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यूक्रेन: युद्ध के 100 दिन और गहराता संकट, खाद्य सामग्री व उर्वरक निर्यात के प्रयास

यूक्रेन की राजधानी कीयेफ़ में बमबारी के बाद एक रिहायशी इमारत में आग लगी है.
© UNDP Ukraine/Pavlo Petrov
यूक्रेन की राजधानी कीयेफ़ में बमबारी के बाद एक रिहायशी इमारत में आग लगी है.

यूक्रेन: युद्ध के 100 दिन और गहराता संकट, खाद्य सामग्री व उर्वरक निर्यात के प्रयास

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र मानवीय राहत एजेंसियों ने यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के 100 दिन पूरे होने पर एक ऐलर्ट जारी करके विशाल स्तर पर मानवीय सहायता आवश्यकताओं की ओर ध्यान आकृष्ट किया है. संयुक्त राष्ट्र ने खाद्य असुरक्षा की गहराती चिन्ता के बीच यूक्रेन और रूस से बाक़ी दुनिया के लिये खाद्य व उर्वरक निर्यात सुनिश्चित करने के लिये अपने प्रयास जारी रखे हैं. 

यूक्रेन के लिये संयुक्त राष्ट्र संकट समन्वयक अमीन अवाद ने बताया कि संगठन यूक्रेन के काला सागर बन्दरगाह पर फँसे अनाज को ले जाने की अनुमति के लिये हरसम्भव प्रयास कर रहा है.  

इसके अलावा, विश्व भर में किसानों के लिये रूस से उर्वरक की आपूर्ति सुनिश्चित करना भी अहम होगा, जोकि एक बड़ा उत्पादक देश है. 

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संयुक्त राष्ट्र आपात राहत समन्वयक मार्टिन ग्रिफ़िथ्स और व्यापार एवं विकास पर यूएन सम्मेलन की प्रमुख रेबेका ग्रीनस्पैन ने इस मुद्दे पर बातचीत की ज़िम्मेदारी सम्भाली है. 

संकट समन्वयक अमीन अवाद ने कीयेफ़ से जिनीवा में पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि इस विषय में बातचीत जारी है.

“बहुत विवरण के साथ मॉस्को व उन अन्य देशों के बीच आदान-प्रदान हो रहा है, जिन्हें चिन्ताएं हैं और वार्ता जारी है. लेकिन फ़िलहाल कोई सुस्पष्ट समाधान नहीं उभरा है, चूँकि यह पहेलियों का एक ऐसा बोर्ड है जिसके कई हिस्सों को एक साथ लाया जाना है.” 

उन्होंने कहा कि रूस से मानव कल्याण के लिये खाद्य व उर्वरक निर्यात पर कोई पाबन्दी नहीं है, इसके बावजूद अन्तरराष्ट्रीय व्यापार के सम्बन्ध में पनपी कठिनाइयां हैं.

इस क्रम में, रेबेका ग्रीनस्पैन अन्य वित्तीय संस्थाओं और पश्चिमी देशों के साथ मिलकर, रूस के साथ फिर से लेन-देन शुरू करने के रास्तों को ढूँढने का प्रयास कर रही हैं.

खाद्य व उर्वरक निर्यात

संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारी ने बताया कि दुनिया भर में क़रीब डेढ़ अरब लोगों को खाद्य सामग्री व उर्वरकों की आवश्यकता है.

उन्होंने उम्मीद जताई कि बातचीत बिना किसी परेशानी के आगे बढ़ेगी और जल्द ही निष्कर्ष निकलेगा, ताकि बन्दरगाह की नाकेबन्दी ख़त्म की जा सके और उर्वरक व अनाज का निर्यात सम्भव हो सके.

यूक्रेन में फ़िलहाल एक करोड़ 57 लाख लोगों को मानवीय सहायता व संरक्षण की ज़रूरत है और यह संख्या निरन्तर बढ़ रही है. 

मानवीय राहतकर्मियों ने यूक्रेन से अनाज को दुनिया के बाक़ी हिस्सों में ले जाने के लिये विभिन्न विकल्पों पर विचार किया है, मगर विशाल मात्रा के मद्देनज़र एकमात्र व्यावहारिक रास्ता समुद्री मार्ग ही बताया गया है. 

संकट समन्वयक अमीन अवाद ने कहा, “हर महीने 50 लाख टन, यानि एक महीने में 100 जहाज़.”

यूएन के वरिष्ठ अधिकारी ने सचेत किया कि इतनी बड़ी मात्रा में अनाज को सड़क या रेल मार्ग से ले जा पाना सम्भव नहीं है, इसलिये समुद्री मार्ग के ज़रिये ही यह किया जाना होगा. 

क्रैमातोर्स्क रेलवे स्टेशन पर हमले में अपने पाँव गवाँ देने वाली एक 11 वर्षीय बच्ची लिविफ़ के अस्पताल में.
© UNICEF/Lviv Territorial Medical Union Hospital
क्रैमातोर्स्क रेलवे स्टेशन पर हमले में अपने पाँव गवाँ देने वाली एक 11 वर्षीय बच्ची लिविफ़ के अस्पताल में.

स्वास्थ्य प्रणाली पर दबाव

यूक्रेन में विश्व स्वास्थ्य संगठन के देशीय कार्यालय के प्रतिनिधि यार्नो हैबिश्ट ने ध्यान दिलाया कि शुक्रवार को यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के 100 दिन पूरे हो रहे हैं.

देश के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित लिविफ़ शहर से उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि मौजूदा हालात में स्वास्थ्य प्रणाली पर भीषण दबाव है.

अब तक स्वास्थ्य केन्द्रों पर 269 हमलों की पुष्टि की जा चुकी है, जिनमें 76 लोगों की मौत हुई और 59 लोग घायल हुए हैं.

देश में दो लाख 65 हज़ार महिलाएँ, रूसी आक्रमण से पहले गर्भवती थीं, और अब उनके लिये स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करना अहम है. 

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) के प्रतिनिधि जेमी नडाल ने चिकित्सकों से प्राप्त जानकारी व रिपोर्टों के आधार पर बताया कि माताएं, बेसमेंट में बनाए गए अस्पतालों, आश्रय स्थलों और मेट्रो स्टेशन में भी बच्चों को जन्म दे रही हैं, और वहीं सिज़ेरियन ऑपरेशन भी किये जा रहे हैं. 

उन्होंने लिविफ़ में एक रेलवे स्टेशन से जानकारी देते हुए बताया कि जिन इलाक़ों तक पहुँच पाना कठिन है, वहाँ चिकित्सक दूर से ही ऑनलाइन या अन्य माध्यमों से प्रसव के दौरान निर्देश दे रहे हैं, ताकि बच्चों और माँओं की ज़िन्दगियों की रक्षा की जा सके. 

विश्व खाद्य कार्यक्रम यूक्रेन में हिंसा से जान बचाकर भागने वाले लोगों को खाद्य सहायता प्रदान कर रहा है.
© WFP/Viktor Pesenti
विश्व खाद्य कार्यक्रम यूक्रेन में हिंसा से जान बचाकर भागने वाले लोगों को खाद्य सहायता प्रदान कर रहा है.

बेरोज़गारी का दंश

यूक्रेन के पूर्वी इलाक़ों में रूसी सैन्य बलों के आगे बढ़ने के साथ, यूक्रेन में लोगों की आवश्यकताएं निरन्तर बढ़ रही हैं.

अब तक क़रीब एक करोड़ 40 लाख लोग जान बचाकर भागने के लिये मजबूर हुए हैं, जोकि यूक्रेन की कुल आबादी का एक-तिहाई है.

बड़ी संख्या में लोगों की आजीविका ख़त्म हो गई है और अब उन्हें भोजन के लिये क़तार में शामिल होना पड़ रहा है.

यूक्रेन में विश्व खाद्य कार्यक्रम के आपात समन्वयक मैथ्यू हॉलिन्गवर्थ ने कहा, “यह स्पष्ट है कि हमारी सबसे बड़ी चुनौती देश में उन इलाक़ों तक राहत पहुँचाना है जहाँ पहुँचना सबसे कठिन है, जिन पर क़ब्ज़ा किया गया है, जो इलाक़े अग्रिम मोर्चों के आसपास हैं.”

उन्होंने लिविफ़ से जानकारी देते हुए बताया कि पिछले तीन महीनों में कुल जमा प्रयासों का 36 फ़ीसदी इन्ही इलाक़ों पर केन्द्रित रहा है. लेकिन यह पर्याप्त नहीं है.

यूएन एजेंसी के अधिकारी ने बताया कि देश के उन इलाक़ों में निर्बाध रूप से मानवीय राहत मार्ग सुलभ बनाये रखने के लिये अपीलों को सुना जाना जारी रखना होगा.

यूक्रेन के चेरनिहीफ़ में एक 70 वर्षीय महिला का घर बमबारी में बर्बाद हो गया है.
© UNICEF/Ashley Gilbertson
यूक्रेन के चेरनिहीफ़ में एक 70 वर्षीय महिला का घर बमबारी में बर्बाद हो गया है.

विशाल पैमाने पर विस्थापन

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने आगाह किया कि हिंसक संघर्ष के कारण विशाल स्तर पर हुए विस्थापन से निर्बल समुदायों पर सर्वाधिक असर हुआ है.

यूक्रेन में यूएन एजेंसी की प्रतिनिधि कैरोलिना लिण्डहॉल्म बिलिंग ने बताया कि डिनिप्रो में उन्होंने बसों में सवार लोगों को देखा, जिन्हें बख़मूट इलाक़े से लाया गया था. वे भयभीत नज़र आ रहे थे. 

प्रतिनिधि बिलिंग ने मध्य यूक्रेन में विनितस्या शहर से जानकारी देते हुए कहा कि वहाँ पहुँचने वाले अधिकाँश लोग बुज़ुर्ग हैं, जिन्हें चलने में परेशानी हो रही थी, और लगभग ख़ाली हाथ ही वहाँ आए हैं. 

कुछ लोगों के लिये वर्ष 2014 के बाद से यह दूसरा या तीसरा मौक़ा है, जब उन्हें विस्थापित होने के लिये मज़बूर होना पड़ा है.

अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) ने युद्ध के कारण विस्थापित होने वाले लोगों की आवाजाही पर नज़र रखी है, और इनमें वापिस देश लौटने वाले लोग भी हैं.

यूक्रेन में यूएन प्रवासन एजेंसी के उप प्रमुख स्टीफ़न रोजर्स के अनुसार अधिकाँश लोग यूक्रेन के उत्तरी क्षेत्र में वापिस लौटे हैं, जिनमें यूक्रेन आने वाले 10 लाख लोग भी हैं.

मगर देश के उत्तरी और मध्य क्षेत्र में वापिस लौटने वाले लोगों ने पाया है कि उनके घर व सम्पत्ति बर्बाद हो चुकी है और अब उसे नए सिरे से बनाये जाने की ज़रूरत है.