प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन की दोहरी चुनौती, ‘जलवायु दण्ड’ के जोखिम में वृद्धि
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने अपनी एक नई रिपोर्ट में आगाह किया है कि ताप लहरों की आवृत्ति, गहनता और अवधि बढ़ने से ना केवल इस सदी में जंगलों में आग लगने की घटनाएँ बढ़ेंगी, बल्कि वायु गुणवत्ता भी बद से बदतर हो जाने की आशंका है. यूएन एजेंसी बुधवार, 7 सितम्बर, को ‘नीले आकाश के लिये स्वच्छ वायु का अन्तरराष्ट्रीय दिवस’ के अवसर पर मानव स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्रों के लिये बढ़ते जोखिम के प्रति ध्यान आकृष्ट किया है.
विश्व मौसम विज्ञान संगठन के वार्षिक 'WMO Air Quality and Climate Bulletin' में सचेत किया गया है कि प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियोँ का मेल, लाखों-करोड़ों लोगों पर जलवायु दण्ड थोप देगा.
वायु गुणवत्ता की मौजूदा स्थिति और जलवायु परिवर्तन के साथ उसके अन्तर्निहित सम्बन्धों के साथ-साथ, ताज़ा बुलेटिन में उच्च और निम्न ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन परिदृश्यों में वायु गुणवत्ता के नतीजों पर भी जानकारी साझा की गई है.
New WMO Air Quality and Climate Bulletin: Anticipated rise in the frequency, intensity and duration of heatwaves this century➡️increase in wildfires.🔥This is likely to worsen air quality, harming human health and ecosystems.https://t.co/toYtCl29j8#WorldCleanAirDay pic.twitter.com/nwChjeoBSy
WMO
रिपोर्ट बताती है कि पिछले वर्ष जंगलों में आग लगने और धुँए के असर से इस वर्ष ताप लहरों में वृद्धि हुई है.
यूएन एजेंसी के महासचिव पेटेरी टालस ने योरोप और चीन में 2022 की ताप लहरों का उल्लेख करते हुए कहा कि स्थिर, उच्च वायुमण्डलीय परिस्थितियाँ, सूर्य का प्रकाश और हवा की कम गति, प्रदूषण के ऊँचे स्तर के लिये अनुकूल हैं.
उन्होंने सचेत किया कि आने वाले समय में ताप लहरों की आवृत्ति, गहनता और अवधि में वृद्धि देखने को मिल सकती है, जिससे वायु गुणवत्ता बद से बदतर हो जाएगी, जिसे ‘जलवायु दण्ड’ (climate penalty) भी कहा जाता है.
जलवायु दण्ड से तात्पर्य, जलवायु परिवर्तन में बढ़ोत्तरी के कारण वायु की गुणवत्ता पर होने वाले नकारात्मक असर से है.
हानिकारक वायु प्रदूषक
बुलेटिन के अनुसार, मुख्य रूप से एशिया, जलवायु दण्ड से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में होने की सम्भावना है, जहाँ क़रीब एक-चौथाई विश्व आबादी रहती है और उनके स्वास्थ्य के लिये जोखिम है.
वायु गुणवत्ता और जलवायु आपस में गुंथे हुए हैं, चूँकि जिन रसायनों की वजह से वायु गुणवत्ता ख़राब होती है, वे आमतौर पर ग्रीनहाउस गैसों के साथ उत्सर्जित होते हैं.
इसलिये, एक में बदलाव होने से दूसरा भी प्रभावित होता है.
रिपोर्ट के अनुसार, जीवाश्म ईंधन के दहन से नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जित होता है, जोकि सूर्य के प्रकाश से प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप ओज़ोन और नाइट्रेट एयरोसोल निर्मित कर सकता है.
इन वायु प्रदूषकों से स्वच्छ जल, जैवविविधता और कार्बन भण्डारण समेत पारिस्थितिकी तंत्रों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर होता है.
स्वच्छ वायु, एक मानवाधिकार
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने बुधवार, 7 सितम्बर, को ‘नीले आकाश के लिये स्वच्छ वायु का अन्तरराष्ट्रीय दिवस’ के अवसर पर स्वच्छ वायु व स्वस्थ प्रकृति को एक मानवाधिकार के रूप में रेखांकित किया है.
उन्होंने सभी देशों से एक साथ मिलकर वायु प्रदूषण से निपटने और विश्व स्वास्थ्य संगठन की वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों को अमल में लाने की पुकार लगाई है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आगाह किया है कि लोग प्रदूषित हवा में साँस लेने के लिये मजबूर हैं, और यह हर वर्ष क़रीब 70 लाख लोगों की मौत की वजह है.
इनमें से 90 प्रतिशत मौतें निम्न- और मध्य-आय वाले देशों में होती हैं.
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2019 में एक प्रस्ताव पारित करके, हर वर्ष 7 सितम्बर को, ‘नीले आकाश के लिये स्वच्छ वायु का अन्तरराष्ट्रीय दिवस’ मनाये जाने की घोषणा की थी.
इस दिवस का उद्देश्य वायु गुणवत्ता में बेहतरी लाने के लिये सभी स्तरों पर सार्वजनिक जागरूकता और इस सिलसिले में कारगर कार्रवाई को बढ़ावा देना है.
महासचिव गुटेरेश ने अपने सन्देश में कहा, “आज, वायु प्रदूषण अरबों लोगों को उनके अधिकार से वंचित कर रहा है. दूषित हवा से पृथ्वी पर 99 प्रतिशत लोग प्रभावित होते हैं, और निर्धन सर्वाधिक पीड़ित हैं.”
यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि स्वच्छ वायु अब एक मानवाधिकार है. एक स्थिर जलवायु एक मानवाधिकार है. स्वस्थ प्रकृति एक मानवाधिकार है.
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने सचेत किया कि जब लोग अत्यधिक गर्मी और वायु प्रदूषण की चपेट में आते हैं तो मौत होने का जोखिम 20 प्रतिशत अधिक होता है.
“जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण एक जानलेवा जोड़ी है.”

एकजुट प्रयासों की दरकार
महासचिव गुटेरेश ने वायु प्रदूषण की चुनौती से निपटने के लिये सभी देशों से एक साथ मिलकर प्रयास करने का आहवान किया है.
उन्होंने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश करना होगा, और जीवाश्म ईंधनों का इस्तेमाल बन्द करने के लिये तेज़ी से पीछे हटना होगा.
“शून्य उत्सर्जन वाहनों और परिवहन के वैकल्पिक साधनों की ओर त्वरित ढँग से बढ़ना होगा.”
साथ ही खाना पकाने के लिये स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा दिया जाना होगा और कचरे को जलाने के बजाय, रीसाइकिल करना होगा.
यूएन प्रमुख ने कहा कि इन उपायों से हर वर्ष लाखों ज़िन्दगियों की रक्षा सम्भव है, जलवायु परिवर्तन की गति को धीमा करने और टिकाऊ विकास की दिशा में रफ़्तार बढ़ाने में मदद मिलेगी.