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यूक्रेन के अनाज निर्यात जहाज़ - रज़ोनी को मंज़िल के लिये हरी झण्डी

काला सागर अनाज निर्यात के तहत, यू्क्रेन के अनाज का लगभग 26 हज़ार टन भण्डार लेकर पहला जहाज़ को, लेबनान में अपनी की तरफ़ बढ़ने के लिये मंज़िल के लिये, हरी झण्डी मिल गई है.
© UNOCHA
काला सागर अनाज निर्यात के तहत, यू्क्रेन के अनाज का लगभग 26 हज़ार टन भण्डार लेकर पहला जहाज़ को, लेबनान में अपनी की तरफ़ बढ़ने के लिये मंज़िल के लिये, हरी झण्डी मिल गई है.

यूक्रेन के अनाज निर्यात जहाज़ - रज़ोनी को मंज़िल के लिये हरी झण्डी

शान्ति और सुरक्षा

काला सागर अनाज निर्यात समझौते के अन्तर्गत यूक्रेन का लगभग 26 टन अनाज लेकर रवाना हुआ – रज़ोनी नामक व्यासायिक जहाज़, तुर्की के इस्तान्बूल में निर्धारित निरीक्षण के लिये कुछ समय रुकने के बाद, बुधवार को अपनी मंज़िल लेबनान के लिये रवाना हो गया है.

यूक्रेन पर लगभग पाँच महीने पहले रूसी आक्रमण शुरू होने के बाद से, देश के ओडेसा बन्दरगाह से किसी व्यावसायिक अनाज जहाज़ की यह पहली रवानगी है.

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यूएन समर्थित काला सागर अनाज निर्यात पर, शुक्रवार, 22 जुलाई को यूक्रेन, रूस और तुर्कीये के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किये थे.

सियेरा लियोन का झण्डा लगाए हुए रज़ोनी जहाज़, काला सागर में स्थित यूक्रेन के प्रमुख बन्दरगाह शहर ओडोसा से सोमवार को रवाना होकर, मंगलवार की शाम को इस्तान्बूल के जल क्षेत्र में पहुँचा था.

काला सागर अनाज समझौते पर अमल करने के लिये गठित संयुक्त समन्वय केन्द्र (JCC) ने एक वक्तव्य में कहा है, “रूसी संघ, तुर्कीये, यूक्रेन और संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों वाली एक टीम ने, बुधवार सुबह रज़ोनी व्यापारिक जहाज़ का निरीक्षण किया.”

दुनिया के लिये खाद्य सामग्री

जेसीसी के वक्तव्य में कहा गया है कि इस चरण के साथ ही, इस अभियान की अवधारणा का आरम्भिक स्तर पूरा हो गया है.

साथ ही ये भी कहा गया है कि यूक्रेन के तीन बन्दरगाहों से, गेहूँ, मक्का और अन्य अनाजों की लाखों टन खेप, रवाना होने के लिये तैयार है, वो भी वैश्विक खाद्य असुरक्षा के दौर में.

जेसीसी ने वक्तव्य में बताया है कि काला सागर अनाज निर्यात समझौते के तहत, यूक्रेन से लाखों टन अनाज के निर्यात के अतिरिक्त उर्वरकों के निर्यात की भी व्यवस्था है जिसकी दुनिया के किसानों को बहुत ज़रूरत है. ये निर्यात भी कड़ी निगरानी में होंगे.

वक्तव्य के अनुसार, निरीक्षकों ने रज़ोनी जहाज़ के चालक दल के साथ बातचीत की है और काला सागर में इस जहाज़ की यात्रा व मार्ग के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी एकत्र की है, जिस पर हस्ताक्षर कर्ताओं के दरम्यान सहमति हुई थी.

यूक्रेन में परमाणु अव्यवस्था

संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी एजेंसी - IAEA ने एक सम्बन्धित घटनाक्रम में आगाह किया है कि यूक्रेन में युद्ध से, दुनिया के सबसे विशाल परमाणु ऊर्जा कार्यक्रमों में से एक पर जोखिम मंडरा रहा है.

एजेंसी के मुखिया रफ़ाल ग्रॉस्सी ने मंगलवार को न्यूयॉर्क में परमाणु अप्रसार सन्धि के समीक्षा सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि एजेंसी द्वारा परमाणु सुरक्षा के लिये सुझाए गए सात अति महत्वपूर्ण स्तम्भों का उल्लंघन किया गया है.

यूक्रेन के दक्षिण-पूर्वी शहर इनेरहोदार में स्थित ज़पोरिझझया परमाणु ऊर्जा संयंत्र में स्थिति विशेष रूप से चिन्ताजनक है. उस परमाणु संयंत्र पर रूसी सेनाओं ने मार्च से क़ब्ज़ा कर रखा है और उसका प्रयोग एक सैन्य अड्डे के रूप में किया जा रहा है.

परिसर में प्रविष्टि की पुकार

यूएन परमाणु निगरानी एजेंसी - IAEA के मुखिया रफ़ाएल ग्रॉस्सी, वियेना में एक प्रैस वार्ता के दौरान, नक्शे पर यूक्रेन स्थित ज़पोरिझझिया परमाणु संयंत्र की निशानदेही करते हुए.
© IAEA/Dean Calma
यूएन परमाणु निगरानी एजेंसी - IAEA के मुखिया रफ़ाएल ग्रॉस्सी, वियेना में एक प्रैस वार्ता के दौरान, नक्शे पर यूक्रेन स्थित ज़पोरिझझिया परमाणु संयंत्र की निशानदेही करते हुए.

रफ़ाएल ग्रॉस्सी ने कहा कि युद्ध का विनाश जारी है, ऐसे में कोई ठोस कार्रवाई नहीं करना, स्वीकार्य नहीं हो सकता. अगर ज़पोरिझझया परमाणु ऊर्जा संयंत्र में कोई दुर्घटना हो जाती है तो हम किसी प्राकृतिक आपदा पर दोष नहीं डाल सकते. “जवाब देने की पूरी ज़िम्मेदारी हमारी ही होगी.”

उन्होंने उस परिसर में एजेंसी के विशेषज्ञों की टीम को दाख़िल होने की अनुमति दिये जाने की पुकार भी लगाई.

एक करोड़ विस्थापन

इस बीच यूएन शरणार्थी एजेंसी – UNHCR ने बताया है कि गत 24 फ़रवरी को यूक्रेन पर रूसी आक्रमण शुरू होने के बाद से, देश से एक करोड़ से भी ज़्यादा लोगों को सीमापार करके अनेक पड़ोसी देशों में पनाह लेनी पड़ी है.

एजेंसी के विस्थापन पोर्टल पर उपलब्ध ताज़ा आँकड़ों के अनुसार फ़रवरी के अन्त से लेकर अब तक लगभग 42 लाख लोग स्वदेश भी वापिस लौटे हैं.

यूएन शरणार्थी एजेंसी ने युद्ध जारी रहने के बीच रेखांकित किया है कि यूक्रेन के भीतर भी बहुत से लोगों को अपने घर छोड़ने के लिये विवश होना पड़ा है – और उन लोगों को संरक्षण, सहायता और समर्थन की दरकार है.