यूक्रेन: युद्धापराधों की जाँच में सहयोग व तालमेल 'अति महत्वपूर्ण'
न्यायेतर, त्वरित और मनमाने तरीक़े से हत्याओं पर संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञ मॉरिस टिडबॉल-बिंज़ ने सोमवार को कहा है कि यूक्रेन संघर्ष में युद्धापराधों के आरोपों के जाँचकर्ताओं को आपस में घनिष्ठता के साथ, फ़ोरेंसिक की सर्वश्रेष्ठ जाँच-पड़ताल के अन्तरारष्ट्रीय मानकों के अनुरूप काम करने की ज़रूरत है.
विशेष रैपोर्टेयर मॉरिस टिडबॉल-बिंज़ ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय का आहवान किया है कि वो यूक्रेन की ख़ुद की जाँच-पड़ताल में भी सहयोग दें.
🇺🇦#Ukraine: The intl community must step up its support for national investigations into alleged war crimes & crimes against humanity in the context of #Russia's armed attack, & all investigators should work together –UN expert Morris Tidball-Binz.https://t.co/NhaTqe5kPk pic.twitter.com/YtMFSVXt3w
UN_SPExperts
उन्होंने साथ ही, यूक्रेन के महाअभियोजक कार्यालय द्वारा, ज़िम्मेदारों को न्याय के कटघरे में पहुँचाने के लिये, जाँच में हासिल की गई प्रगति का स्वागत किया है.
मॉरिस टिडबॉल-बिंज़ ने, यूक्रेन पर रूसी हमले के दौरान मानवाधिकार हनन, अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के उल्लंघन और अवैध तरीक़ों से हत्याओं के सबूत एकत्र करने की प्रक्रिया स्थापित करने के लिये, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की सराहना भी की है.
राष्ट्रीय स्वामित्व का सम्मान
मॉरिस टिडबॉल-बिंज़ ने कहा कि ये प्रक्रिया, महाभियोजक के कार्यालय के कामकाज और अन्य जवाबदेही ढाँचों को समर्थन व सहायता देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, जिनमें अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) और अन्य संगठन शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि इसलिये ये बहुत ज़रूरी है कि यूक्रेन में जाँच की अगुवाई कर रहे देश के महाभियोजक कार्यालय को, जाँच प्रयासों में उपयुक्त संयोजन सुनिश्चित करने के लिये, तमाम आवश्यक सहायता और संसाधन प्राप्त हों.
अन्तरराष्ट्रीय स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ मॉरिस टिडबॉल-बिंज़ ने ज़ोर देकर कहा कि जाँच में प्रगति और ठोस परिणाम हासिल करने के लिये, इस सहायता में, जाँच प्रयासों के राष्ट्रीय स्वामित्व का, प्रासंगिक अन्तरराष्ट्रीय नियमों और मानकों के अनुरूप सम्मान किया जाना चाहिये.
अन्तरराष्ट्रीय नियमों का पालन हो
उससे भी ज़्यादा अहम ये है कि तमाम जाँच-पड़ताल में अन्तरराष्ट्रीय मानकों का पालन करना होगा.
उन्होंने कहा, “अन्तरराष्ट्रीय क़ानून की यह अनिवार्यता है कि जाँच त्वरित, प्रभावशील, सम्पूर्ण, स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी हो.“
“इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये समुचित तालमेल और उपयुक्त डेटा प्रबन्धन बुनियादी आवश्यकताएँ हैं, विशेष रूप से, इस तरह के जटिल मामलों में, जैसे कि यूक्रेन में हो रहे हैं.”
मॉरिस टिडबॉल-बिंज़ ख़ुद भी एक चिकित्सा-क़ानूनी विशेषज्ञ हैं और उनका कहना है कि युद्धापराधों और मानवता के विरुद्ध अपराधों की जाँच के लिये, अनेक तरह की विशेषज्ञता व विशिष्ट ज्ञान की दरकार होती है ताकि संवेदनशील और जटिल सबूत एकत्र किये जा सकें, उन्हें दस्तावेज़ों में दर्ज किया जा सके और उनका सुरक्षित संग्रह हो.
पीड़ितों की गरिमा

मानव शवों की शिनाख़्त और उनके साथ गरिमामय बर्ताव किया जाना बहुत आवश्यक है, इसलिये इन मामलों में संयोजन प्रयास बहुत अनिवार्य हैं.
उन्होंने साथ ही ये भी कहा कि जबरन गुमशुदा किये गए लोगों के मामलों को सुलझाने और मृत व्यक्तियों को केवल लापता व्यक्ति बना दिये जाने से रोकने के लिये भी, ठोस अन्वेषण तालमेल ज़रूरी है.
उन्होंने तमाम हितधारकों से एक बार फिर ये आग्रह किया कि वो तमाम प्रासंगिक अन्तरराष्ट्रीय नियमों और मानकों का पालन करें, और आपस में निकट तालमेल के साथ काम करें, ना केवल दोहराव रोकने के लिये, बल्कि पीड़ितों के हितों की ख़ातिर भी.
मानवाधिकार विशेषज्ञ ने ये भी ध्यान दिलाया कि वो इन मामलों में सहायता करने और तकनीकी परामर्श मुहैया कराने के लिये मुस्तैद हैं.
यूएन विशेषज्ञों का भूमिका
मानवाधिकार विशेषज्ञों की नियुक्ति, यूएन मानवाधिकार परिषद अपनी विशेष प्रक्रिया के तहत करती है, जिसके तहत स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों को, किसी देश में किसी ख़ास स्थिति या किसी विशेष विषय पर रिपोर्ट तैयार करने की ज़िम्मेदारी सौंपी जाती है. यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञ यूएन स्टाफ़ नहीं होते हैं और उन्हें उनके काम के लिये, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन भी नहीं मिलता है.