरफ़ है और उसी तरफ़ दृढ़ता के साथ रहेगा. हम उस तरफ़ हैं जहाँ यूएन चार्टर और सके बुनियादी सिद्धान्तों का सम्मान होता है. हम उस तरफ़ हैं जहाँ से संवाद और राजनय को ही एक मात्र रास्ता अपनाने की पुकार उठती है.”  

उन्होंने कहा कि खाद्य, ईंधन और उर्वरकों की क़ीमतें बढ़ रही हैं, युद्ध का कोई जल्द समाधान निकालने के लिये रचनात्मक तरीक़े से काम करना, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के हित में है.

विश्व रूपान्तरकारी बदलाव की ओर अग्रसर

भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने वैश्वीकरण की बहुत ज़्यादा केन्द्रीकृत प्रकृति पर सवाल खड़े कर दिये हैं, और दुनिया रूपान्तरकारी बदलाव की ओर अग्रसर है. यूक्रेन में युद्ध और जलवायु सम्बन्धी घटनाओं ने, दुनिया के सामने पहले से ही दरपेश बाधाओं में बढ़ोत्तरी की है.

विदेश मंत्री एस जयशंकार ने कहा कि भारत जलवायु कार्रवाई और जलवायु न्याय पर अमल कर रहा है, और हमारे पर्यावरण के संरक्षण और वैश्विक बेहतरी को आगे बढ़ाने के लिये, किसी भी तरह के सामूहिक और समतामूलक प्रयासों में समर्थन देने के लिये मुस्तैद है.

उन्होंने बताया कि भारत का रुख़, परस्पर सम्मान और सर्वजन के टिकाऊ विकास के लिये संकल्प के राष्ट्रीय स्वामित्व के सिद्धान्तों पर आधारित है.

उन्होंने कहा कि भारत, विकसित अर्थव्यवस्थाओं के संगठन जी-20 की अध्यक्षता संभालने वाला है, जिस दौरान अन्य सदस्य देशों के साथ मिलकर क़र्ज़, आर्थिक वृद्धि, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण के गम्भीर मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा.

‘आतंकवाद पर शून्य सहिष्णुता’

सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्य के रूप में भारत की दो वर्ष की सदस्यता दिसम्बर 2022 में समाप्त हो रही है. इस सन्दर्भ में भारतीय विदेश मंत्री ने इस कार्यकाल के दौरान, भारत की कुछ उपलब्धियाँ भी गिनाईं.

उन्होंने कहा कि भारत ने सुरक्षा परिषद में समुद्री सुरक्षा, शान्तिरक्षा और आतंकवाद-प्रतिरोध जैसी चिन्ताओं पर ध्यान केन्द्रित किया. उन्होंने साथ ही बताया कि आतंकवाद प्रतिरोध समिति की इस वर्ष भारत में बैठक होने वाली है, और भारत इस समिति का अध्यक्ष है. उन्होंने इस बैठक में शिरकत के लिये, सभी सदस्य देशों को आमंत्रित भी किया.

भारतीय विदेश मंत्री ने बताया कि इस बैठक में नवीन और उभरती प्रोद्योगिकियों पर ध्यान केन्द्रित रहेगा कि मुक्त, विविध और बहुलवादी समाजों के विरुद्ध जिस तरह नवीन प्रोद्योगिकी एक औज़ार के रूप में प्रयोग की जा रही है उसका मुक़ाबला करने के लिये, क वैश्विक ढाँचे की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा कि भारत ने दशकों तक सीमा पार से आतंकवाद का दंश झेला है और देश आतंकवाद के मुद्दे पर “शून्य सहिष्णुता” की हिमायत करता है. “हमारी नज़र में, आतंकवाद की किसी भी गतिविधि का कोई भी औचित्य नहीं हो सकता, चाहे कोई भी वजह बताई जाए. और कोई भी भड़काऊ बयानबाज़ी, चाहे कितने भी पावन अन्दाज़ में पेश की जाए, वो कभी भी, रक्त रंगे हाथों को नहीं छुपा सकती.

पुरातन सुरक्षा परिषद में सुधार

भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि सुरक्षा परिषद में सुधार की ज़रूरत है क्योंकि ये पुरानी पड़ चुकी है और प्रभावहीन है.

उन्होंने सुरक्षा परिषद को गहन रूप से पक्षपाती, सम्पूर्ण महाद्वीपों और क्षेत्रों की आवाज़ को एक ऐसे मंच पर शामिल करने से रोकती है जहाँ उनके भविष्यों के बारे में चर्चा होती है.

डॉक्टर एस जयशंकर ने इस मुद्दे पर गम्भीर चर्चा किये जाने और निर्णायक समाधान का आहवान किया, और गम्भीर बातचीत से ईमानदारी से आगे बढ़ें, नाकि उन्हें प्रक्रियात्मक आधार पर रोक दिया जाए.

उन्होंने अपने सम्बोधन के अन्त में कहा, “हमारा ये मानना है और हम इसकी हिमायत भी करते हैं कि ये दौर युद्ध या संघर्ष का नहीं है.”

“इसके उलट, ये समय विकास और सहयोग का है...ये बहुत अहम है कि हम राजनय की क्षमता और अन्तरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता में भरोसा जारी रखें.”