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यूक्रेन: यौन हिंसा के ‘बढ़ते मामलों’ और तस्करी के जोखिम पर सुरक्षा परिषद में चिन्ता 

यूक्रेन के लिविफ़ शहर में महिलाएँ और बच्चे सुरक्षित निकासी के लिये ट्रेन में सवार हो रहे हैं.
© UNICEF/Nikita Mekenzin
यूक्रेन के लिविफ़ शहर में महिलाएँ और बच्चे सुरक्षित निकासी के लिये ट्रेन में सवार हो रहे हैं.

यूक्रेन: यौन हिंसा के ‘बढ़ते मामलों’ और तस्करी के जोखिम पर सुरक्षा परिषद में चिन्ता 

मानवाधिकार

सशस्त्र हिंसक संघर्ष में यौन हिंसा के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष प्रतिनिधि प्रमिला पैटन ने, सोमवार को सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों को आगाह किया है कि यूक्रेन में रूसी सैन्य बलों द्वारा यौन हिंसा किये जाने के आरोप बढ़ते जा रहे हैं. उन्होंने खेद प्रकट करते हुए कहा कि पीड़ादाई वास्तविकता और युद्ध के औज़ार के रूप में बलात्कार का इस्तेमाल रोके जाने की वैश्विक समुदाय की आकांक्षा में एक बड़ी खाई है.  

विशेष प्रतिनिधि ने हाल ही में की गई अपनी यूक्रेन यात्रा का ज़िक्र करते हुए, सहयोग के एक फ़्रेमवर्क के मुख्य बिन्दुओं का उल्लेख किया, जिस पर हाल ही में हस्ताक्षर किये गए.

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इस फ़्रेमवर्क का लक्ष्य हिंसक संघर्ष सम्बन्धी यौन हिंसा की रोकथाम करने, जवाबदेही तय किये जाने और ऐसे जघन्य अपराधों से निपटने के उपायों को मज़बूती देना है.

प्रमिला पैटन ने कहा, “बहुत बार हिंसक संघर्ष परिस्थितियों में महिलाओं व लड़कियों की ज़रूरतों को दरकिनार किया गया है और उन्हें फिर बाद में ही सोचा गया है.”

विशेष प्रतिनिधि ने सचेत किया कि हस्ताक्षरित नए फ़्रेमवर्क में इसे स्पष्ट रूप से एक प्राथमिकता तय किया गया है.

‘पीड़ादाई’ वास्तविकता

विशेष प्रतिनिधि ने सुरक्षा परिषद के अनेक प्रस्तावों का उल्लेख किया, जिनमें यौन हिंसा को युद्ध की एक तरक़ीब के रूप में इस्तेमाल किये जाने पर पाबन्दी है.

उन्होंने ध्यान दिलाया कि पिछले एक दशक में परिषद द्वारा इसकी रोकथाम के लिये व्यक्त किये गए संकल्पों और दुनिया भर में अनेक महिलाओं के लिये मौजूदा हालात में खाई बढ़ती जा रही है.

3 जून तक, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय की निगरानी टीम ने यूक्रेन में हिंसक संघर्ष सम्बन्धी यौन हिंसा के कथित रूप से 124 मामलों की जानकारी मिली है. 

इन कथित मामलों में अधिकांश पीड़ित महिलाएँ व लड़कियाँ हैं, लेकिन कुछ मामलों में लड़के व पुरुष भी यौन हिंसा का शिकार हुए हैं. 

घरेलू हिंसा, मानव तस्करी और लिंग-आधारित भेदभाव पर एक राष्ट्रीय हॉटलाइन स्थापित की गई है, जिस पर सामूहिक बलात्कार से लेकर परिजन को जबरन अपने एक साथी या बच्चे के साथ यौन हिंसा की घटना को देखने का दबाव तक, जैसे मामले सामने आए हैं. 

तत्काल कार्रवाई

इस पृष्ठभूमि में, यूएन महासचिव की विशेष प्रतिनिधि ने मानव कल्याण पक्षकारों से यौन व लिंग-आधारित हिंसा के पीड़ितों के लिये समर्थन को प्राथमिकता दिये जाने का आग्रह किया है. 

उन्होंने कहा है कि इसे मानवीय राहत अभियान में एक जीवनरक्षक प्रयास समझा जाना होगा और इसके क्रियान्वयन में देरी से बचा जाना होगा.

प्रमिला पैटन ने आगाह किया कि एक युद्ध क्षेत्र में सटीक आँकड़े तैयार करने का माहौल मिल पाना सम्भव नहीं है, और पुख़्ता आँकड़ों व डेटा की अगर प्रतीक्षा की गई, तो इसमें हमेशा देरी होगी. 

“हमें मानवीय राहत प्रयासों का स्तर बढ़ाने के लिये पुख़्ता आँकड़ों की ज़रूरत नहीं है, और ना ही सभी पक्षों द्वारा रोकथाम उपाय को लागू किये जाने के लिये.”

सशस्त्र हिंसक संघर्ष में यौन हिंसा के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष प्रतिनिधि प्रमिला पैटन ने सोमवार को सुरक्षा परिषद को हालात से अवगत कराया.
UN Photo/Eskinder Debebe
सशस्त्र हिंसक संघर्ष में यौन हिंसा के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष प्रतिनिधि प्रमिला पैटन ने सोमवार को सुरक्षा परिषद को हालात से अवगत कराया.

तस्करी का जोखिम

विशेष प्रतिनिधि प्रमिला पैटन ने ‘सहयोग के फ़्रेमवर्क’ में प्रावधानों का उल्लेख करते हुए बताया कि इससे, यूक्रेन में यौन हिंसा का मुक़ाबला और उसकी रोकथाम के लिये सहयोग को मज़बूती देना सम्भव होगा. 

इसके ज़रिये, यूक्रेन छोड़कर भाग रहे लोगों के मानव तस्करों के चंगुल में फँस जाने के जोखिम को कम करने और पीड़ितों को सेवाएँ प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है.

मगर, उन्होंने सचेत किया कि देश छोड़कर जाने वाले 68 लाख लोगों के लिये संरक्षण सम्बन्धी चुनौतियाँ अभूतपूर्व हैं.

देश में हिंसक संघर्ष शुरू होने के बाद से ही यौन शोषण व वेश्यावृत्ति के लिये व्यक्तियों की तस्करी किये जाने का जोखिम व्याप्त है.

इसके मद्देनज़र, उन्होंने सुरक्षा परिषद और वैश्विक दानदाता समुदाय से यूक्रेनी प्रशासनिक एजेंसियों और यूएन संस्थाओं के साथ एकजुटता दर्शाए जाने का आग्रह किया है, ताकि फ़्रेमवर्क लागू किया जा सके.

उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना होगा कि राजनैतिक प्रयासों का दायरा व एक व्यापक जवाबी कार्रवाई के लिये संसाधनों का आबण्टन, समस्या की जटिलता व उसके स्तर के अनुरूप हो.