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यूक्रेन में तीन विदेशी लड़ाकों को मौत की सज़ा सुनाए जाने की निन्दा

यूक्रेन के मारियुपोल शहर में कई हफ़्तों तक भीषण बमबारी में भारी तबाही हुई है.
IOM/Diana Novikova
यूक्रेन के मारियुपोल शहर में कई हफ़्तों तक भीषण बमबारी में भारी तबाही हुई है.

यूक्रेन में तीन विदेशी लड़ाकों को मौत की सज़ा सुनाए जाने की निन्दा

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने यूक्रेन में तीन विदेशी लड़ाकों को, स्वयं घोषित दोनेत्सक लोक गणराज्य की एक अदालत द्वारा मौत की सज़ा सुनाए जाने की निन्दा की है. 

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय की प्रवक्ता रवीना शमदासानी ने शुक्रवार को कहा कि “युद्ध बन्दियों के विरुद्ध इस तरह के मुक़दमे, युद्धापराध के दायरे में आते हैं.”

जिन तीन विदेशी लड़ाकों को यूक्रेन में लड़ाई में हिस्सा लेते हुए पकड़ा गया उनमें दो ब्रितानी और एक मोरक्को का नागरिक है. ब्रिटेन के नागरिकों के नाम हैं – ऐयडेन ऐसलिन और शॉन पिनर, व मोरक्को के नागरिक का नाम है साऊदून ब्राहिम.

ख़बरों के अनुसार, इन तीनी विदेशी लड़ाकों को दक्षिणी बन्दरगाह शहर – मारियुपोल की रक्षा के लिये लड़ते हुए पकड़ा गया.

24 फ़रवरी को यूक्रेन पर रूसी हमला शुरू होने के बाद, दोनों देशों की सेनाओं के दरम्यान हुई लड़ाई में, मारियुपोल में बड़े पैमाने पर तबाही हुई है. 

यूएन मानवाधिकार प्रमुख मिशेले बाशेलेट कुछ दिन पहले, आम नागरिकों और सिविल ढाँचे के विरुद्ध हमलों की निन्दा कर चुकी हैं जिनमें हज़ारों लोगों की मौत हुई है.

प्रवक्ता रवीना शमदासानी ने कहा कि यूएन मानवाधिकार कार्यालय, यूक्रेन में स्वयं घोषित दोनेत्स्क लोक गणराज्य के कथित सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन सैनिकों को मौत की सज़ा सुनाए जाने के बारे में चिन्तित है.

प्रवक्ता ने कहा, “यूक्रेन के कमाण्ड प्रमुख के अनुसार, ये तीनों लोग, यूक्रेन के सशस्त्र बलों का हिस्सा थे और अगर ये बात सही है तो उन्हें निजी लड़ाके नहीं समझा जाना चाहिये.”

चिन्ताएँ

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता ने, रूस की सीमा के निकटवर्ती दो प्रान्तों के, यूक्रेन से अलग होने के बाद वहाँ, निष्पक्ष मुक़दमों के अधिकार के उल्लंघन मामलों के बारे में लम्बे समय से जारी चिन्ताओं को भी रेखांकित किया.

प्रवक्ता ने कहा कि वर्ष 2015 से ही देखा गया है कि इन स्वयं घोषित गणराज्यों में, तथाकथित न्यायपालिका ने निष्पक्ष मुक़दमों की गारण्टी का पालन नहीं किया है जिनमें सार्वजनिक सुनवाई, न्यायालयों की स्वतंत्रता व निष्पक्षता और ख़ुद के ख़िलाफ़ ही बयान देने के लिये विवश किये जाने से सुरक्षा का अधिकार भी शामिल हैं.

प्रवक्ता रवीना शमदासानी ने जिनीवा में कहा कि युद्ध बन्दियों के विरुद्ध इस तरह के मुक़दमे, युद्धापराध की श्रेणी में आते हैं. मृत्यु दण्ड दिये जाने के मामले में, ज़ाहिर है कि निष्पक्ष मुक़दमों की गारण्टियाँ, सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं.