वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का, 'जनरल डिबेट' को सम्बोधन

भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, यूएन महासभा के 76वें सत्र में, जनरल डिबेट को सम्बोधित करते हुए. (25 सितम्बर 2021)
UN Photo/Cia Pak
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, यूएन महासभा के 76वें सत्र में, जनरल डिबेट को सम्बोधित करते हुए. (25 सितम्बर 2021)

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का, 'जनरल डिबेट' को सम्बोधन

यूएन मामले

भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने, संयुक्त राष्ट्र महासभा को सम्बोधित करते हुए, लोकतंत्र के प्रति देश की प्रतिबद्धता फिर से पुष्ट की है और कोविड-19 महामारी की वैक्सीन विकसित करने और निर्माण में महान सफलता की तरफ़ भी ध्यान आकर्षित किया है. उन्होंने साथ ही, प्रतिगामी सोच वाले देशों से सावधान रहने के लिये सतर्क भी किया है.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने, शनिवार को, यूएन महासभा के 76वें सत्र की उच्च स्तरीय जनरल डिबेट को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत एक ऐसा देश है जो लोकतंत्र की अपनी परम्परा के लिये प्रसिद्ध रहा है. “भारत लोकतंत्र की जननी के रूप में पहचाने जाने में गौरवान्वित महसूस करता है.” 

उन्होंने कहा, “विविधता, हमारे मज़बूत लोकतंत्र की पहचान है."

नरेन्द्र मोदी ने कहा कि विकास, सम्पूर्ण समावेशी, व्यापक दायरे वाला, सार्वभौमिक और ऐसा होना चाहिये जिससे सभी का भला हो.

उन्होंने कहा कि भारत एकीकृत व समान विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है. 

हाइड्रोजन हब

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जलवायु मुद्दे का ज़िक्र करते हुए कहा कि उनका देश भारत, दुनिया का सबसे बडा हरित हाइड्रोजन हब बनने की दिशा में अग्रसर है. 

उन्होंने विश्व नेताओं का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा, “हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिये जवाबदेह हैं, जब वो पूछेंगी कि जब निर्णय लेने का समय था तो, हम लोग क्या कर रहे थे, वो लोग जिनकी ज़िम्मेदारी दुनिया को एक दिशा देने की थी.”

उन्होंने कहा, “आज, दुनिया में हर छठा व्यक्ति एक भारतीय है. जब भारतीय लोग प्रगति करते हैं तो, इससे दुनिया के विकास में भी बढ़त मिलती है. भारत आगे बढ़ता है, तो विश्व आगे बढ़ता है. जब भारत में सुधार होते हैं तो, विश्व में भी बदलाव होते हैं.”

भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत 450 गीगावाट अक्षय उर्जा उत्पादन के लक्ष्य की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है. 

उन्होंने कहा कि उनके देश में पिछले सात वर्षों के दौरान, लगभग 43 करोड़ लोगों को, देश की बैंकिग व्यवस्था में शामिल किया गया है, और लगभग 50 करोड़ लोगों को, अस्पतालों में मुफ़्त इलाज के ज़रिये, गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध हैं.

विज्ञान व टैक्नॉलॉजी नवाचार

नरेन्द्र मोदी ने, भारत में विज्ञान और टैक्नॉलॉजी नवाचार की अहमियत पर ज़ोर दिया , जिसका दुनिया भर में महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है.

उन्होंने ध्यान दिलाया कि भारत, सीमित संसाधनों के बावजूदू, वैक्सीन अनुसन्धान, विकास व उपादन के लिये व्यापक प्रयास कर रहा है.

प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं यूएन महासभा को सूचित करना चाहूँगा कि भारत ने दुनिया की पहली डीएनए वैक्सीन विकसित कर ली है. और इस वैक्सीन का टीका, 12 वर्ष से ज़्यादा उम्र के किसी भी व्यक्ति को लगाया जा सकता है.”

“एक अन्य वैक्सीन एमआरएनए भी विकसित होने के अन्तिम चरण में है. भारत के वैज्ञानिक, कोरोनवायरस की एक ऐसी वैक्सीन विकसित करने पर भी काम कर रहे हैं जिसे नाक के ज़रिये दिया जा सकता है.”

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि उनके देश ने, दुनिया भर में ज़रूरतमन्दों को वैक्सीन मुहैया कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. 
उन्होंने वैक्सीन निर्माताओं को, भारत में आकर वैक्सीन उत्पान करने के लिये आमंत्रित भी किया है.

आतंकवाद का मुद्दा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि ये सुनिश्चित किया जाना बहुत ज़रूरी है कि अफ़ग़ानिस्तान की ज़मीन का इस्तेमाल, आतंकवाद फैलाने या आतंकी हमले करने के लिये ना हो.

भारत के प्रधानमंत्री ने ध्यान दिलाया कि अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों सहित, तमाम लोगों को, तत्काल सहायता की ज़रूरत है.

उन्होंने जोर देकर कहा कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को अपना कर्तव्य पूरा करते हए, उन्हें ये सहायता अवश्य मुहैया करानी होगी.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि दुनिया, आज अतिवाद व प्रतिगामी सोच के बढ़े हुए जोखिम का सामना कर रही है.

उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि जो देश आतंकवाद को एक राजनैतिक औज़ार के रूप में इस्तेमाल करते हैं, उन्हें यह समझना होगा कि आतंकवाद, ख़ुद उनके लिये भी उतना ही गम्भीर ख़तरा है.

संयुक्त राष्ट्र की प्रासंगिकता

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र की प्रासंगिकता और प्रभावशीलता के बारे में कहा, “आज, संयुक्त राष्ट्र के बारे में अनेक प्रकार के सवाल खड़े किये गए हैं. हमने देखा है कि वो सवाल जलवायु संकट के सम्बन्ध में खड़े किये गए हैं."

"और हमने देखा है कि कोविड-19 महामारी के दौरान, विश्व के अनेक हिस्सों में एक छदम युद्ध जारी है, आतंकवाद और अफ़ग़ानिस्तान में हाल के संकट ने, इन सवालों की गम्भीरता को और ज़्यादा रेखांकित किया है.”